Dhaarmik pravachan: भारत विकास परिषद, अवध प्रान्त द्वारा राष्ट्र ीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन के पाँच सूत्रों पर आधारित पंच सूत्रीय कथा महोत्सवष् का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस प्रकार की कथा के आयोजन को एक अत्यंत ही प्रभावी तरीका बताया। इस कथा के माध्यम से समाज को विचार की शक्ति दी जा सकती है। यह आयोजन न केवल सामाजिक परिवर्तन के पाँच सूत्रों पर प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से पहला और अनूठा था, बल्कि इसकी स्वच्छता, पर्यावरण- अनुकूलता, और अनुशासित व्यवस्था ने इसे लखनऊ के आयोजनों में एक नया कीर्तिमान स्थापित करवाया। कथा के अंतिम दिन, नागरिक कर्तव्य विषय पर पूज्य श्री चैतन्य कौशिक जी महाराज का प्रवचन हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिन्होंने विश्व के जागरण के महत्व पर प्रकाश डाला।

भारत विकास परिषद, अवध प्रान्त द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन के पाँच सूत्रों पर आधारित एक पाँच दिवसीय “पंच सूत्रीय कथा महोत्सव” का आयोजन 5 से 9 दिसंबर 2025 तक लखनऊ के कृष्णा नगर स्थित श्री सुमति नाथ सेवा भवन में किया गया। यह महोत्सव न केवल धार्मिक प्रवचन का केंद्र रहा, बल्कि अपने अद्वितीय स्वरूप और पर्यावरण-हितैषी व्यवस्थाओं के कारण समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी बना।
महोत्सव की विशिष्टता और नवोन्मेषी व्यवस्था
यह आयोजन कई मायनों में अनूठा रहा, जिसने पारंपरिक आयोजनों को एक नई दिशा दी:
पर्यावरण संरक्षण: इस कथा महोत्सव में प्लास्टिक और डिस्पोजल का उपयोग पूर्णतः वर्जित रहा। प्रतिदिन लगभग 500 लोगों के लिए चाय, पानी और भोजन की व्यवस्था के बावजूद, किसी भी तरह के डिस्पोजल या प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके स्थान पर केवल स्टील के बर्तनों का उपयोग किया गया, जो पर्यावरण के प्रति आयोजकों की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्वच्छता और अनुशासन: संपूर्ण परिसर की स्वच्छता अत्यंत प्रभावशाली रही। श्रोतागणों के लिए पदवेश (जूते-चप्पल) खोलने की विशेष व्यवस्था की गई थी, जहाँ किसी व्यक्ति की आवश्यकता न होने पर भी एक भी चप्पल-जूता अस्त-व्यस्त नहीं था, जो श्रोताओं के उच्च अनुशासन को प्रदर्शित करता है।
भंडारे की व्यवस्था: प्रतिदिन होने वाले विशाल भंडारे (महाप्रसाद) में बुजुर्गों के लिए बैठकर भोजन करने की विशेष सुविधा रखी गई थी। भक्तों ने पंक्तिबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण किया।
मंच सज्जा: मंच पर भी फूलों की मालाओं के स्थान पर कपड़े के बने पटकों का उपयोग किया गया, जो फिर से पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोण को दर्शाता है।
निशुल्क सेवा: सभी कथा वाचकों ने अपनी सेवाएँ निशुल्क प्रदान कीं।
प्रतिदिन की शुरुआत: प्रत्येक दिन की शुरुआत यज्ञ और हवन से की जाती थी, इसके बाद कथा, और फिर भंडारे का महाप्रसाद होता था।
साहित्य वितरण: प्रतिदिन केवल प्रवचन ही नहीं हुआ, बल्कि विषय आधारित साहित्य का निर्माण और वितरण भी किया गया, ताकि विचारों की शक्ति समाज में स्थायी प्रभाव डाल सके।
पंच सूत्रों पर आधारित कथा-प्रवचन
- महोत्सव के दौरान प्रतिदिन एक सूत्र पर आधारित कथा का आयोजन किया गया:
1. दिन 1: शुक्रवार, 05.12.2025
– सूत्र/विषय: पर्यावरण संरक्षण
– कथा व्यास: पूज्य श्री अशोक जी महाराज
मुख्य अतिथि माननीय विधायक सरोजनी नगर लखनऊ डॉक्टर राजेश्वर सिंह जी
पर्यावरण संरक्षण पर दो सदस्यों को सम्मानित माननीय विधायक जी द्वारा किया गया
1. राजेन्द्र प्रताप सिंह
2. श्री विजय सक्सेना जी
3. सदस्य मानसरोवर लखनऊ शाखा - 2. दिन 2: शनिवार, 06.12.2025
– सूत्र/विषय: स्वदेशी
– कथा व्यास: आचार्य श्री सुधीरानंद जी महाराज
– मुख्य अतिथि: माननीय राज्यसभा सांसद श्री संजय सेठ जी
– यजमान: श्री रवि शंकर चटर्जी और समर्थ शाखा के सदस्य
3. दिन 3: रविवार, 07.12.2025
– सूत्र/विषय: सामाजिक समरसता
– कथा व्यास: आचार्य संजीव कृष्ण ठाकुर जी महाराज
– मुख्य वक्ता: संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मनोजकांत जी
– मुख्य यजमान: श्री इंद्र देव शुक्ला जी
4. दिन 4: सोमवार, 08.12.2025
– सूत्र/विषय: परिवार प्रबोधन
– कथा व्यास: पूज्य नंदलाल जी बाबाजी
– मुख्य अतिथि: समाज कल्याण मंत्री, उत्तर प्रदेश श्री असीम अरुण जी
– मुख्य यजमान: श्री शिव कुमार अग्रवाल जी
5. दिन 5: मंगलवार, 09.12.2025 (समापन)
– सूत्र/विषय: नागरिक कर्तव्य
– कथा व्यास: पूज्य श्री चैतन्य कौशिक जी महाराज
– मुख्य अतिथि: उप-मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश श्री बृजेश पाठक जी
– मार्गदर्शन: क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख श्री मिथिलेश जी
समापन समारोह (09.12.2025)
कथा के अंतिम दिन, नागरिक कर्तव्य विषय पर पूज्य श्री चैतन्य कौशिक जी महाराज का प्रवचन हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख श्री मिथिलेश जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिन्होंने विश्व के जागरण के महत्व पर प्रकाश डाला।