डीएम साहब का फोन स्विच ऑफ था…इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण


प्रमुख सचिव को दी जाएगी जानकारी

विधि संवाददाता, लखनऊ। हाई कोर्ट में एक लाइसेंस नवीनीकरण के मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को सरकारी वकील को कोर्ट से निर्देश मिला कि वह हरदोई के जिलाधिकारी से निर्देश प्राप्त करें, इस पर उन्हें बताया कि जिलाधिकारी का फोन स्विच ऑफ आ रहा है। कोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए जिलाधिकारी को तलब कर लिया। न्यायालय ने मंगलवार को सवा 10 बजे कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर उन्हें यह बताने को कहा है कि ऐसी क्या परिस्थितियां थीं कि सरकारी वकील के काफी प्रयास के बावजूद उनसे संपर्क नहीं किया जा सका।

न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि इस आदेश की जानकारी प्रमुख सचिव, गृह को भी दी जाए और यदि उनका फोन भी स्विच ऑफ हो तो मुख्य सचिव को इस आदेश की जानकारी दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने हरदोई के नजाकत अली की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याचिका में आठ महीने से आवेदन देने के बावजूद याची के एक्सप्लोसिव लाइसेंस के नवीनीकरण न होने का मुद्दा उठाया गया है। सोमवार को न्यायालय ने सरकारी वकील को जिलाधिकारी से निर्देश प्राप्त कर अवगत कराने को कहा कि नवीनीकरण पर निर्णय क्यों नहीं लिया जा रहा है। साथ ही मामले को लंच के बाद सुनवाई के लिए रख दिया।

दोबारा सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने बताया कि जिलाधिकारी का फोन स्विच ऑफ आ रहा है, इस पर न्यायालय ने कहा कि यह वास्तव में एक दुखद स्थिति है कि एक जिले का मुखिया फोन स्विच ऑफ रख के काम कर रहा है। यह समझ से परे है कि यदि कोई आपात स्थिति आ जाए तो जिलाधिकारी से कोई कैसे संपर्क करेगा। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने जिलाधिकारी को उपस्थित होकर याची के लाइसेंस नवीनीकरण पर अब तक निर्णय न लेने का कारण भी बताने का आदेश दिया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मारे गए माफिया अतीक अहमद के साले  जकी  अहमद की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता तथा न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने  जकी  अहमद की याचिका पर दिया है। प्रयागराज के  धूमनगंज  थाने में  करेली  निवासी मो. आमिर ने  जकी  अहमद व अन्य लोगों पर 10 लाख रुपये रंगदारी मांगने व जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है, इसे याचिका में चुनौती दी गई है। याची के वकील  अधिवक्ता  मो. इरफान व शादाब अली ने कहा कि याची ने कोई अपराध नहीं किया है। उसे झूठा फंसाया गया है। जमीन की चौहद्दी तय करने को लेकर विवाद है,जो सिविल प्रकृति का है। जानबूझकर सिविल मामले को  आपराधिक  रंग दे दिया गया है। कोर्ट ने मामला विचारणीय माना।


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