कासगंज। अतुल यादव: पूत कपूत सुने बहुतेरे माता न सुनी कुमाता वाली कहावत कलियुग में उल्टी हो गयी। जहां एक माँ अपने कलेजे के टुकड़े को कूड़े के ढेर में फेंक कर ममता का गला घोंट गयी। बच्चे को रोता हुआ देख ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हुई तो एक स्थानीय महिला ने बच्चे की परवरिश करने की जिम्मेदारी उठाने का संकल्प लिया। नवजात शिशु के मिलने से लोग उस कुमाता को कोसते हुए नजर आए।
आपको बता दें कि यह मामला उत्तर प्रदेश के जनपद कासगंज का है। कासगंज सदर कोतवाली क्षेत्र के गांव किलोनी रफातपुर में एक नवजात बच्चे को महिला लावारिस अवस्था में घूरे के ढेर पर फेंक कर फरार हो गई। आसपास से गुजर रहे लोगों ने जब बच्चे के रोने की आवाज सुनी तो इसकी जानकारी जंगल में लगी आग की तरह फैल गई. मौके पर सैकडो की संख्या महिलाओं पुरुषों की भीड जुट गई और तरह तरह की चर्चाएं होने लगी।
इसी बीच एक महिला पहुंची और उसने बच्चे को गोद में उठा लिया और किसी को नहीं देने की बात करने लगी। बच्चा एकदम स्वास्थ्य है।यकीन मानिए कि जो भी नवजात बच्चे को देखता वहीं उस कुमाता बनी माता के बारे कोस ही नहीं रहा था बल्कि क्या क्या कह रहा था, यह बात हम आपको बता नहीं सकते।
इसके बाद बच्चे की देखरेख की जिम्मेदारी राजवीर सिंह नाम के ग्रामीण की पत्नी को सौप दी, राजबीर पर कोई भी बेटा नहीं है। चार वेटियां है।गांव के ग्रामीण राजकुमार सिंह के मुताबिक किसी महिला ने अवैध तरीके से जन्में बच्चे को लोकलज्जा के कारण घूरे के ढेर पर फेंक गई है।