ये कैसा इंसाफ : जिला कैडर के बाबू को एक प्रमोशन और मुख्यालय कैडर के बाबूओं को 4 प्रमोशन ?
जिले कैडर के बाबूओं में खुशी की लहर,मुख्यालय कै डर के बाबूओं पर छाया गम का बादल
बाबूलाल मीणा के जिला,मुख्यालय कैडर के बाबूओं के एकीकरण के फैसले से विभाग में आया भूचाल
सदियों से मुख्यालय पर खूुंटा गाड़ बैठे बाबू का लगी रतजग्गा बीमारी,कोर्ट जायेंगे रिश्तेदारी निभाने वाले बाबू
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। 2000 के ग्रेड वेतन पर भर्ती होने वाले जिला कैडर के बाबू अपने सेवाकाल में मात्र 1 गे्रड पाकर 2800 के गे्रड वेतन पर ही वरिष्ठï सहायक के रुप में प्रोन्नति पाते थे और रिटायर हो जाते थे। जबकि मुख्यालय कैडर के बाबू समान योग्यता के आधार पर 2000 के ग्रेड वेतन पर भर्ती होते थे, किन्तु अपने सेवाकाल में 2800 ग्रेड वेतन के वरिष्ठï सहायक,4200 गे्रड वेतन के प्रशासनिक अधिकारी,4600 ग्रेड ग्रेड वेतन के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और 5400 के ग्रेड वेतन पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बनकर रिटायर होते हैं। सीधी बात करें तो जिला कैडर के बाबूओं को प्रमोशन का मात्र 20 प्रतिशत का मौका मिलता है और मुख्यालय कैडर के बाबूओं को 125 प्रतिशत…। अपर मुख्य सचिव बाबूलाल मीणा ने इस विसंगति को देखा और एक संवर्ग बनाये जाने का आदेश 29 नवंबर 2024 को जारी कर दिया है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर मुख्यालय के आईजी विवेक सिंह इतनी बड़ी विसंगति पर मटमैला कपड़ा क्यों ओढ़ाकर बैठे थे ? आईजी साहब मुख्यालय पर सदियों से तैनात अपने चहेते बाबूओं को बचाने के लिये हमेशा से एकीकरण का विरोध करते रहें लेकिन गीद्ध की तरह चौकन्नी निगाह रखने वाले अपर प्रमुख सचिव श्री मीणा से नहीं बच पाये। ‘द संडे व्यूज़’ मुख्यमंत्री की सोच को साकार करने वाले एसीएस बाबूलाल मीणा को सैल्यूट करता है…।
अपर प्रमुख सचिव बाबूलाल मीणा ने एक के बाद एक ऐतिहासिक फैसला कर होमगार्ड विभाग के महारथियों को पसीना निकाल दिया है। मृतक आश्रितों की पांच वर्ष से अधिक अवधि के बाद भर्ती पर लगायी गयी रोक को हटाकर गरीब जवानों के आश्रितों का नया जीवन देने का काम किया। उसके बाद मुख्यालय पर खूंटा गाड़कर वर्षों से मलाई खाने वाले बाबूओं के मंसूबों को ध्वस्त कर जिला कैडर के बाबूओं के साथ एकीकरण का निर्र्देश जारी कर दिया। इस फैसले का जिले कैडर के बाबूओं में खुशी की लहर दौड़ गयी,वहीं मुख्यालय कैडर के बाबू ठंड़ में मातम मना रहे हैं। हालांकि मुख्यालय पर तैनात बाबूओं की मंशा है कि वे इस फैसले के विरोध में न्यायालय की शरण में जायेंगे। खैर,बाबूओं की मंशा से हमें क्या लेना-देना लेकिन थोड़ा गुणा-भाग कर बताते हैं कि मुख्यालय पर तैनात कितने बाबूओं का क्या खेला चल रहा था।
अधिकारियों ने बताया कि आज भी मुख्यालय पर जिला कैडर के लगभग 25-30 बाबूओं को सम्बद्ध करके उनसे सारा काम लिया जाता है और मुख्यालय के बाबूओं को रिश्तेदार बनाकर एसी कमरे में बैठाकर मजा कराने के साथ ही धंधा कराया जाता है। मुख्यालय के प्रशासनिक अधिकारी,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से जिला कैडर के सैंकड़ों बाबू सीनियर हैं लेकिन यहां के अफसरों की गंदी राजनीति के चलते दबे-कुचले हैं। जिला कैडर के 291 जिला कैडर के कनिष्ठ सहायक के पदों के सापेक्ष मात्र 58 वरिष्ठ सहायक के पद दिये गये थे,वहीं मुख्यालय कैडर के 25 कनिष्ठ सहायक के पदों के सापेक्ष 26 प्रमोशन के पद दिये गये हैं। अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2012 में होमगार्ड विभाग ने शासनादेश जारी करके जिला और मुखयालय कैडर के कनिष्ठ सहायकों के 315 पदों को एक साथ कर दिया था और वरिष्ठï सहायकों की एक ही वरिष्ठता सूची बनाकर सबको लाभ देने का आदेश किया था किन्तु मुख्यालय ने मनमाने ढंग से अपने बाबूओं को प्रमोशन दे-देकर लाभान्वित किया है और तो और इनसे मोटी कमाई भी किया है।
वर्ष 2014 की वित्त विभाग की नियमावली जारी होने के बाद सभी विभागों की पुरानी नियमावलियां खत्म कर दी गयी थी,फिर भी मुख्यालय के अफसरों ने मनमाने ढंग से लाभ लेकर अपने चहेतों को बड़े पदों पर बिठा दिये हैं। खास बात तो यहे है कि अधिकांश प्रमोशन गलत तरीके से किये गये हैं और यदि इसकी जांच करा दी जाये तो चौंकाने वाले मामले सामने आयेंगे। जाहिर है कि एक संवर्ग बनाये जाने का आदेश होने के बाद मुख्यालय के बाबू विरोध करेंगे, पैसा फेंक कर इस आदेश को रूकवाने का प्रयास करेंगे।
अफसरों ने बताया कि मुख्यालय के बाबू अपने ‘आका’ आईजी साहब को पटाकर विलंब कराने का काम करेंगे,कोर्ट में जाने की भभकी देंगे, जिला कैडर के बाबूओं को परेशान करने का हर जतन करेंगे,फर्जी तरीके अपना कर बीमार होकर दबाव बनायेंगे…। यदि इस पर भी कामयाबी ना मिली तो अपने आका और चहेते अधिकारियों से घेराबंदी कर डीजी पर दबाव बनाने का कुचक्र रचेंगे। अब देखना है कि डीजी बी.के.मौर्या इनके दबाव में आते हैं या इस फैसले पर अमल करने का संदेश देते हैं…।
मुख्यालय पर वर्षों से खूंटा गाड़कर बैठे चर्चित बाबू
1- मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कुसुम पाण्डेय थीं,जो रिटायर हो गयी,जिसके बदले अभी मुख्यालय वाले प्रमोशन नहीं कर पाये हैं।
2-प्रशासनिक अधिकारी सुरेश यादव, भूपेन्द्र विक्रम सिंह हैं,जिनसे सीनियर जिला कैडर के पचासों बाबू हैं।
3- प्रधान सहायक के 6 बाबू हैं,जिनमें से एक नगीना मंडल कैडर के श्री सोनकर हैं,जिसका प्रमोशन शासन के 2012 के आदेश के विपरित किया गया है।
4- इसी तरह प्रदीप श्रीवास्तव और रुप राठौर सहित कई ऐसे बाबू हैं जो मजबूती से मुख्यालय का खूंटा गाड़कर बैठे हैं। खास बात ये है कि सारी बातें मुख्यालय पर तैनात अफसरों को है लेकिन..।