‘डीएनडी’ फार्मूले से लखनऊ कमांडेंट की कुर्सी के 3 हैं दावेदार: मनोज कुमार, अंतिम सिंह, बी.के.सिंह…


क्या डीडीए फार्मूले से मनोज कुमार,अंतिम सिंह,बी.के.सिंह में से कोई एक बनेगा लखनऊ का नया कमांडेंट ?

मुख्यालय के मिश्रा जी,डीजी और मंत्री से धका-धक पैरवी कर रहे हैं

ईमानदार डीजी पर मंत्री जी तो दिल खोलकर ‘अंतिम’ मुहर लगाने के लिये तैयार

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। अब बात करते हैं लखनऊ जिला कमांडेंट के कुर्सी की…। लखनऊ के कमांडेंट की कुर्सी सभी को प्यारी लगती है, क्योंकि यहां पर जो तैनात होता है, उसका संपर्क सीधे मंत्री और शासन के नौकरशाहों से बन जाता है। इसका लाभ भी कमांडेंट उठाते रहते हैं। इस कुर्सी के लिये प्रबल दावेदारों में होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति के करीबी उन्नाव, हरदोई के कमांडेेंट मनोज कुमार, बस्ती के प्रमोटी कमांडेंट अंतिम सिंह और मिरजापुर कमांडेंट बी.के.सिंह माने जा रहे हैं। बताया जाता है कि इनलोगों ने मुख्यालय के मिश्रा जी को डीएनडी (डू नाट डिस्टर्ब) की राह पर चलकर पकड़ लिया है ताकि खामोशी से काम हो जाये। पिछले सीजन में भी कई जिलों के कमांडेंट ने डीएनडी फार्मूले से मिश्रा जी से अपना काम कराया और मिश्रा जी कंबल ओढ़कर 40 परसेंट घी पी गये…।

होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति की बात करें तो उनका कोई करीबी नहीं है ,क्योंकि उन्हें अपने अलावा किसी पर रत्ती भर भरोसा नहीं रहा,तभी तो न जाने कितने स्टॉफ चेहरा दिखाकर चलते बनें। बहरहाल, मनेाज कुमार उन्नाव के कमांडेंट हैं और लंबे समय से अतिरिक्त जिले के रुप में हरदोई का कमान लंबे संभाल रहे हैं। जबकि कई काबिल कमांडेंट छोटे जिलों में झक मार रहे हैं, जहां ज्यादा काम ही नहीं है। कहा जाता है कि मनोज कुमार मंत्री के आवास पर एक इशारे पर पहुंच जाते हैं और जिले में ड्यूटी करने जाये या ना जाये, लेकिन माननीय का काम चुटकी बजाकर कर जाते हैं। अधिकारियों ने बताया कि एक वैवाहिक कार्यक्रम में भी बारात आने के दिन से लेकर विदाई कराने तक कमांडेंट साहेब बईठे रहें…।

हालांकि लखनऊ के कमांडेंट अमरेश कुमार का कार्यकाल अभी लगभग डेढ़ वर्ष ही हुआ है, इसलिये नियम की बात करें तो इनकी कुर्सी को कोई हिला नहीं सकता लेकिन आप तो जानते ही हैं…। इसके अलावा कमांडेंट प्रमोटी कमांडेंट और प्रापर्टी के धंधे में खूब रुपिया लगाने वाले अंतिम सिंह भी लखनऊ कमांडेंट की कुर्सी पकड़ के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इसी क्रम में एक और नाम तेजी से उभर कर आ रहा है,मिरजापुर के प्रमोटी कमांडेेंट बी.के.सिंह का। साहेब, लखनऊ में ही लंबे समय तक इंस्पेक्टर थे और कई गरीबों को गोमती नदी में डूबने से बचाने के लिये नदी में छलांग तक लगा दिये थे। हालांकि नदी में कूदने के बाद भी ‘मौर्या’ साहेब…सॉरी सिंह साहेब की वर्दी नहीं भींगती थी। इन पर गोमती मईया की इतनी कृपा है कि नदी में कूद जाते थे और गोमती मईया इनकी वर्दी को छू तक नहीं पाती थीं। खैर, बी.के.सिंह की लखनऊ कमांडेंट की कुर्सी के लिये हमेशा से बेताब रहे हैं। किसी कारण वश नहीं मिला तो बगलिये में सीतापुर, उन्नाव या बाराबंकिये मिल जाये…काम चला लेंगे।

शासन के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि साहेब तो मुख्यालय पर बैठे स्टाफ अफसर टू कमांडेंट जनरल को साधकर पहले ही मोटा चढ़ावा चढ़ा आये हैं। यही वजह है कि मिश्रा जी,डीजी और मंत्री से धका-धक पैरवी कर रहे हैं। देखना है कि ईमानदार डीजी पर मिश्रा की बातों का कितना प्रभाव पड़ता है, लेकिन मंत्री जी तो दिल खोलकर ‘अंतिम’ मुहर लगाने के लिये तैयार बैठे हैं।

शासन के सूत्रों ने यह भी बताया कि पिछले सीजन में ट्रांसफर- पोस्टिंग में डीजी के स्टॅाफ अफसर की अच्छी खासी चली थी। उन्होंने मंत्री और डीजी के बीच तालमेल बिठा कर ऐसा ब्रिज बनाया कि कई लोगों का ट्रांसफर कराने में कामयाब रहें और हिस्सा में से 40 प्रतिशत खुदे डकार गये। अभिलेश नारायण सिंह को मुरादाबाद, राजमणि सिंह को बरेली, बृजेश मिश्र को वाराणसी, रंजीत सिंह को प्रयागराज, राहुल कुमार को आगरा का कमान दिलाने में कामयाब रहें। सभी से मोटा दक्षिणा बटोरा था। हालांकि किसने कितना दान-दक्षिणा दिया,इसकी पुष्टि ‘द संडे व्यूज़’ नहीं करता।


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