विश्व में ‘सिटी हॉस्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर’ का नाम सम्मान से लिया जाये : डॉ.रोहिल मेहता
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। जिंदगी में कोई भी काम हो,यदि इंसान कुछ अलग करने का जज्जा रखता है,तभी उसे नाम,शोहरत मिलती है। यदि प्रोफेसन हेल्थ से जुड़ा हो तो एक डॉक्टर जब ऑपरेशन रुम में जाता है तो एक मरीज की जिंदगी उसके हाथों में होती है। मरीज भी एक अंजान डॉक्टर के भरोसे अपने परिवार को बाहर छोड़ मुस्कराते हुये ऑपरेशन रुम में चला जाता है। तभी तो डॉक्टर को इंसानी ईश्वर का भी दर्जा दिया जाता है। होना भी चाहिये,लेकिन लखनऊ में एक यंग डॉक्टर हैं,जो मरीजों से वही बोलते हैं जो सच हो…। मरीजों के मन में कोई संशय ना हो…। बीमारी की तह तक जाने के बाद ही वे अपना सुझाव मरीज को देते हैं और कोशिश रहती है कि एक बार ऑपरेशन कराकर मरीज जाये तो उसे दुबारा कोई दिक्कत ना हो…। जी हां, हम बात कर रहे हैं इंग्लैंड से डिग्री लेकर अपने हम वतन लौटे डॅा. रोहिल मेहता की…। रोहिल मेहता फुटबाल के खिलाड़ी की लिगामेंट सर्जरी कर सुर्खियों में आये।

लिगामेंट सर्जरी तो सभी हॉस्पिटल के डॉक्टर करते हैं,ये कोई नई बात नहीं है लेकिन इन्होंने मरीज की जांच के बाद ही बता दिया कि प्रॉब्लम लीगामेंट में नहीं घुटने के शेप में है। लिगामेंट सर्जरी के साथ-साथ जब घुटने का आकार (शेप) बदलेगा तभी आप दुबारा पहले की तरह शानदार तरीके से फुटबाल खेल सकते हैं। हालांकि घुटने के (ट्रोक्लियो प्लॅास्टी सर्जरी)में काफी मुश्किल होती है, इसलिये इसे करने में डॉक्टर हिचकते हैं। यही वजह है कि लिगामेंट के साथ-साथ घुटने के (ट्रोक्लियो प्लॉस्टी सर्जरी) अधिकांशत: मरीज दिल्ली या मुम्बई के एक्सपर्ट डॅाक्टर्स की टीम से कराने जाते हैं, लेकिन डॉ. रोहिल ने ऑपरेशन किया और आज वो प्लेयर ग्राउंड में बेहतरीन गोल दाग रहे हैं। कह सकते हैं कि यूपी में पहली बार सिटी हॉस्पिटल में नई टेक्रोलॉजी की मशीनों का इस्तेमाल कर नेचुरल घुटने को बचाते हुये नये आकार का घुटना देने का (शेप चेंजिंग सर्जरी) का पहला अॅापरेशन डॅा. रोहिल मेहता ने कर दिखाया है।

सही कहा गया है कि ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’…। डॉ. रोहिल मेहता के पिता डॅा. राजेश मेहता जाने-माने आर्थोपेडिक्स व सिटी हॅास्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर के चेयरमैन हैं और मां ज्योत्सना मेहता भी मशहूर स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ हैं। द संडे व्यूज़ के सवालों का जवाब देते हुये यंग डॉक्टर रोहिल मेहता ने इस आपरेशन के बारे में खुलकर अपनी बात रखी। पेश है घुटने के आपरेशन की ‘शेप चेंजिंग सर्जरी’…। डॅा.रोहिल मेहता ने बताया कि लखनऊ के रहने वाले फुटबाल प्लेयर उत्कर्ष मिश्रा (उम्र 19) हॅास्पिटल आये। उन्होंने बताया कि स्कूल में फुटबाल खेलते समय गिर जाने से उनके दाहिने पैर के घुटने में चोट लग गयी थी,जिसकी वजह से उनके घुटने में कटोरी की हड्डी बार-बार उतर जाती है। तीन वर्ष में तीन बार कटोरी की हड्डी उतर चुकी है। लखनऊ के कई मशहूर आर्थोपेडिक्स डॉक्टर को उन्होंने दिखाया तो सभी ने लीगामेंट सर्जरी कराने की सलाह दी। जब वे सिटी हॅास्पिटल में आये तो उनके घुटने को देखते ही मैंने कहा कि प्रॉब्लम लीगामेंट में नहीं घुटने के शेप की है। लीगामेंट तो बदलना ही है,साथ-साथ उसका शेप भी बदलेगा। उसके बाद उत्कर्ष ने कई अन्य डॉक्टर से सलाह लिया। अन्य आर्थोपेडिक्स डॉक्टर ने उन्हें सलाह दिया कि लीगामेंट के साथ घुटने के शेप की सर्जरी में प्रॅाब्लम आती है, इसलिये बेहतर होगा कि आप दिल्ली या मुम्बई के हॉस्पिटल में जाकर अपना सर्जरी करायें…।
आखिर में उत्कर्ष ने मेरी बातों पर भरोसा जताया और 29 सितंबर 2023 को उनके घुटने की शेप की ट्रोक्लियो प्लास्टी सर्जरी की गयी। साथ ही कई अन्य लीगामेंट की भी उसी समय सर्जरी की गयी। शेप की हिलिंग होने में एक से डेढ़ माह का समय लगा और आज उत्कर्ष नार्मल तरीके से चल रहे हैं और 6 माह बाद फुटबाल खेलने लगे। डॉ. रोहिल मेहता ने बताया कि अभी तक अन्य हॉस्पिटलों में डॉक्टर सिर्फ लिगामेंट की सर्जरी करते थे क्योंकि सभी का मानना है कि शेप चेंजिंग सर्जरी जोखिम भरा प्रोसिजर है। इससे मरीज को नुकसान हो सकता है।
श्री मेहता ने बताया कि मरीज का सिर्फ लिगामेंट सर्जरी करने से ना तो उसकी समस्याएं खत्म होती है बल्कि एक-दो वर्ष उसे दुबारा दर्द,चलने में दिक्कत होने की वजह से दुबारा लिगामेंट का ऑपरेशन कराना पड़ता है। इससे मरीज को दोहरा खर्च उठाना पड़ता है। सही बात तो यह है कि दोनों ‘खांचे’ और ‘कटोरी’ के आकार को मैचिंग कराना होता है,जो मुश्किल काम है लेकिन नामुमकिन नहीं…। आप कह सकते हैं कि ये यूपी का पहला ट्रोक्लियो प्लास्टी सर्जरी है…।

डा.रोमिल मेहता ने बताया कि सिटी हॅास्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर में सभी तरह की स्पोर्ट्स इंजरी,लीगामेंट सर्जरी अत्याधुनिक मशीनों से की जाती है। इतना ही नहीं,अन्य हॉस्पिटलों में घुटना प्रत्यापर्ण दो से ढाई लाख रुपये में की जा रही है वो सिटी हॅास्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर में विदेशी कंपनियों में बनी जोड़, घुटना प्रत्यारोपण का रिप्लेसमेंट ‘फास्ट ट्रैक नी रिप्लेसमेंट’ योजना के तहत एक लाख रुपये में की जा रही है। नवंबर से दिसंबर माह में 30 मरीज घुटना प्रत्यारोण करा चुके हैं।
डॅा. ने बताया कि हमलोगों की पूरी कोशिश है कि मरीज हॉस्पिटल आये तो उसे सही सलाह और सही उपचार किया जाये ताकि उसकी दुआएं काम आये। मेरा सपना है कि सिटी हॉस्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर का नाम विश्व भर में ‘सम्मान’ के साथ लिया जाये…।
Congratulations on your well-deserved success! You’re an inspiration!
thanx
I have had a very beautiful experience
thanx