अपर प्रमुख सचिव बाबूलाल मीणा का ऐतिहासिक फैसला : पेचीदा नियमों के उलझी 1000 मृतक आश्रितों की भर्ती से रोक हटी
आईजी विवेक सिंह ने किसके इशारे पर अपर प्रमुख सचिव के आदेश को दबाया ?
आदेश: 27 सितंबर 2012 के अनुरुप स्वयंसेवकों,अवैतनिक पदाधिकारियों के मृतक आश्रितों की नियुक्ति सुनिश्चित करें
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में ऐसे भी ‘नगीने’ हैं जो उनकी सोच को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इनमें से एक अपर प्रमुख सचिव बाबूलाल मीणा हैं,जिन्हें होमगार्ड विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। श्री मीणा ने लंबे समय से मृतक आश्रितों की उस भर्ती से रोक हटा दी,जिसमें पांच वर्ष से पुराना प्रकरण हो जाने पर मृतक जवान के परिजनों को नौकरी नहीं मिल पा रही थी। इस वजह से सूबे में लगभग 1000 से अधिक मृतक आश्रितों को नौकरी नहीं मिल पा रही थी। अपर प्रमुख सचिव ने गरीब जवानों के परिजनों के दर्द को समझा और गत् 6 नवंबर को डीजी, होमगार्ड को पत्र लिखकर भर्ती करने की अनुमति दे दी, लेकिन मुख्ययालय के अफसरों ने प्रमुख सचिव के इस महत्वपूर्ण आदेश को ही दबा दिया। जी हां, ये हाल है होमगार्ड विभाग के ऐसे जांबाज अफसरों की, जिनमें वर्दी की इतनी अकड़, रौब है कि वे अपर प्रमुख सचिव के आदेश को भी अन्य पत्रावलियों की तरह गायब करने या यूं कहें दबाने का दम है। तभी तो, जो पत्र लोकभवन से 6 नवंबर को चलकर होमगार्ड मुख्यालय पहुंचा, उसे 28 नवंबर 2024 को प्रदेश के समस्त जिला कमांडेंट को वितरित किया गया, क्यों ? जब 6 नवंबर को ही प्रमुख सचिव के पत्रांक संख्या 817-06-11-2024 पर डीजी,आईजी (पु.),सीनियर स्टॉफ अफसर ने हस्ताक्षर कर अग्रेतर कार्रवाई के लिये लिख दिया था तो आईजी विवेक सिंह ने जवानों के हित से जुड़े इस आदेश को 28 नवंबर को क्यों जारी किया ? यही हाल रहा तो आगामी विधान सभा में…।
6 नवंबर 2024 को अपर प्रमुख सचिव के निर्देश पर जय सिंह,अनु सचिव ने डीजी बी के मौर्या को होमगार्ड स्वयं सेवकों,अवैतनिक होमगार्ड पदाधिकारियों की मृत्यु,स्थायी रुप से अपंग होने पर उनके पात्र आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर होमगार्र्ड स्वयं सेवक के पद पर सेवायोजित किये जाने की समयावधि के संबंध में पत्र जारी किया। पत्रांक संख्या 817 में निर्देशित किया गया है कि 27 सितंबर 2012 के प्रस्तर 5 में यह व्यवस्था है कि मृतक आश्रितों के तौर पर भर्ती होने के लिये यह आवश्यक है कि संबंधित होमगार्ड स्वयंसेवक,अवैतनिक होमगार्ड पदाधिकारी की मृत्यु,स्थायी रुप से अपंग होने की तिथि से 5 वर्ष के भीतर आवेदन कर दिया गया हो। अपरिहार्य परिस्थितियों में आवेदन करने की 5 वर्ष की अधिकतम समय सीमा में शिथिलताकरण शासन की अनुमति से किया जा सकता है।
शासनादेश 5 दिसंबर 2023 द्वारा उक्त शासनादेश 27 सितंबर 2012 के प्रस्तर 5 की व्यवस्था को इस प्रकार संशोधित किया गया है कि यदि नियोक्ता प्राधिकारी के रुप में संबंधित जिला कमांडेंट होमगार्ड द्वारा मृतक होमगार्ड स्वयंसेवक, अवैतनिक हेामगार्ड पदाधिकारी की मृत्यु तिथि से 5 वर्ष की समय सीमा के अंतर्गत उनके पात्र आश्रित को सेवायोजित करते हुये नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया जाता है तो उक्त समय सीमा व्यतित हो जाने के बाद ऐसे प्रकरणों में सेवायोजन हेतु शासन स्तर से अनुमति प्राप्त किया जाना अनिवार्य होगा। भले ही सेवायोजन हेतु आवेदन 5 वर्ष की अवधि के अंदर प्राप्त हो गया हो।इस आदेश की वजह से बहुत सारे प्रकरण अनावश्यक रुप से शासन को संदर्भित हो रहे हैं,जबकि उन मामलों से महासमादेष्ट,होमगार्ड एवं नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अपने स्तर से औचित्यपूर्ण परीक्षण कर नियमानुसार निर्णय लिया जाना चाहिये। अपर प्रमुख सचिव श्री मीणा ने पत्र में निर्देशित किया है कि इस सबंध में निर्णय लिया जाता है कि 27 सितंबर 2012 में निर्धारित व्यवस्था के अनुरुप होमगार्ड स्वयंसेवकों , अवैतनिक पदाधिकारियों के मृतक आश्रितों की नियुक्ति सुनिश्चित कराने का कष्ट करें। स्वयं सेवकों की मृत्यु के 5 वर्ष के अंदर यदि सेवायोजन के लिये आवेदन प्राप्त होता है तो मृतक आश्रितों की नियुक्ति किये जाने के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी एंव यथावश्यकता डीजी स्तर से नियमानुसार यथोचित निर्णय लेकर कार्यवाही की जाये। अनावश्यक प्रकरणों को शासन को संदर्भित न किया जाये एवं मामलों को एक माह के अंदर निर्णीत किया जाये।
सोचिये, इस आदेश से सरकार को आगामी विधान सभा चुनाव में कितना बड़ा फायदा होने वाला है लेकिन शायद ये बात होमगार्ड विभाग के आई जी विवेक सिंह को समझ में नहीं आया। या हो सकता है वे एक साथ इतने सारे पद संभाल रहे हैं कि उन्हें बटोरने से फुरसत नहीं मिल रहा है। बात जो भी इस आदेश को उत्तर प्रदेश के समस्त कमांडेंट को एक नहीं कुल 24 दिनों बाद सर्कुलेट किया गया। भईया, द संडे व्यूज़ का सवाल तो बनता है और डंके की चोट पर करूंगा क्योंकि ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच के साथ कुठारघात करने जैसा काम इस विभाग के अफसरों ने किया है। शासन इस बात की तस्दीक करे कि आखिर किसके इशारे पर आईजी विवेक सिंह ने अपर प्रमुख सचिव श्री मीणा के पत्र को 24 दिनों बाद जारी किया ?