मुरादाबाद। नईम खान: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ो रूपये ख़र्च कर बनाया गया डियर पार्क आज देखभाल न होने की वजह से बदहाल है। पार्क में लगाये झूले में लगा समान गायब है तो वहीं नौका यान के लिये बनाई गई झील सुख चुकी है। इतना ही नही पार्क में चंद बाक़ी बचे वन्यजीवों को पार्क की तरफ़ से खाने को भी कुछ नही मिल रहा है। पार्क के आसपास रहने वाले लोग ही कभी घांस तो कभी बिस्किट लाकर वन्यजीवों को खिला रहे हैं।
सालों पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने करोड़ो रूपये ख़र्च कर मुरादाबाद के रामपुर रोड पर रामगंगा नदी किनारे डियर पार्क का निर्माण कराया था। इस पार्क में काफ़ी झूले भी लगाने के साथ ही रेस्टोरेंट भी बनाये गए थे, नोका यान चलाने के लिये एक बड़ी झील का निर्माण भी कराया गया था। इस पार्क में वन्यजीवों को भी बाड़े में लाया गया था, पार्क में हिरण, ज़ेब्रा, बारासिंघा, ऊदबिलाव, मगरमच्छ, सारस, खरगोश सहित और भी काफी वन्यजीव थे, लेकिन धीरे धीरे पार्क में बजट की कमी आने लगी। जिसके बाद पार्क में देखभाल कम होने लगी। आज पार्क में सिर्फ़ दीवारों पर बने चित्र में ही वन्यजीव तंदरुस्त नज़र आ रहे हैं। पार्क के बाड़े में बचे कूचे वन्यजीव खाना न मिलने की वजहा से काफ़ी कमज़ोर हो रहे हैं। उनके शरीर मे साफ़ वक़्त पर पूरा खाना न मिलने के निशान नज़र आ रहे हैं।
पार्क में बनाई गई झील सुख गई हैं। नाव ग़ायब हो गई हैं। मगरमच्छ बाढ़ का पानी आने से बह गया। अन्य वन्यजीव या तो मर गये या फ़िर भाग गये। आज पार्क में कोई कर्मचारी भी मौजूद नही है। पार्क जंगल बना हुआ है। आसपास के लोग ही पार्क में बंद बचे वन्यजीवों को कुछ न कुछ खिला देतें हैं। जैसे तैसे पार्क में बंद वन्यजीव अपने दिल गुज़ार रहे हैं। मीडिया की टीम देखकर पार्क में अचानक पहुंचे एक व्यक्ति ने एक बज़ुर्ग महिला को अपने साथ लेकर कुछ घांस व पेड़ के पत्तों को लाकर खानापूर्ति के नाम पर लाकर डाल दिए।
वहीं इस मामले में पार्क प्रशासन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के कारण वन्यजीवों को किसी सेंचुरी में शिफ़्ट कर दिया जाएगा। लेकिन वो वन्यजीवों के भूखे रहने व पार्क की बदहाली पर कोई संतोषजनक जवाब नही दे पाए।