लखनऊ। शिया बफ़्फ़ बोर्ड में हुए करोड़ो रूपये के जमीनी घोटालों की जांच के लिए लगभग 15 वर्षो से निरंतर संघर्ष करने वाले शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद को आखिरकार सफलता मिल गई। उनके द्वारा पूर्व सरकारों से की गई सीबीआई जांच की मांग को गम्भीरता से नही लिया गया। लेकिन भाजपा सरकार ने बफ़्फ़ बोर्ड की करोड़ो रूपये की जमीनों में हुए भ्र्ष्टाचार की जांच कराने की मौलाना कल्बे जवाद की मांग को जायज मानते हुए सीबीआई से इसकी जांच कराने की सिफारिश की।
इस संदर्भ में शिया धर्मगुरु कल्वे जवाद ने गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर उनको पूरे मामले से अबगत कराया मामले की गम्भीरता को दृष्टिगत रखते हुए सीबीआई ने बफ़्फ़ बोर्ड ज़मीनी घोटालो में दो रिपोर्ट दर्ज कर जांच आरम्भ कर दी हैं।
मिली जानकारी के अनुसार पूर्व सरकारों में बफ़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन वसीम रिजवी जो कि सपा सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खां के बहुत चहेते थे। उन्होंने पद पर रहते हुए करोड़ो रुपयों की बफ़्फ़ बोर्ड की जमीनों को आजम खां को आजम खान जौहर विश्व विद्यालय के नाम पर देने का मन बना लिया था। 2014 में इस मामले की जानकारी मिलने पर तमाम लोगों ने आजम खां के घर का घिराव किया था। उस समय जनता पर लाठी चार्ज हुआ और एक व्यक्ति की मौत हो गई। फिर भी रिजवी पद पर आसीन रहे।
वफ्फ बोर्ड की वेश कीमती जमीनों को कौड़ियों के भाव मे खरीदने वालों में आजम खां के अलावा, विजय माल्या, पोंटी चड्ढा, मुख्तयार अंसारी, अतीक अहमद, लल्लू यादव के अलावा पंचम तल के आला अधिकारी, जिलाधिकारी, एसडीएम, पटवारी, तक बफ़्फ़ बोर्ड की जमीनों के घोटालो में संलिप्त हैं। दूसरी तरफ केंद्रीय वफ्फ बोर्ड कौंसिल भी इस गम्भीर मामले की जांच कर रहा है। वो भी अपनी रिपोर्ट सीबीआई को सौपेगा। इससे एक बात तो साफ हो जाएगी कि जिस तरीके से बफ़्फ़ बोर्ड की जमीनों का बन्दर बांट हुआ वो खुलकर सामने आएगा।
साथ ही पिछली सरकारों में जिन जिन लोगों ने बफ़्फ़ बोर्ड की जमीनों की लूट की है, जिनमे चाहे वसीम रिजवी हों, बड़े बड़े अधिकारी हो माफिया हो मंत्री हो, सभी का मुकाम जांच के बाद जेल होगा यह लगभग तय है। कहावत है बकरे की अम्मा कब तक सिन्नी बांटेगी।कभी तो छुरी के नीचे आएगा ही। ये कहावत वफ्फ के चैयरमैन रहे वसीम रिजवी पर पूरी तरह चरितार्थ होती है।