ज्ञानवापी केस की अभी शुरुआत हुई है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य माना है। मुस्लिम पक्ष 1991 के ऐक्ट का हवाला देकर इसका विरोध कर रहा था। अब मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट जाने वाला है लेकिन क्या इस फैसले से मथुरा समेत दूसरे मंदिर-मस्जिद विवाद के अध्याय की शुरुआत हो गई है?
हाइलाइट्स
- ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट अब सुनवाई शुरू करेगा
- मुस्लिम पक्ष की सुनवाई के योग्य न मानने की अर्जी खारिज
- 1991 के ऐक्ट पर कोर्ट बोला, वह आड़े नहीं आता
- नई दिल्ली: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में जब से कोर्ट ने सुनवाई के योग्य वाला फैसला दिया है, हिंदू पक्ष जश्न मना रहा है। जैसे ही हिंदू पक्ष के वकील ने बाहर आकर बताया कि कोर्ट ने हमारी सारी दलीलों को मान लिया है, मुस्लिम पक्ष की एप्लीकेशन खारिज कर दी है… महिला-पुरुषों ने सड़क पर ही हर हर महादेव के नारे लगाने शुरू कर दिए। खुशी में महिलाओं ने गाना भी गाया, बम-बम बोल रहा है काशी। टीवी चैनलों के कैमरे पल-पल की घटना का लाइव कवरेज दिखा रहे थे, उनके सामने ही याचिकाकर्ता महिलाएं जश्न मनाते हुए झूमने लगीं। कुछ लोगों ने पटाखे जलाए। नगाड़े बजे। अभी तो झांकी है, दर्शन अभी बाकी है… ऐसे नारे देर शाम तक काशी की गलियों में गूंजते रहे। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी समेत मुस्लिम पक्ष ने 1991 के एक्ट का हवाला देते हुए कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाराणसी कोर्ट के फैसले का असर मथुरा समेत दूसरे मामलों पर भी पड़ेगा
- ओवैसी और 1991 का ऐक्ट
- AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर कहा है कि 1991 का जो प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट है उसका तो मकसद ही फेल हो जाता है। उधर, हिंदू संतों का कहना है कि मथुरा और काशी के साथ-साथ 20 हजार मंदिर ऐसे हैं, जहां पर हम विजय हासिल करेंगे। वाराणसी कोर्ट के फैसले से साफ है कि 1991 का पूजा स्थल कानून श्रृंगार गौरी केस के आड़े नहीं आएगा, यानी ज्ञानवापी परिसर में पूजा के अधिकार वाली पांच महिलाओं की याचिका अब सुनी जा सकती है।
- हिंदू पक्ष के लिए शुभ संकेत क्या है?
- इस फैसले का मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि काशी के मामले में मुस्लिम पक्ष का सबसे बड़ा हथियार यानी 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट अपना प्रभाव खो सकता है। इससे सभी विवादित पूजास्थलों की कानूनी लड़ाई में हिंदुओं के लिए नई उम्मीद पैदा हो सकती है। सिर्फ काशी ही क्यों, इस बात की पूरी संभावना है कि वाराणसी कोर्ट के फैसले को मथुरा समेत अन्य विवादित स्थलों के मामलों में हिंदू पक्ष अपनी दलीलों में शामिल कर सकता है।