खबर का असर: डीजी की सख्ती रंग लायेगी,अजय पाण्डेय भेजे गये बरेली जांच के लिये

संजय श्रीवास्तव
Impect homeguards news : द संडे व्यूज़‘ व ‘इंडिया एक्सप्रेस न्यूज’ की खबरों को गंभीरता से लेते हुये डीजी,होमगार्ड एम.के.बशाल ने डीआईजी,सीटीआई अजय पाण्डेय को जांच के लिये बरेली भेजा है। खबर प्रसारित होने के बाद अनुशासन और सख्ती के लिये जाने जाने वाले डीजी श्री बशाल ने बरेली से गायब 40 होमगार्डों की सच्चाई जान रिपोर्ट पेश करने का निर्देश अजय पाण्डेय को दिया। बता दें कि श्री पांडेय की छवि भी साफ-सुथरी अधिकारियों में की जाती है। उम्मीद है कि बरेली ट्रेनिंग सेंटर में हो रहे एक बड़े गड़बड़झाला का पर्दाफाश होगा। बता दें कि द संडे व्यूज़ व इंडिया एक्सप्रेस न्यूज ने 11 दिसंबर 2025 को खबर प्रसारित की थी कि बरेली ट्रेनिंग सेंटर में आये 40 होमगार्ड लापता हो गये ? इसके बाद विभाग में हड़कम्प मच गया। डीजी श्री बशाल ने अफसरों को बुलाकर फटकार लगायी और तत्काल प्रभाव से जांच बिठा दी। खबर का सार इस प्रकार से है…

बरेली। बरेली की पहचान तो मशहुर गाना… बरेली के बाजार में झुमका गिरा रे…से मशहुर है। लेकिन, अब यहां पर होमगार्ड विभाग के ट्रेनिंग सेंटर पर तैनात डिवीजनल कमांडेंट और उनके शातिर शार्गिद रंगबाजी, वसूली और धमक भरे अंदाज की पहचान बना रहे हैं। इस समय (सीटीआई) मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र,बरेली में 1 दिसंबर से 30 दिसंबर तक ग्रामीण होमगार्डों की ट्रेनिंग चल रही है। ट्रेनिंग में 100 होमगार्ड आये लेकिन 40 गायब हो गये…। लापता जवानों ने वहां तैनात शिविर मेजर दशेन्द्र शर्मा की ‘दबंगई’ और ‘सिस्टम’ पर चले और लापता हो गये। कोई पूछने वाला नहीं कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में होमगार्ड कहां गये ?

दबी जुबान से सिस्टम पर ना चलने वाले और सुबह से लेकर शाम तक कदमताल ठोंक कर पसीना बहाने वाले होमगार्डों ने बताया कि शिविर मेजर को 40 होमगार्डों ने 10 से 12 हजार रुपये दिये हैं। सोचिए, बैठे-बिठाये मंडलीय कमांडेंट और उसके शागिर्द को 4 लाख से लेकर साढ़े चार लाख रुपये मिल गये। हालांकि ‘द संडे व्यूज़’ और ‘इंडिया एक्सप्रेस’ वसूली की रकम की पुष्टिï= नहीं करता लेकिन एक सवाल जरुर दागेगा… आखिर ट्रेनिंग पर आये 40 होमगार्ड कहां लापता हो गये हैं ? इसका जवाब विभागीय मंत्री धर्मवीर प्रजापति और डीजी,होमगार्ड दे सकते हैं ?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 दिसंबर को होमगार्ड दिवस पर विभागीय अधिकारियों और होमगार्डों की कार्यशैली की जमकर प्रशंसा की। सुनकर अच्छा लगा लेकिन इस विभाग में कुछ ऐसे अफसर हैं,जिनकी तुलना हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने को कुछ और हैं,से होती दिख रही है। ये बातें बरेली मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र के मंडलीय कमांडेंट संदीप कुमार सिंह पर सही बैठती है। इस विभाग में कुछ प्रमोटी अफसरों की खास पहचान है कि वे सरकार द्वारा दी जा रही सैलरी को एकाउंट से निकालना नहीं चाहते, इसीलिये एक बार में ही ऐसा ‘गेम’ बजा देते हैं कि कुछ माह का इनका खर्चा चल जाये और भौकाल भी बना रहे।

ताजा मामला मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र, बरेली का है। यहां पर एक दिसंबर से लेकर 30 दिसंबर तक ग्रामीण होमगार्ड की एक माह की ट्रेनिंग चल रही है। जवानों ने बताया कि 100 में से 40 होमगार्ड यहां पर नहीं हैं। यानि ट्रेनिंग पर आने के बाद से गायब हो गये हैं। बताया जाता है कि सभी जवानों से शिविर मेजर दशेन्द्र शर्मा 10 से 12 हजार रुपये लिये है। सारा खेल मंडलीय कमांडेंट के इशारे पर किया जा रहा है। जिसने उनकी मांग पूरी की,उसे जाने दिया। शिविर मेजर बरेली का ही रहने वाला है और ट्रेनिंग पर उसकी बात ना मानने पर जवानों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। होमगार्डों से की गयी वसूली या नहीं,इस पर’ द संडे व्यूज़’ और ‘इंडिया एक्सप्रेस न्यूज़’ पुष्टि नहीं करता लेकिन बिना चिंगारी आग नहीं लगती…।सोचने की बात ये है कि आखिर मुख्यालय पर बैठे अफसर मुख्यमंत्री की वाहवाही के बाद इस कदर अंधे हो गये हैं कि बड़े जनपदों और ट्रेनिंग सेंटरों पर जवानों को लूटने वाले अफसरों पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं।