आखिर प्रमोटी कमांडेंट बड़े जिलों में ही क्यों चाहते हैं तैनाती ?


है कोई ऐसा प्रमोटी कमांडेंट जो छोटे जिले में तैनात होना चाहता है ?

क्या छोटे जिलों में इंसान,सरकार के नुमाइंदे नहीं रहते ?

ब्यूरो लखनऊ। टांसफर पॉलिसी में सभी की चाहत होती है कि इस बार उनकी नैय्या पार लग जाये और किसी तरह बड़का जिले में तैनाती मिल जाये। छोटका जिला रास नहीं आ रहा है…ना काम और ना बड़का कमाई…। भगवान से प्रार्थना करना पड़ता है कि किसी मृतक आश्रित का भर्ती हो जाये तो…आखिर सिकुड़ी वर्दी, बिना पॉलिस के जूतों से कितना कमायेंगे। एक बार-दो बार,फिर…अब तो जवान भी उग्र हो जाते हैं, आखिर कोई कब तक भैंस बेच कर मृतक आश्रित भर्ती में पैसा देता रहेगा…। फिर भी परिक्रमा चालू है और जुगत कि कऊनो तरह से बड़का जिला मिले तो एकै बार में इतना कमाई कर लैं कि बैंक बैलेंस,प्रापर्टी सब चकाचक हो जाये…।

‘द संडे व्यूज़’ अगले अंक में खुलासा करेगा कि कौन-कौन प्रमोटी कमांडेंट क्या खेल खेल रहे हैं। किसका खूंटा मजबूत है, कौन है कमजोर खिलाड़ी और कौन रिश्तेदारी की दुहाई देकर खुलेआम रंगबाजी रेल रहा है और कहता है कि हमार त बड़का जिला तय हो गईल बा…। त…हमार सवाल ई बा कि सब वीआईपी,नेता,संभ्रांत व्यक्ति बड़का जिला में ही रहे ला…छोटका जिला में इंसान ना रहेगा…। होमगार्ड विभाग काहें खातिर बनल बा…।

खैर,ये तो विभाग के मंत्री धर्मवीर प्रजापति और डीजी बीके मौर्य तय करेंगे कि प्रमोटी कमंाडेंट में कौन कमांडेंट निष्पक्ष अपने डयूटी को अंजाम देता चला आ रहा है। कौन कमांडेंट वर्दी का मान बढ़ाने का काम किया और कौन है जिस पर किसी तरह का आरोप ना लगा हो…। विभागीय अधिकारियों की मानें तो प्रमोटी कमांडेंट आज कल पूरी तरह से बेचैन हैं। बैठकों का दौर जारी है,जुगाड़ बिठाने का गुणा-भाग चल रहा है। स

भी जुगत में हैं कि मंत्री तक किससे जुगाड़ बिठाये…लिस्ट बन रही है और फिर काटी जा रही है। कोई डीजी तक फरियाद पहुंचाने का दमदार पैरोकार ढूंढ रहा है लेकिन हिम्मत किसी की नहीं पड़ रही है,क्योंकि डीजी सिस्टम को मानने वाले हैं। शाम ढ़लते ही मुख्यालय के आफिसर्स मेस में शराब और हांड़ी में मटन बनाने के दौर के बीच ट्रांसफर की गंभीर परिचर्चा चरम पर चल रही है। यानि,सभी को चाहिये बड़ा जिला। किसकी चाहत पूरी होगी ये तो इस माह के आखिर में पता चल ही जायेगा।


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