दिल्ली सरकार के नाक के नीचे ‘शिक्षा विभाग’ से धोखा


साइंस सेंटर और लाइब्रेरी के नाम पर खोले गए दो अकाउंट

नई दिल्ली। सेंट्रल जोन के स्कूलों में SC, ST, O B C और अल्पसंख्यक सहित करीब एक लाख बच्चों के वेलफेयर के नाम पर एजुकेशन विभाग के अधिकारी लगभग 30 करोड़ रुपये डकार गए। यह खुलासा M C D की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए एजुकेशन विभाग ने ऑडिट टीम को ज्यादातर रिकॉर्ड उपलब्ध ही नहीं कराए। इतना ही नहीं ऑडिटिंग विभाग के साथ-साथ M C D के विजिलेंस विभाग और दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच से यह बात भी छिपाई गई कि स्कूल इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार ने स्कूल के नाम पर अलग-अलग बैंकों में दो फर्जी अकाउंट भी खोले हुए थे।

एजुकेशन विभाग के सूत्रों का कहना है कि स्कूल इंस्पेक्टर द्वारा साइंस सेंटर और लाइब्रेरी के नाम पर खोले गए दोनों अकाउंट में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए। इसके अलावा स्कूल इंस्पेक्टर ने एक पर्सनल अकाउंट भी खोल रखा था। यह बात भी जांच टीमों से छिपाई गई। यहां बड़ा सवाल यह है कि स्कूल के नाम पर सीनियर अधिकारी की लिखित सहमति के बगैर अकाउंट नहीं खुल सकता। एजुकेशन विभाग के सीनियर अधिकारियों ने I D B I बैंक में अकाउंट खोलने की परमिशन देने वाले अधिकारी को भी साफ बचा लिया। इतना ही नहीं, जांच में दागी पाए जाने के बावजूद उसी अधिकारी को एजुकेशन विभाग में फंड से जुड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। सीनियर अधिकारियों ने इस पूरे मामले पर लीपापोती करने का काम किया। अगर सही से इस मामले की जांच की गई होती तो 30 करोड़ के घोटाले में शामिल अधिकारियों से करोड़ों रुपये की बरामदगी हो सकती थी।

घोटाले में शामिल होने के आरोप में दो स्कूल इंस्पेक्टर और प्रिंसिपल सहित चार कर्मचारियों को टर्मिनेट (नौकरी से निकाल) किया जा चुका है। स्कूल इंस्पेक्टर में प्रमोद, राजेश भगत, प्रिंसिपल मनसब जोशी और स्कूल अटेंडेंट में विजय त्रिपाठी का नाम शामिल है। विजिलेंस विभाग ने इनके अलावा चार अडिशनल डायरेक्टर कमलजीत, पुष्पा (रिटायर्ड हो चुकी हैं), ऋषिपाल राणा (रिटायर्ड) और मंजू खत्री की भूमिका भी पाई है। इन्हें नोटिस देकर कहा गया कि क्यों ने आपका डिमोशन कर दिया जाए। इसके लिए 10 दिन का समय दिया गया था। आरोपी अधिकारियों ने अपना जवाब भी दे दिया, लेकिन एक्शन अभी तक कुछ नहीं हुआ। जो अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं उनके फाइनेंसियल बेनिफिट रुके हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि घोटाले में शामिल अधिकारियों से गवन किए गए पैसे की रिक्वरी होनी चाहिए।

तत्कालीन MCD कमिश्नर ज्ञानेश भारती के आदेश पर सेंट्रल जोन के एजुकेशन विभाग की ऑडिट के लिए जूनियर अकाउंट ऑफिसर ललित कुमार की अगुवाई में 13 मेंबर्स की टीम बनाई गई थी। टीम ने पूरे मामले की जांच करने के बाद पाया कि सिर्फ 5-6 करोड़ की ट्रांजेक्शन का ही रिकॉर्ड मिला। एजुकेशन विभाग के दो अकाउंट से लगभग 30 करोड़ रुपये कहां गायब हो गए, इसका कुछ पता नहीं चल पाया।


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