विवेक सिंह देख रहे हैं डीआईजी-पुलिस,डीआईजी मुख्यालय,डीआईजी,डीआईजी सीटीआई,डीआईजी-बुंदेलखण्ड झांसी
सवाल क्या होमगार्ड विभाग में विवेक सिंह ही सबसे काबिल अधिकारी हैं ?
सवाल : विवेक सिंह ही काबिल हैं तो इन्हें सभी डीआईजी का पद देखने के लिये शासन ने क्यों नहीं दिया लिखित आदेश ?
सवाल: झांसी में हुयी घटना की जिम्मेदारी क्या आईजी विवेक सिंह लेंगे ?
संजय पुरबिया
लखनऊ। जब एक ही अधिकारी पूरा विभाग संभालेंगे तो झांसी ट्रेनिंग सेंटर जैसे प्रकरण होते रहेंंगे। यहां पर कोई डीआईजी नहीं है। चौंकिये मत, झांसी ही नहीं डीआईजी-मुख्यालय,डीआईजी-सीटीआई,डीआईजी-बुंदेलखण्ड झांसी और डीआईजी पुलिस आदि सभी पदों का काम मुख्यालय पर तैनात आईजी-होमगार्ड विवेक सिंह ही देख रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि शासन ने इन्हें लिखित आदेश नहीं दिया है। डीआईजी के समस्त पद विवेक सिहं मौखिक तौर पर संभाल रहे हैं। सीधी बात करें तो पूरा का पूरा होमगार्ड विभाग हवा में चल रहा है…। क्या इस विभाग में और डीआईजी तैनात नहीं हैं ? कहीं ये ‘कुर्सी’ और पद की ‘लालसा’ तो नहीं ? यदि नहीं तो फिर इस विभाग में डीआईजी और आईजी को ‘दामाद’ की तरह क्यों पूजा जाता है…।
झांसी के होमगार्ड प्रशिक्षण केन्द्र में सुरजन कुक ने कल दो इंस्पेक्टरों द्वारा पिटाई करने के बाद जहर खाकर आत्महत्या कर लिया। सच्चाई क्या है इसका पता तो पुलिस की जांच के बाद पता लगेगा। झांसी के होमगार्ड प्रशिक्षण केन्द्र के मंडलीय कमांडेंट विद्याभूषण शर्मा का कहना है कि 15,16,17 को विभागीय मीटिंग में गये थे। डीआईजी-बुंदेलखण्ड का पद रंजीत सिंह के रिटायरमेंट के बाद से खाली चला आ रहा है। डीआईजी का काम लखनऊ मुख्यालय पर बैठे आईजी-होमगार्ड विवेक सिंह देख रहे हैं। सोचने की बात है कि जो आईजी मुख्यालय पर बैठकर यहां के ट्रेनिंग सेंटरों की खान-पान सहित अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं कर पाते वो भला लखनऊ में बैठकर झांसी ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्था का कैसे आंकलन करते होंगे ?
चौंकाने वाली बात तो ये है कि डीआईजी-मुख्यालय से ही प्रमोट होकर विवेक सिंह आईजी बने हैं लेकिन इनसे अभी तक डीआईजी-मुख्यालय का कार्यभार नहीं लिया गया है। क्यों ? इतना ही नहीं,डीआईजी-बुंदेलखण्ड,डीआईजी-सीटीआई और डीआईजी-पुलिस जैसे बड़े पदों की जिम्मेदारी भी विवेक सिंह को सौंप दिया गया। खास बात ये है कि विवेक सिंह को शासन ने अभी तक लिखित रुप से पत्र जारी नहीं किया है कि आप ही सभी चारो डीआईजी के पदों का कार्यभार देखेंगे…। मौखिक रुप से हवा में सब कुछ चल रहा है…। ये गंभीर बात है क्योंकि एक ही अफसर से काम कराने का मतलब ही है कि ऊपर बैठे लोगों का कोई ना कोई स्वार्थ होगा…. क्या स्वार्थ है, इसका सही जवाब तो शासन में बैठे अफसरान ही दे सकते हैं….।
नाम न छापने एवं बड़ी कुर्सी के लिये चाहत,प्रेम रखने वाले एक अधिकारी ने अपनी भड़ास निकालते हुये कहा किभईया आखिर विवेक सिंह में कितनी काबिलियत है कि इनके नाजुक कंधों पर एक नहीं,पूरे चार डीआईजी के पदों का कार्यभार सौंप दिया गया है। क्या अन्य डीआईजी और मंडलीय कमांडेंट ग्रेड 2 नकारा हैं ?
हालांकि इस बारे में कुछ अर्से पहले आईजी विवेक सिंह से बात की गयी जिस पर उनका जवाब था कि मैं हमेशा कहता हूं कि मुझसे अन्य पदों की जिम्मेदारी ले ली जाये लेकिन मेरी कोई सुनता ही नहीं है। इनका तर्क सही है क्योंकि आखिर एक अधिकारी इतनी सारी जिम्मेदारियां कैसे उठा सकता है? खैर, बात जो भी हो, डीआईजी के सभी कुर्सी पर जब तक अधिकारी नहीं बैठेंगे,झांसी के ट्रेनिंग सेंटर की तरह घटनाएं होती रहेंगी क्योंकि वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी के अहसास से ही निचले स्तर के अधिकारी एवं कर्मचारी सही तरीके से अपने ड्यूटी को अंजाम देते हैं।