आगरा। गौरव चौहान: जबसे आरटीओ ऑफिस से नंबर प्लेट का नया फरमान जारी हुआ है कि 1 दिसंबर से नंबर प्लेट बदली हुई होनी चाहिए इस नंबर प्लेट का फायदा गाड़ियों की एजेंसी वाले उठा रहे हैं। हर आदमी ऑनलाइन करना नहीं जानता इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
अभी हाल ही में एक ऑडियो वायरल हो रहा है। जिसमें अशोक लीलैंड एजेंसी से अमित नाम का आदमी खुले शब्दों में कह रहा है कि हमें 20,000 का आदमी रखना पड़ता है। उसका भी तो खर्चा नंबर प्लेट बनवाने वाले से ही निकाला जाएगा। जिसको जहां जैसे कंप्लेंट करनी है टीवी पर चलानी है वह चला ले हम स्वतंत्र हैं
इस ऑडियो से साफ जाहिर हो रहा है कि आरटीओ ऑफिस में सक्रिय दलाल और एजेंसी मालिकों का मिली जुली परंपरा शुरू से चली आ रही है। आज यह चरम सीमा पर है किसी एजेंसी को ना तो आरटीओ का डर है ना किसी कंप्लेंट का खुले शब्दों में सभी को चुनौती दी जाती हैं। एजेंसी मालिकों के पैसे का जुनून इस कदर चढ़ चुका है कि वह किसी की सुनने को तैयार नहीं है।
वहीं नई नियमावली के अनुसार ऑनलाइन कराने के बाद भी नंबर प्लेट एजेंसी से ही लेने जानी पड़ती है। इसलिए एजेंसी मालिक सभी से बढ़ा चढ़ा कर पैसे वसूल रहे हैं। इस वसूली में शायद आरटीओ ऑफिस की भी साझेदारी हो सकती है। अब देखने वाली बात होगी यह घूसखोरी किस चल सीमा तक पहुंचती है। संबंधित अधिकारी इस एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही करते हैं या मुंह बंद करके बैठ जाएंगे।