हिन्दी हमारी मातृ भाषा…


 मीरा श्रीवास्तव

लखनऊ। आज समाज में जनसाधारण अथवा विद्यार्थियों का ‘दूसरी‘ या कहें तो ‘तीसरी भाषा’ के प्रति बढ़ते आकर्षण को और अपनी मातृभाषा का टूटे- फूटे रूप मे ‘वाचन‘ और ‘लेखन’ को देखकर मन सशंकित हो उठता है, हमारी भाषा का भविष्य क्या है ? किन्तु मात्र सोचने या शंका करने से इसका समाधान नहीं मिल सकता। अगर हम सच्चे ‘हिन्दी हिन्दुस्तानी’ हैं तो हमे ही कुछ ठोस कदम उठाने होंगे…। कहते है न कि बूंद- बूंद से सागर भरता है…। वैसे ही हमारे छोटे- छोटे प्रयास, हमारी हिन्दी को सम्पन्न और सशक्त बनायेंगे। इस परिप्रेक्ष्य मे सर्वप्रथम हम मात्रात्मक त्रुटियों की शुद्धिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुये अपनी ‘शब्द शक्ति’ को बढ़ाने का प्रयास करते हैं।

हमारे वर्णमाला में ‘स्वर’ और ‘व्यंजन’ है, जिसमे स्वर तो पूर्णतया ‘स्वतंत्र’ होता है, ‘लिखने’ में और ‘बोलने ‘में भी, किन्तु व्यंजन को एक बार बिना स्वर की सहायता के लिख तो सकते हैं किन्तु बोलने मे सदैव ‘स्वर’ का सहारा लेना पड़ता है जैसे– स्कूल शब्द में बिना ‘स्वर’ की सहायता के लिख सकते हैं किन्तु बोलने में हम ‘इ’ स्वर की सहायता लेते ही हैं । किसी भी व्यंजन के साथ एक ही स्वर का प्रयोग होता है, एक से अधिक का नहीं। जैसे- गृह, मृग आदि शब्दों को लिखने में कभी- कभी लोग ‘ऋ’ की मात्रा के साथ ‘इ’ की मात्रा का भी प्रयोग करते हैं जो कि अशुद्ध है ।’ ऋ’ स्वर का प्रयोग हुआ है इसलिये दूसरे स्वर का प्रयोग इसके साथ नही करेंगे ।

1-‘अ’ और ‘आ’ का प्रयोग, शुद्घ व्यंजन सदैव अधूरा होता है। इसे ‘हलंत’ ‘र्’ से दर्शाया जाता है, किन्तु इसके बोलने और लिखने में यदि कोई और स्वर की मात्रा का सहारा न हो तो सदैव ‘अ’ स्वर प्रत्येक व्यंजन के साथ युक्त होकर ही लिखा जाता है और बोला जाता है । ‘अ’ की मात्रा वाले शब्द के अंत में यदि ‘इक’ का प्रयोग करेंगे तो शब्द के आदि के ‘अ’ का ‘आ’ हो जाता है । जैसे समाज- सामाजिक, अर्थ का आर्थिक, धर्म का धार्मिक आदि।

‘कि’ और ‘की’ का उचित प्रयोग

2- कि छोटी इ की मात्रा है । इस का प्रयोग दो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष वाक्यों को जोडऩे में किया जाता है । जैसे- सूरज ने अपने मित्र से कहा कि कल से हम साथ-साथ पढ़ाई करेंगे इसमे सूरज ने अपने मित्र से कहा और कल से हम साथ – साथ पढ़ाई करेंगेï। ये दोनों ही वाक्य है, जिन्हे जोडऩे के लिये ‘कि’ का प्रयोग करते हैं।

3 – ‘की का प्रयोग दो शब्दो को जोडऩे के लिये किया जाता है जैसे- अमित की बहन, श्यामा की लेखनी, भारत की शान हमारी बहू और पुत्री हमारे घर की शोभा है ।


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