उ. प्र. होमगार्ड ऑफिसर्स एसोसिएशन के ग्रुप में चल रहा धमकी का दौर !
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होमगार्ड विभाग का ‘अभिभावक’ बनने का दम भरने वाले होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति ‘खामोश’ हैं। उनके चुप्पी की वजह से ही अब अधिकारी अपने ही व्हाटसअप ग्रुप पर ‘अभद्र ‘भाषा का प्रयोग कर ‘वर्दी’ की गरिमा को ‘कलंकित’ करने का काम कर रहे हैं। संभल के कमांडेंट ज्ञान प्रकाश के खिलाफ मुरादाबाद के मंडलीय कमांडेंट राम नारायण ने फर्जी शिकायती पत्र भेजा। लिफाफा मुरादाबाद रेलवे स्टेशन के डाक घर से भेजा गया था। कमांडेंट ज्ञान प्रकाश ने जब वहां जाकर वीडियो फुटेज निकाला तो डाकखाने के लाइन में मंडल राम नारायण खड़े दिखायी दिये। ऐसा कमांडेंट का कहना है। कमंाडेंट ने वीडियो फुटेज निकाला और माह फरवरी में उ. प्र. होमगार्ड ऑफिसर्स एसोसिएशन के गु्रप पर अपनी भड़ास निकाल दी। फि र क्या था, बयानवीर कमांडेंटों ने अपना स्तर गिराते हुये अपने सीनियरों को धमकी तक डे डाली। लंबे समय से सस्पेंड़ चल रहे कमांडेंट अरूण सिंह ने एसोसिएशन के अध्यक्ष, मंडलीय कमांडेंट अजय पाण्डेय को खुली चेतावनी तक दे डाली। इसके विपरित अध्यक्ष अजय पाण्डेय ने कहा कि ग्रुप में कुछ ऐसे अधिकारी हैं जो अमर्यादित भाषा और शब्दों का प्रयोग करते हैं। पूर्व में ऐसे लोगों को ग्रुप से बहिष्कृत कर दिया गया था। जब साक्ष्य मिलेगा तभी कार्रवाई की जायेगी। बात जो भी हो,एक बात तो साफ दिख रहा है कि इस विभाग में एक नहीं कई मनबढ़ कमांडेंट हैं, जिन्हें काम-धाम से कोई वास्ता नहीं, सिर्फ ‘राजनीति’ करने और ‘बटोरने‘ व ‘मलाईदार पोस्टिंग’ में गिद्ध की तरह नजर गड़ाये बैठे हैं। बहरहाल, जूनियर-सीनियर की लड़ाई चरम पर पहुंच गयी है ।

इससे इतर, थोड़ा पीछे चलें तो सभी को याद होगा कि इसी विभाग के डीआईजी संजीव शुक्ला ने इसी उ.प्र. होमगार्ड ऑफिसर्स एसोसिएशन ग्रुप पर ‘मुख्यमंत्री’ ने कहा था…लिखकर पोस्ट किया था। शुक्ला जी से गल्ती सिर्फ इतनी हुयी कि उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम के आगे ‘जी’ शब्द नहीं लगाया था। फिर क्या, शासन के लटक बनें अफसरों ने घेराबंदी कर शुक्ला जी को सस्पेंड़ करवा दिया। साहेब लंबे समय तक बनवास में रहें। किसी तहर जुगाड़ बिठाकर ‘ऊपर’ अपनी बात पहुंचायी और बहाल हुये। सवाल है कि ‘जी’ ना लगाने पर एक डीआईजी को सस्पेंड़ कर दिया गया तो इसी गु्रप में निलंबित कमांडेंट अरुण सिंह ने ग्रुप पर अपने सीनियर्स को ‘धमकी’ तक दे दी, इनके खिलाफ क्या एक्शन लिया जायेगा ?

अरुण सिंह ने ग्रुप पर लिखा है कि मुझे आज कुछ सूचनाएं प्राप्त हुयी है, जिसे सुनकर क्रोध आ रहा है जिसको मैं नियंत्रित करके सच्चाई का साक्ष्य तलाश कर रहा हूं। आप अध्यक्ष के हैसियत से इसकी इंटर्नल जांच करके, मैटर को एसोसिएशन के सामने लाये, अन्यथा मंडलीय कमांडेंट से अलग जिला कमांडेंट की एक ग्रुप या एसोसिएशन बनाना पड़ेगा,आपके स्तर से निस्तारण हो तो अच्छा है अन्यथा जूतम-पैजार की नौबत आ सकती है। इस पर सीनियर अजय पाण्डेय ने जवाब दिया कि अरुण जी,जब कोई साथी एसोसिएशन को लिखित पत्र देगा तो अवश्य ही उसे उच्चाधिकारियों तक प्रेषित किया जायेगा और यदि साक्ष्य भी मिलेगा तो एसोसिएशन के स्तर से अवश्य ही भत्र्सना की जायेगी। कमांडेंट अरुण सिंह और डिवीजनल कमांडेंट अजय पाण्डये की भाषाशैली में जमीन-आसमान का फ र्क है। कमंाडेंट जहां अपने सभी सीनियर यानि डिवीजनल कमांडेंट को धमकी दे रहे हैं,वहीं डिवीजनल कमांडेंट अजय पाण्डेय शालीनता के साथ जवाब दे रहे हैं। सवाल है कि क्या धौंस देने वाले सस्पेंड़ जिला कमांडेंट अरुण सिंह के खिलाफ भी विभाग सक्ष्त कार्रवाई करेगा। अफसरों के बीच माह फरवरी में व्हाट्सअप पर चल रहे वाकयुद्ध को देखिये…।

अजय पाण्डेय अजय पाण्डेय, अध्यक्ष उ.प्र.होमगार्ड आफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि
एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कार्य सामंजस्य और सौहार्द बनाये रखना है। मेरे साथी महामंत्री और उपाध्यक्ष का भरपूर प्रयास रहता है कि सभी अधिकारी पारिवारिक माहौल बनाये रखें, किंतु कुछ ऐसे निरंकुश एवं अव्यावहारिक अधिकारी हैं जो अमर्यादित भाषा और शब्दों का प्रयोग करते रहते हैं। पूर्व में ऐसे लोगों को एसोसिएशन के ग्रुप से बहिष्कृत भी किया गया था, किंतु साथियों ने यह समझ कर जोड़ दिया कि कदाचित सुधार हो जाये ! पुन: समझाने का प्रयास किया जायेगा कि लोग असंयम न प्रदर्शित करें।वैसे मेरी कोई लालसा नहीं है कि मैं एसोसिएशन का अध्यक्ष बना रहूं,। पूर्व में भी मैंने पद छोडऩे हेतु अपने साथियों से अनुरोध किया था, किंतु साथियों ने कुछ कारण वश मुझे रोक दिया, किंतु आगे मैं अपने पद से त्याग पत्र दे दूंगा। मेरी कभी भी अमर्यादित, अपरिपक्व, असंयमित भाषा सुनने, पढऩे की आदत नहीं रही है और न ही मेरा ऐसा कोई पारिवारिक संस्कार ही रहा है। मैं सर्वदा ऐसी बातों की भत्र्सना ही करता आया हूं।