
अमेठी। राजीव ओझा: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां किसानों की आय बढ़ाने के लिए के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है और मवेशियों को रखने के लिए किसानों को गौशाला दे रही है। वहीँ अधिकारियों की लापरवाही से अमेठी जनपद में इन गौशालाओं का क्या हाल है आप देख सकते हैं। जहां इन गौशालाओं को सरकार ने ग्राम वासियों को गोवंश व अन्य पालतू जानवर रखने के लिए किसानों को दिया था। लेकिन मवेशी किसी भी गौशाला में ना होकर इसको लोग अपने घरों के रूप में प्रयोग कर रहे हैं वही जो मवेशी है अभी वह खुले आसमान के नीचे बाहर बंधे हुए हैं और इनके रहने के स्थान गोशाला में लोगों ने कब्जा जमा रखा है। वह भी पूरे घरेलू सामानों के साथ घर के रूप में प्रयोग कर रहे हैं ऐसे में बड़ा सवाल है कि सरकार की इस योजना को लागू होने के बाद किसी भी अधिकारी की इस पर नजर क्यों नहीं पड़ती ऐसे में तो यही कहा जाएगा की अमेठी जनपद के अधिकारी ऐसी योजना को लागू कर ही इतिश्री कर ले रहे हैं और जांच करने वाला कोई भी अधिकारी इस जनपद में ऐसी योजनाओं का नहीं है।

मामला अमेठी जनपद के ब्लॉक क्षेत्र बाजार शुक्ल के गांव पूरे शुक्लन का है जहां पर कुछ समय पहले सरकार की तरफ से चलाई जा रही गौशाला योजना के तहत यहां पर गांव के लाभार्थियों को गौशाला दी गई थी जिनमे कोई भी मवेशी न होकर लोग अपने मकान घर के रूप लंबे समय से गोशाला बनने के साथ से ही प्रयोग कर रहे हैं। इन सभी से बात करने पर ये लाभार्थी स्वीकार भी कर रहे हैं की इन गौशालाओं का हम अपने घर के रूप में प्रयोग कर रहे हैं और जिनके लिए गौशाला मिली है वह गोश्त गोवंश बाहर बांधे जाते हैं क्योंकि मुझे कॉलोनी में रहने के लिए अन्य स्थान नहीं मिला तो हमने गौशाला को ही अपना घर बना लिया है। जांच के नाम पर कोई भी अधिकारी आज तक नहीं आया और हम अपने घर की तरह अपने घरों में गौशालाओं में रह रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जनपद व ब्लाक के जो भी अधिकारी हैं और ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी किसी अधिकारी के कान पर जूं न रेंगना यही कहा जा सकता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश सरकार की ऐसी योजनाएं जनपद में परवान नही चढ़ रही हैं।

वहीं गांव के रहने वाले बदलू ने बताया कि हमे तो जब से मिली है यह गौशाला परिवार सहित हम इसी में रहते हैं हां मैंने टीवी पंखा सब कुछ लगा रखा है अब पूरे परिवार सहित हम इस में रहते हैं एक गाय है मेरे पास वह बाहर बंधी है और क्या करें मेरे पास कुछ नहीं था तो गौशाला मिली उसी में मैंने अपना घर बना लिया जांच के नाम पर पूछने पर बताया कोई भी जांच करने कोई कुछ कहने नहीं आया और हम परिवार सहित 5-6 माह से इसी में रहते है।

लाभार्थी महिला सियारा ने बताया कि मेरा नाम सियारा है और मैं इसी घर में इसी गौशाला में रहती हूं क्या करें जब मेरे पास कॉलोनी भी नहीं मिली तो कुछ था नहीं मेरे पास रहने के लिए तो मुझे गौशाला ही मिल गई और उसमें अपना घर बना लिया और परिवार सहित सब लोग इसी में रहती हूं और 5 महीना हो गए जब से मिली है तब से मैं अपने घर में रहती हूं हां एक मवेशी है जो कि बाहर बांध दिया जाता है और बाहर रहता है हम परिवार सहित इसी में रहते हैं और प्रधान ने बनवाया था।

लाभार्थी किसान केशव ने बताया कि मुझे भी सरकार की तरफ से गौशाला मिली है और जानवर एक ही है मेरे पास जिसको मैं गौशाला से बाहर रखता हूं और उसी के अंदर हम रहते हैं और क्या करें जब हमें और कुछ मिला नहीं रहने के लिए और जो है छप्पर पानी बरसता है तो पानी टपकता है फिर कहाँ जाएं इसलिए 5 महीने पहले मिली थी मुझे तब से मैं इसी में रहता हूं और प्रधान ने बनवाया था इसे जिसके बाद से परिवार सहित हम इसी में रहते हैं और अगर इसमें ना रहे तो कहां पर जाएं मेरे पास रहने का सही साधन भी नहीं है और इस सवाल पर कि यह गोवंश के लिए दिया गया है फिर आप क्यों रहते हैं लाभार्थी किसान का का जवाब है कि मेरे पास अन्य साधन रहने के लिए नही है इसलिए इसी को अपना घर बनाकर रह रहा हूं।

ग्रामवासी अमित कुमार ने बताया की यह जो भी गौशाला मिली हुई हैं लोगों को इनका उपयोग सब अपने घर की तरह कर रहे हैं और कई बार इसकी शिकायत एडीओ पंचायत विजय यादव ,सीडीओ, और जनपद के अन्य अधिकारी के साथ डीएम से भी शिकायत की गई लेकिन कोई भी जांच करने नहीं आया और अब तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है और सभी दर्जनों गौशालाओं में सभी लोग घर की तरह प्रयोग कर रहे हैं और घर में रह रहे हैं और जिनके लिए दिया गया है वह मवेशी बाहर बंधे हुए हैं और खुले आसमान के नीचे बांधे जाते हैं पर आज तक कोई भी अधिकारी जांच करने नहीं आया।