पटना,विवेक रॉय| बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी दलों से वार्ता के लिए गठित भाकपा माले की वार्ता कमेटी की बैठक विगत 10 सितंबर को पटना में हुई। बैठक में इस बात पर चिंता जाहिर की गई की परिस्थितियों की मांग और जनाकांक्षा के अनुरूप ही विपक्षी दलों के बीच तालमेल को लेकर अपेक्षित गति अब तक नहीं आ सकी है, जिसके कारण जनता में गलत संदेश जा रहा है और पूरे बिहार में भाजपा जदयू सरकार की जनविरोधी नीतियों की असफलताओं के खिलाफ जनता का चरम आक्रोश होने के बावजूद निजी स्तर पर सामाजिक राजनीतिक संगठन धुर्वीकरण की प्रक्रिया की गति नहीं मिल रही है।
विपक्षी दलों के बीच तालमेल में अपारदर्शी एवं गतिरुद्र प्रक्रिया नुकसानदेह साबित हो सकती है। विगत लोकसभा चुनाव के समय अपनायी गयी विलंबित और जटिल प्रक्रिया का नतीजा हम सब ने देखा है। लोकसभा के समय के आत्मघाती प्रयोग को कतई दोबारा इजाजत नहीं दी जा सकती है।
हमारी मांग है विपक्षी दलों के बीच तालमेल की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनाया जाए। उसमें सभी दलों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और उसका केंद्र दिल्ली की बजाय पटना को बनाया जाए।
बिहार में भाजपा के खिलाफ वैचारिक से लेकर जमीन पर चलने वाली लड़ाईयों में भाकपा माले और वामपंथी दल अगली कतार में है। भाजपा जदयू सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ने वाली धारा के बतौर और राजद के बाद सबसे बड़ा ब्लॉक वामपंथ का है, इसलिए तालमेल की जरूरी प्रक्रिया में वामपंथी दलों को शामिल किया जाना चाहिए और सीटों के तालमेल में उसकी अभिव्यक्ति भी होनी चाहिए। आगामी 16 सितंबर को पटना में भाकपा माले की बिहार राज्य कमेटी बैठक आयोजित है। इस बैठक में भाकपा माले अपने चुनाव अभियान को निर्णायक स्वरूप प्रदान करेगी। बैठक में भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य भी उपस्थित रहेंगे।