लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री जनहित का कोई काम करने के बजाय कड़े बयान और कड़े कानून के नाम पर जनता को बहकाने का काम ही अब तक करते आए हैं। उनसे न तो कोरोना संकट निबट पा रहा है और न ही कानून व्यवस्था सुधर रही हैं। अपराधियों की दहशत में लोगों को नींद नहीं आ रही है। मुख्यमंत्री की दिव्यशक्तियां कोई असर नहीं दिखा रही हैं उल्टे विकास विनाश में और शासन की चुस्ती सुस्ती में बदल गई है।
कोई पूछे कि कोई कानून सख्त या लचीला कैसे हो सकता है। कानून तो कानून है उसे कैसे लागू किया जाता है यह तो उसके लागू करने वाले पर निर्भर करता है। केवल सख्त बयान से तो कोई कानूनी पहल असरदार नहीं हो सकती है। भाजपा सरकार रोज-रोज नए-नए कानून की आड़ अपनी अकर्मण्यता पर पर्दा डालने के लिए ले रही है।
हालात यह हैं कि प्रदेश में अपराधी तांडव मचाए हुए हैं। उन्नाव के केसरी खेड़ा गांव में एक एनआरआई के बेटे का अपहरण के बाद उसकी हत्या कर दी गई। फिरोजाबाद में एक युवक को गोली मारी गई तो बदायूं में एक ग्रामीण की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। बुलन्दशहर में पुलिस के नकारेपन से एक दुष्कर्म पीड़िता ने आत्महत्या कर ली तो वहीं एक दूसरी युवती ने छेड़छाड़ से तंग आकर ज़हर खाकर जान दे दी। भाजपा राज में पीड़िताओं के लिए जान देने के अलावा और रास्ता ही क्या बचा है? लखनऊ में गुण्डा टैक्स न देने के चलते एक प्लास्टिक व्यापारी को मजबूरी में फांसी लगानी पड़ गई। देवरिया के गौरी बाजार थाना क्षेत्र में एक बैंक ग्राहक सेवा केन्द्र के कर्मी को दबंगों ने गोली मारी और उसके पांच लाख 40 हजार रूपये लूट ले गए। मुरादाबाद के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में नाबालिग बेटी को कुछ अवांछित तत्व परेशान कर रहे थे। परेशान होकर उसने घर में खुदकुशी कर ली। सोनभद्र में नाबालिग छात्रा से दुराचार हुआ।
रोज होने वाली वारदातों पर शासन-प्रशासन का ध्यान शायद नहीं जाता है। वैसे भी भाजपा राज में गरीब किसान, नौजवान की बात नहीं सुनी जाती है। बात सुनी जाती है बड़े-बड़े पूंजीपतियों की। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में विकास कार्य ठप्प है। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। लोग बीमारी से कम अपराधियों की गोली से ज्यादा मर रहे हैं। बचाखुचा काम सरकार फर्जी एनकाउण्टर से कर देती है।