मौनी अमावस्या-आंखें पथराईं… अपनों की तलाश में बहते आंसू…


संवाददाता

प्रयागराज। प्रयागराज में महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने पहुंचे कई श्रद्धालु अफरा-तफरी मचने से हुए हताहत हो गए। मंगलवार रात करीब डेढ़ बजे अखाड़ा मार्ग के निकट और सेक्टर 18 के मुक्ति मार्ग पर हुए इन दर्दनाक हादसों में कई श्रद्धालु घायल हुए हैं। जिनमें से 36 का एसआरएन अस्पताल में इलाज चल रहा है। घायलों में कुछ को लेकर उनके परिजन घर चले गए। स्थिति अब सामान्य है। मीडिया सेंटर में प्रेसवार्ता के दौरान डीआईजी वैभव कृष्ण एवं मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने संयुक्त रूप से बताया कि महाकुंभ स्नान पर्व पर भीड़ का दबाव बढ़ने पर बैरिकेंडिंग टूट गई। इसके बाद लोग तेजी से आगे बढ़ने लगे, इस दौरान ब्रह्म मुर्हुत पर स्नान करने के इंतजार में बैठे श्रद्धालुओं के ऊपर से भीड़ का रेला गुजर गया। जिसमें कई श्रद्धालु कुचल गए। इन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। जिसमें कई श्रद्धालु हताहत हो गए।

मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर संगम तट पर हुई भगदड़ अपनों से बिछड़ने से दुखी परिजन – फोटो : अमर उजाला

आंखों से बहते आंसू, बदहवास परिजन…अपनों की तलाश
मौनी अमावस्या पर संगम तट पर हादसे के बाद लाचार, बेबस और बदहवाश परिजन अपनों की तलाश में भटक रहे थे। अस्पताल दर अस्पताल, पूछताछ केंद्रों पर एक ही गुहार हमारे अपनों के बारे में बता दीजिए। कोई फोटो दिखाता तो कोई हाथ जोड़ता, आंखों से झर-झर आंसू बह रहे थे। बस उम्मीद थी कि शायद कोई बता दे कि आपके अपने ठीक हैं।

केंद्रीय चिकित्सालय में एक के बाद एक एंबुलेंस की कतार लग रही थी। सायरन की आवाज गूंज रही थी। सुबह सात बजे तक लगातार घायल लाए जा रहे थे। जैसी ही कोई एंबुलेंस पहुंचती चिकित्सकों की टीम दौड़कर घेर लेती और घायल को फटाफट स्ट्रेचर के सहारे अंदर ले जाते। इसके बाद जब परिजन पहुंचे तो वह कभी पुलिसकर्मियों से तो कभी चिकित्सकों से अपनों के बारे में पूछ रहे थे।

चिकित्सालय के आसपास लोगों की भीड़ जुट गई थी। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारी लोगों को इकट्ठा नहीं होने दे रहे थे। औरेया निवासी गुड़िया पांडेय ने बताया कि 17 साल की बेटी स्वीकृति पांडे दब गई थी। बिजली का पोल नहीं मिलता तो सभी मर जाते। छोटे बेटे को पोल पर चढ़ा दिया था, लेकिन बेटी नीचे दबी रह गई थी। इसकी वजह से उसकी हालत बहुत गंभीर हो गई। अस्पताल में चिकित्सकों से विनती की है कि वह हमें हमारी बेटी से मिलवा दें।

औरेया जिला के रंजन कुमार चौहान ने बताया कि धक्का लगने के बाद मेरे पापा बिछड़ गए। कई जगह तलाश की, लेकिन पता नहीं चल पाया। लोगों ने कहा कि अस्पताल जाकर पता करिए। अब यहां पर भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। जिला अलीगढ़ के अतरौली निवासी संजू चौधरी अपनी गोद में डेढ़ साल की बेटी सिया को लिए थे। उनकी पत्नी रूबी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उन्होंने कहा कि चार लोग साथ में आए थे। संगम में स्नान करने के लिए जा रहे थे कि तभी पत्नी भीड़ में फंस गई। उसे एंबुलेंस से उपचार के लिए पुलिसकर्मी लेकर आए। झारखंड के धनबाद निवासी अंजली देवी ने बताया कि मैं अपनी बेटी के साथ थी। दोनों फंस गए। मुझे हाथ और पैर में चोट लगी, लेकिन बेटी जमीन पर गिर गई। मैंने उसे बचाने के लिए खूब आवाज लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।

पति की आंखें पथराईं तो बेटे के आंसू थमने का नहीं ले रहे थे नाम
छतरपुर, मध्य प्रदेश से आए जय प्रकाश सोनी ने संगम पर हुए हादसे में मां शीला सोनी (65) को गंवा दिया। परिवार के छह सदस्य स्नान करने आए थे, जिनमें शीला के पति बाबूराम सोनी भी शामिल थे। पोस्टमार्टम हाउस में शव लेने पहुंचे जय प्रकाश ने बताया कि हादसे से पहले परिवार के सभी सदस्य एक किनारे बैठे थे। अचानक भीड़ का रेला आया और मां को रौंदते हुए निकल गया।  पिछले साल ही शीला और बाबूराम के विवाह को 50 साल पूरे हुए थे। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर एक किनारे बैठे मौन धारण किए बाबूराम की आंखें पथराई हुई थीं और थोड़ी-थोड़ी देर में बस यही कहते, ‘हे भगवान।’ वहीं, दूसरे किनारे पर खड़े जय प्रकाश व उनके बेटे की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। शीला की बेटी ऊषा प्रयागराज में ही रहती हैं। जय प्रकाश ने बताया कि परिवार के लोग कह रहे हैं कि प्रयागराज में ही मां की अंत्येष्टि कर दो, लेकिन अभी कुछ तय नहीं किया है। 

हादसे के बाद अपनों को ढूंढते और रोते-बिलखते दिखे श्रद्धालु
संगम घाट पर चाचा की मौत के बाद मेला क्षेत्र में स्थित केंद्रीय अस्पताल के बाहर बुधवार तड़के गोंडा के जोखूराम फूट-फूटकर बिलखते दिखे। उन्होंने बताया कि वह लोग नहाकर लौट रहे थे, तभी अचानक बैरिकेडिंग टूटने से हादसा हो गया। इस दौरान भीड़ में दबकर उनके चाचा की मौत हो गई। वहीं अस्पताल के बाहर ऐसे कई परिवार के लोग थे, जो डॉक्टरों को फोटो दिखाकर अपनों को ढूंढते दिखे।

गोंडा के रुपईडीहा निवासी जोखूराम के चाचा की भी गई जान

गोंडा के रुपईडीहा निवासी जोखूराम ने बताया कि वह परिवार के 10 लोगों के साथ संगम स्नान के लिए आए थे। रात करीब 12:30 बजे थे। वह और उनके परिवार के लोग स्नान करके वापस लौट ही रहे थे, तभी अचानक अफरातफरी मच गई, जिसमें उनके चाचा ननकन-45 की भीड़ में दबने से मौत हो गई। उन्होंने बताया कि वह खेती-किसानी करते थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा चार बेटे व एक बेटी है।

वहीं बलिया निवासी पूनम सिंह अस्पताल के बाहर फोन पर बात करते हुए फूट-फूटकर रो रही थीं। बिलखते हुए उन्होंने बताया कि वह अपनी देवरानी मीरा समेत परिवार के अन्य लोगों के साथ संगम में स्नान के लिए आईं थीं। घाट पर हुए हादसे में उनकी देवरानी मीरा गंभीर रूप से घायल हो गईं। एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल लाया गया है, लेकिन अभी तक उनके बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा है। मऊ के कोपागंज निवासी बबली विश्वकर्मा ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ संगम स्नान के लिए आईं थीं। रात में अचानक हुए हादसे की वजह से उनके भाई राम प्रवेश विश्वकर्मा लापता हो गए। घाट से लेकर अस्पताल तक खोजबीन की लेकिन देर शाम तक उनका कहीं पता नहीं चल सका। प्रीतमनगर निवासी मोहित श्रीवास्तव ने बताया कि वह अपनी बुआ नीलम श्रीवास्तव-55 समेत सात लोगों को लेकर संगम स्नान के लिए आए थे। घाट पर हुए हादसे के दौरान उनकी बुआ लापता हो गईं। सब जगह पता किया लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला।

जौनपुर के कठारे बिठुआ निवासी अंकित कुमार यादव ने बताया कि वह दादी कलावती देवी-60 और पड़ोसी श्यामा देवी-55 समेत छह महिलाओं के साथ संगम स्नान करने के लिए आए थे। मंगलवार देर रात घाट पर बैरिकेडिंग टूटने के बाद मची अफरातफरी के बाद दोनों लोग लापता हैं। केंद्र अस्पताल से लेकर खोया पाया केंद्र तक खोजबीन किया, लेकिन दोनों का कहीं कुछ पता नहीं चला।

दिल्ली के सालीमार्ग निवासी राम सनेही बताते हैं कि वह अपनी पत्नी अमरावती देवी-55 के साथ संगम स्नान करने के लिए आए थे। रात में हुए हादसे के दौरान उनकी पत्नी का हाथ उनसे छूट गया और वह भीड़ में लापता हो गई। अस्पताल में डॉक्टरों से पूछ रहा हूं, लेकिन कोई बताने को तैयार नहीं है। बिहार के बेगूसराय निवासी अमन बताते हैं कि वह छह लोगों के साथ मौनी अमावस्या पर संगम नहाने के लिए आए थे। इस दौरान हुए हादसे के बाद उनके चाचा अमरजीत कुमार सिंह लापता हो गए हैं। अस्पताल में भी पता किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला।

30 लोगों के नीचे दब गया था मेरा भाई: विनीत
सिरजा असम से आए विनीत पाल ने बताया कि हम चार लोग फंस गए थे। तीन लोग तो उठकर खड़े हो गए, लेकिन मेरे भाई नीति पाल के ऊपर 30 आदमी गिर जाने की वजह से वह उठ नहीं सका था। वहीं बेहोश हो गया था। जो आ रहा था बस देखकर चले जा रहे थे। दो घंटे बाद एंबुलेंस मिली। पुलिस ने हमें घाट पर ही छोड़ दिया था। रास्ता पूछ-पूछ कर अस्पताल तक पहुंचे हैं। साथ आई महिला ने बताया कि यदि समय से अस्पताल ले आते और वक्त रहते उसे इलाज मिल जाता तो मेरा भाई बच जाता।

दो बिछड़े, एक मिल गए…जीजा लापता
चित्रकूट के ओरन निवासी चंद्रपाल गांव करौंहा निवासी अपने 62 वर्षीय बहनोई चंद्रपाल कुशवाहा को ढूंढते हुए केंद्रीय चिकित्सालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि रात दो बजे से वह अपने बहनोई को ढूंढ रहे हैं लेकिन कोई कुछ बता नहीं पा रहा है। वह रात दो बजे स्नान करने के लिए जा रहे थे। तभी आगे से भीड़ आई और वह बिछड़ गए। उन्होंने कहा कि सात लोग साथ आए थे। दो लोग बिछड़े थे। इनमें से एक का फोन आ गया है कि वह सुरक्षित है, लेकिन हमारे जीजा नहीं मिल पा रहे हैं।

मां मिली बेहोश, साथी का पता नहीं
सुल्तानपुर के गांव बसोही निवासी रामप्रसाद यादव ने बताया कि हम रात 12 बजे घाट पर स्नान करने पहुंच गए थे। मैंने अपनी मां और साथ की एक महिला को कपड़ों की रखवाली के लिए छोड़ दिया था और बाकी सभी नहाने के लिए चले गए थे। जब लौटकर देखा तो वह बेहोश पड़ी थी। साथ की महिला का पता नहीं चला कि वह कहां है। उसका पति छोटेलाल यादव भी उसे ढूंढ रहा है। प्रयागराज के ट्रांसपोर्ट नगर निवासी अनिकेत कंबल लपेटे ही केंद्रीय चिकित्सालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह स्नान करने के लिए संगम में पहुंच गए थे और मम्मी को कपड़ों की रखवाली के लिए छोड़ा था। लौटे तो मम्मी का पता नहीं चला। इसके बाद कई जगह ढूंढ लिए लेकिन जानकारी नहीं मिल पा रही है।

मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर संगम तट पर हुई भगदड़ में मृतकों के दुखी परिजन – फोटो : अमर उजाला

छतरपुर के गांव लक्ष्मणपुरा निवासी रामकिशोर राजपूत ने बताया कि मेरा 24 वर्षीय भतीजा मुकेश स्नान कर चुका था। तभी अफरातफरी मच गई। उस वक्त हम नदी के किनारे पर थे। यदि पानी की तरफ जाते तो डूबने का खतरा था। इसलिए हमने एक-दूसरे का हाथ पकड़ लिया। लेकिन भीड़ के धक्का से हाथ छूट गया और भतीजा बिछड़ गया। कई स्थानों पर उसे तलाश नहीं पर कोई पता नहीं चल पा रहा है।

चार लोग दबे, बहू की मौत
छतरपुर निवासी पंचम ने बताया कि वह खेती कर परिवार की गुजर बसर करते हैं। गांव में लोगों ने कहा कि वर्षों बाद यह शुभ मुहूर्त आया है। इसलिए हम भी अपने 30 साथियों के साथ स्नान करने आए थे। मंगलवार को मैदान में ही रुके थे। वहीं पर सो भी गए थे। तभी रात करीब 11 बजे पुलिस वालों ने कहा कि स्नान शुरू हो गया है। नहाने चले जाओ। हम संगम की ओर जा ही रहे थे कि तभी भीड़ बैरिकेडिंग तोड़ आगे बढ़ने लगी। धक्का-मुक्की में चार लोग दब गए। इनमें से तीन लोग हल्ले, रतन, जाहर का पता नहीं चल रहा है। मेरी बेटी ने बताया कि 155 नंबर खंभा के पास मेरी बहू बेहोश है। एंबुलेंस से लाकर उसे उपचार के लिए भर्ती कराया था। बाद में पता चला कि उसकी मौत हो गई।

महाकुंभ में हमेशा के लिए बिछड़ गए 50 साल पुराने दोस्त
कभी सोचा नहीं था कि महाकुंभ में अपने 50 साल पुराने दोस्त से हमेशा के लिए बिछड़ जाऊंगा। यह बोलकर ओडिशा से आए शुभेंदु शतपति फफक पड़े। उन्होंने मेले में हादसे में अपने दोस्त शिवराजा गुप्ता को गंवा दिया। ओडिशा के वारीपद के शुभेंदु बुधवार दोपहर ढाई बजे के आसपास शिवराजा का शव लेकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। प्रशासन पर अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए बोले कि पता नहीं था कि यह हालत होगी, वरना कभी नहीं आता। शुभेंदु और शिवराजा कक्षा-दो से बीएससी तक साथ पढ़े। इसके बाद शिवराजा झारखंड चले गए। महाकुंभ में दोनों ने प्रयागराज आने की योजना बनाई। संगम में स्नान करने के बाद लौटते वक्त हादसे में हमेशा के लिए अपने दोस्त को गंवा बैठे। 

मृतकों का नहीं हुआ पोस्टमार्टम
महाकुंभ हादसे में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के पोस्टमार्टम न करने का फैसला प्रशासन और मेडिकल कॉलेज प्रशासन की आपसी सहमति से लिया गया है। माना जा रहा है कि इसमें अधिकतर लोगों की मौत भीड़ में दबने और दम घुटने से हुई है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *