
अयोध्या। मयंक श्रीवास्तव: अयोध्या दीपों का पर्व दीपावली में राजा राम के लंका विजय के बाद राम और सीता के अयोध्या वापसी के साथ-साथ इस वर्ष राम मंदिर निर्माण की खुशी देखने को मिल रही है, यह दीपोत्सव इसलिए भी बेहद ख़ास है क्योकि राजा राम के अयोध्या आने की खुशी के बीच मंदिर बनने की ख़ुशी को व्यक्त करने के लिए अयोध्या को दीपो से सजाया गया है। इसीलिए अयोध्या के नंदीग्राम भरतकुंड पर दीपावली से एक दिन पहले भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद सबसे पहले श्री राम यही पहुंचे थे और सबसे पहले इसी भरतकुंड पर खुशियां मनाई गयी थी।

वही महारानी कैकेई की याचना पर त्रेता युग में महाराज दशरथ ने उन्हें दो वरदान दिए थे एक भरत को राज्य और दूसरा राम को 14 वर्ष का वनवास। भरत को ननिहाल से लौटने पर सारी घटना का पता चली तो वह राम को मनाने वन गए और भगवान राम के वापस न लौटने पर प्रतीक के रूप में उनकी खडाऊ ले आए और राज्य बैभव को त्याग कर इसी नंदीग्राम में रहकर, राम का लाया खडाऊ सिघासन पर रख यही रहकर राजकाज और पूजा पाठ करने लगे।

कहते हैं कि भरत ने भाई पिता का बचन निभाने और माता की आज्ञा मानने की बात समझ कर भले ही वन से वापस चले आए, लेकिन उन्होंने कहा था की 14 वर्ष के बाद एक दिन भी लौटने में बिलम्ब हुआ तो वह अपने प्राण त्याग देंगे।इसीलिए भगवान राम ने भाई भरत को अपनी वापसी का संदेश सुनाने हनुमान जी को भरत के पास भेजा और यहीं पर भरत और हनुमान की दूसरी बार मुलाकात हुई और उन्हें भाई राम के अयोध्या वापसी का समाचार मिला।

इसके बाद श्री राम के वापसी का जश्न दीपोत्सव के रूप में मनाया गया।भरत और हनुमान की मुलाकात के झलक नन्दिग्राम के मंदिरों की दीवालों पर तो दिखाई ही देते है लेकिन इनके बिग्रह आज भी उस समय के इनके मनो भाव की कहानी कहते दिखाई देते है। ऐसे ही विग्रह में जब राम और हनुमान गले मिल रहे होते है तो भरत के चेहरे पर भाई राम लखन और भाभी सीता के आने की खुशी और हनुमान के चेहरे पर यह संदेश सुनाने का संतोष साफ़ साफ़ दिखाई देता है।
रामायण ही नही सभी धर्म ग्रन्थ भी कहते है की नंदीग्राम में जब हनुमान ने प्रभु श्री राम के आने का समाचार सुनाया तो भरत ने उन्हें गले लगा लिया और इस खुशी का समाचार उन्होंने अयोध्या वासियों को सुनाया तो मरे खुशी के अयोध्या वासियों ने पूरी अयोध्या को दीपो से सजा दिया और लंका विजय का हर्ष जताने के लिए पटाके छोडे और तभी से आज तक दीपावली की मनानें की परम्परा चली आ रही है। तो इस बार राम मंदिर निर्माण शुरू होने से दोहरी ख़ुशी के बीच दीपोत्सव मनाया जा रहा है।