बिहार,कैमूर| अजीत कुमार गुप्ता | विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही ग्रामीण अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर वोट बहिष्कार का बैनर गांव के मुख्य द्वार पर लगाना शुरू कर दिया है। सरकार न्याय के साथ विकास की बात तो करती है लेकिन अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां विकास कोसो दूर है, ऐसे गांव वालों को सरकार कैसे अपने विकास की बातों को समझा पायेगी।
ऐसा ही नजारा कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लबेदहाँ गांव का है। जहां से बीजेपी के विधायक अशोक सिंह चुनाव जीत कर विधायक बने हुए हैं। लेकिन लबेदहाँ गांव के ग्रामीण विधायक जी के जीतने के बाद भी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
500 घरों वाला लबेदहाँ गांव जहां ग्रामीणों के निकासी के लिए आज तक सड़क नहीं बन पायी है, और ना ही जल निकासी का कोई प्रबंध हो पाया है। पिछले 30 सालों से ग्रामीण ऐसे ही हालात देख रहे हैं, जिस कारण मजबूर होकर अब रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद कर रहे हैं।
ग्रामीण बताते हैं जब भी चुनाव आता है जितने भी लोग गांव में वोट मांगने के लिए आते हैं सब यही कहते हैं हम लोगों को वोट दे दीजिए हम जीतेंगे तो आपकी समस्याएं दूर कर देंगे। लेकिन आज 30 सालों से हम लोग अपने रोड की समस्या को झेल रहे हैं। यहां तक कि घरों से निकलने वाले गंदे पानी के जल निकासी की भी व्यवस्था नहीं है। हम लोग गुहार लगाते लगाते थक चुके हैं। अब हम लोगों ने मन बना लिया है कि अगर हम लोगों के गांव की सड़क नहीं बनेगी तो हम लोग किसी भी परिस्थिति में वोट देने नहीं जायेंगे। यह एक व्यक्ति का फैसला नहीं है बल्कि इस गांव के 500 घरवाले आबादी के सभी लोग इस फैसले पर कायम हैं। क्योंकि समस्याएं सबको हो रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत बारिश के मौसम में पढ़ने वाले बच्चों और बीमार लोगों को झेलना पड़ता है। जैसे तैसे खाट पर टांग कर बीमार लोगों को हम लोग इस आधुनिक युग में भी ले जाते हैं। हम लोगों की मूलभूत समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं है तो हम लोग आखिर अपना वोट किसे देंगे और क्यों दें।