नई दिल्ली (आरएनएस)। इंटरपोल ने एक बार फिर भारत को झटका देते हुए एसएफजे सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया है। ये दूसरा मौका है जब इंटरपोल ने कनाडा स्थित सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक और सरगना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से मना कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अधिकारी अपने मामलों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दे सके। सूत्रों ने ये भी बताया कि इंटरपोल ने यह भी संकेत दिया कि यूएपीए कानून दुरुपयोग करने के लिए बनाया गया है, जिसके तहत भारत ने रेड कॉर्नर नोटिस के लिए कहा था।

इंटरपोल ने कहा कि इस कानून का प्रयोग सरकार के आलोचकों, अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं को टारगेट करने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि इंटरपोल ने स्वीकार किया कि पन्नू एक हाई-प्रोफाइल सिख अलगाववादी है। इंटरपोल का तर्क है कि एसएफजे का एक स्पष्ट राजनीतिक आयाम है और इंटरपोल के संविधान के अनुसार, रेड कॉर्नर नोटिस के लिए मानक पूरी नहीं करता।

पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई भारतीय एजेंसियां
दूसरे देश में मौजूद किसी अपराधी के खिलाफ जब भी कोई देश रेड कॉर्नर नोटिस की मांग करता है तो इसके लिए इंटरपोल को पर्याप्त सबूत पेश करने होते हैं। ये साबित होना जरूरी होता है कि आरोपी शख्स आतंकी गतिविधियों में लिप्त था। इंटरपोल के मुताबिक भारत का नेशनल सेंट्रल ब्यूरो ऐसा करने में नाकाम रहा। इससे ये साबित नहीं हो पाया कि पन्नू आतंकी गतिविधियों में शामिल था। मई 2021 में भारत की तरफ से पन्नू के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की गई थी।
क्या होता है रेड कॉर्नर नोटिस

रेड कॉर्नर नोटिस को दुनियाभर में रेड नोटिस के नाम से जाना जाता है। जब भी कोई बड़ा अपराधी या आतंकी किसी दूसरे देश में छिपकर रहता है तो उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस की मांग होती है। इंटरपोल इस नोटिस को जारी करता है। जिसके बाद दुनियाभर की तमाम एजेंसियों और पुलिस को उस अपराधी का ब्योरा दिया जाता है और उसे लेकर अलर्ट जारी होता है। हालांकि रेड कॉर्नर नोटिस सीधे अरेस्ट करने का अधिकार नहीं देता है, लेकिन जरूरत पडऩे पर अपराधी को किसी और देश की पुलिस हिरासत में ले सकती है। इंटरपोल को अंतरराष्ट्रीय पुलिस भी कहा जा सकता है, दुनिया के करीब 150 से ज्यादा देशों में इंटरपोल काम करता है।