बीएसए मनीष सिंह ने माना, ससुर मनीराम ने किया है सिद्धार्थ पाण्डेय की फर्जी नियुक्ति
शिक्षा मंत्री कुंभकर्णी नींद में,बीएसए मनीष सिंह खेल रहें ‘रिश्तेदारी का खेल’
द संडे व्यूज़ बीएसए,बलिया के फर्जीवाड़े की शिकायत मुख्यमंत्री से करेगा
पिन्टू सिंह
बलिया। उत्तर प्रदेश में शिक्षा पेशे को बदनाम कोई और नहीं बल्कि अफसर कर रहे हैं। कुर्सी मिलने के बाद अफसर भूल जाते हैं कि भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबने की वजह से जहां शिक्षा जैसा पवित्र पेशा बदनाम होता है वहीं सरकार के नीतियों पर भी बड़ा सवाल उठने लगता है। हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जीरो टॅारलेस की नितियों पर डटे हैं। लेकिन शिक्षा मंत्री के कुंभकर्णी नींद की वजह से बीएसए स्तर के अफसर रिश्तेदारी की दुहाई देकर भ्रष्टाचार की नई-नई इबारत लिख रहे हैं। बलिया के पूर्व बीएसए मनीराम सिंह ने क्लर्क अजय पांडेय के पुत्र सिद्धार्थ पांडेय की भर्ती फर्जी तरीके से कर दी थी, इसकी जानकारी मौजूदा बीएसए मनीष कुमार सिंह को दी गई तो उनका जवाब बेहद निराला रहा…. उन्होंने कहा कि पिंटू जी, सिद्धार्थ पांडेय की नियुक्ति मेरे फादर-इन लॉ ने की जमाने की है, फिर हम कार्रवाई कैसे कर सकते हैं…। बता दें की मनीराम सिंह वर्तमान बीएसए मनीष सिंह के ससुर जी है। जी हां,यहां मामला दामाद और ससुर जी का है।चलिये, बीएसए मनीष सिंह ने स्वीकार किया कि सिद्धार्थ पाण्डेय की फर्जी भर्ती उनके ससुर जी ने किया है। दूसरी तरफ कार्रवाई नहीं करने की मजबूरी भी बता रहे हैं। मुख्यमंत्री जी, मैं तो यही कहुंगा कि बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह को निर्देश दें की अपने विभाग में दामाद-ससुर, जीजा-साला का पोस्ट बना कर भर्ती करें, ताकि ये लोग शिक्षा जैसे पवित्र मंदिर के पेशे व मुख्यमंत्री की नितियों को बदनाम ना कर सकें।
देखा जाये तो सूबे में लगभग सभी जनपदों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टïचार हो रहा है और इसके लिये सीधे तौर पर बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ही हैं। चौैंकाने वाली बात तो ये है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी,अब कहने लगे हैं कि मंत्री जी को बेसिक शिक्षा विभाग का नाम बदलवा कर दामाद-ससुरजी या जीजा-साला रखवा देना चाहिये ! उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री के आदेश को नजर अंदाज करने वाले बलिया के पूर्व बीएसए मनीराम सिंह और क्लर्क अजय पाण्डेय के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुयी? फ र्जी तरीके से सिद्धार्थ पाण्डेय की हुयी भर्ती पर अभी तक उसे निलंबित क्यों नहीं किया गया? इससे साबित होता है कि बलिया के बीएसए मनीष सिंह का पूरा संरक्षण क्लर्क अजय पाण्डेय पर है और वे जानबूझ कर शासन को रिपोर्ट नहीं भेज रहे हैं कि जांच होगी तो सबसे पहले उनके ससुरजी यानि पूर्व बीएसए,बलिया मनीराम की गर्दन फंसेगी। खैर,बता दें कि बलिया की सरजमीं पर शिक्षा विभाग में तैनात पूर्व बीएसए मनीराम अपनी जुगत और तगड़ी पैरवी के बल पर खूब धन कमाया। यहां पर सरकारी नीति नहीं बल्कि मनीराम की हुकूमत चलती थी। जिसने उन्हें दिया मनी, उसके हो गये मनीराम सिंह, तभी तो शासन स्तर पर रोक लगाने के बाद भी मनीराम ने अपने खास क्लर्क अजय पाण्डेय के पुत्र सिद्धार्थ पाण्डेय को शिक्षक बना दिया।
सवाल ये है कि बीएसए की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी ने सीधे- सीधे सरकार के साथ विश्वासघात कर बेरोजगारों के साथ छल करने का अपराध किया है। लखनऊ की सामाजिक संस्था इस मामले को गंभीरता से लेते हुये मुख्यमंत्री तक फर्जी भर्ती करने एवं भ्रष्टाचार द्वारा कमायी गयी अकूत संपत्ति की जांच की मांग करने जा रही है। बता दें कि सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में शिक्षक की नियुक्ति करने का अधिकार बीएसए को नहीं है, क्योंकि इसका चयन आयोग करता है या फि र शासन। सीधी बात करें तो जब सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यालयों की भर्ती पर रोक लगा दी है तो तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह ने किस नियमावली के तहत शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति की ? वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने किस हैसियत से अपने हस्ताक्षर से शिद्धार्थ पाण्डेय को नियुक्ति पत्र दिया ?
बता दें कि बेसिक शिक्षा कार्यालय, बलिया में तैनात वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये अपने बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में करा दी है। बताया जाता है कि सिकंदरपुर स्थित गौतमबुद्ध जूनियर हाई स्कूल,बालूपुर में अल्पसंख्यक विद्यालय में वर्ष 2023 में तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह की मिलीभगत से अपने बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति करा दी। खास बात यह है शासन ने वर्ष 2006 के बाद से प्रदेश में कोई सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल एडेड नहीं किया गया, बावजूद इसके बीएसएस ने शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति शिक्षक पद पर किस नियमावली के तहत की। बताया जाता है कि अजय पाण्डेय को मालूम था कि सिकंदरपुर तहसील के ऐडेड विद्यालय में दो शिक्षकों के पद खाली है। उसके बाद श्री पाण्डेय ने न्यूज पेपर में भर्ती का विज्ञापन निकाला,जिसे देख शिक्षक पद पर मांगी गयी अर्हता रखने वाले बड़ी संख्या में छात्रों ने आवेदन किया। सभी फ़ार्म सिकंदरपुर तहसील में मंगाये गये, जिस सीट के प्रभारी खुद अजय पाण्डेय थे। अब सवाल यह उठ रहा था कि यदि साक्षात्कार के दिन सभी अभ्यर्थियों को बुलाया जायेगा तो हो सकता है कि उसके बेटे से भी योग्य छात्र का चयन हो सकता है, इसलिये शातिर दिमाग वाले पाण्डेय जी ने चाल चली। उन्होंने साक्षात्कार के दिन आने के लिये सभी अभ्यर्थियों के पते पर रजिस्ट्री से लेटर भेजा लेकिन लिफ ाफा खाली था। जी हां, लिफ़ाफ़ा के अंदर साक्षात्कार का कोई पत्र ही नहीं था, जिसकी वजह से अभ्यर्थियों को मालूम ही नहीं चला कि किस दिन और कितने बजे, साक्षात्कार होना है। साक्षात्कार के दिन किसी और अभ्यर्थी के ना आने पर अजय पाण्डेय के बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय का चयन शिक्षक पद के लिये कर लिया गया। बस पाण्डेय जी हो गये अपने निहायत घटिया खेल में कामयाब और करा लिये अपने बेटे सिद्धार्थ पाण्डेय का शिक्षक पद पर चयन। शर्मनाक बात तो यह है कि इस खेल में पैसे की लालच में धृतराष्ट बनें तात्कालीन बीएसए मनीराम भी बराबर के दोषी हैं। सवाल यह है जब बीएसए को मालूम था कि ऐडेड स्कूलों में भर्ती पर शासन ने रोक लगा रखी है तो फि र उन्होंने शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति करने की जुर्रत कैसे की ?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टॉलरेंस ना अपनाने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फरमान जारी किया है ? उसके बाद भी बीएसए और वरिष्ठ लिपिक को डर नहीं लगा कि फर्जी तौर पर भर्ती करने का अंजाम क्या होगा? खैर, द संडे व्यूज़ बलिया के बीएसए कार्यालय द्वारा किये गये फर्जी भर्ती के प्रकरण को मुख्यमंत्री स्तर तक पहुंचाने का काम करेगा ताकि ऐसे भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सके। मगर बलिया के बीएसए मनीष सिंह अपने आपको कलेक्टर से बड़ा मानते हैं, तभी तो जब- जब ध्यान आकृष्ट कराया गया तो बीएसए मनीष सिंह फ ़ोन उठाने का जहमत नहीं उठाते और जब कभी फ़ोन किया गया तो उन्होंने कहा कि फ़ोन पर नहीं अॅाफिस आएं, चाय पीते हैं…। जब संवाददाता अॅाफिस पहुंचा तो चाय से पहले सीधे संवाद किया कि आप फ़ोन रिसीव नहीं करते और बार-बार खबर प्रकाशित करने के बाद कार्रवाई क्यों नहीं करते? इस पर बीएसए मनीष सिंह ने कहा कि फ ादर- इन- ला के जमाने का नियुक्ति है, फि र हम कैसे कार्रवाई करें? आप समझ सकते हैं कि रिश्तों की आड़ में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सोमवार को काफ ी प्रयास के बाद फ़ोन कर पूछा कि जांच करने का आदेश देंगे या नहीं, हंा या ना का जवाब दें? उन्होंने जिम्मेदारी नहीं समझा और फ़ोन काट दिया।