लखनऊ। आशुतोष पाण्डेय। लखनऊ के पीजीआई थाना इलाके के वृंदावन कॉलोनी सेक्टर-14 में हिस्ट्रीशीटर प्रॉपर्टी डीलर दुर्गेश यादव की हत्या उसीके अवैध असलहे से की गई थी। यह दावा पुलिस ने किया है। लेकिन खुलासे पर सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी पिटाई के बाद जान बचाकर भाग रहे अर्धनग्न दुर्गेश ने .32 बोर का रिवाल्वर कब और कैसे हासिल कर लिया। इस सवाल पर पुलिस चुप है।
वहीं, हत्याकांड के एक और आरोपी संतोष को पुलिस ने दिल्ली बॉर्डर पर गिरफ्तार कर लिया। आरोपी से पूछताछ की जा रही है। मालूम हो कि मुख्य आरोपी पलक ठाकुर और मनीष यादव को बुधवार को ही पकड़ लिया था। वारदात सचिवालय में समीक्षा अधिकारी अजय यादव के मकान पर हुई थी। जहां दुर्गेश यादव, मानवेंद्र सिंह, अभय कुमार, सोवेंद्र यादव और संजीत कुमार किराए पर रहते थे।
डीसीपी पूर्वी चारू निगम के मुताबिक, दुर्गेश यादव ने पलक व मनीष से एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम लेकर लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया था।
वहीं, दुर्गेश यादव हत्याकांड के बाद पुलिस नौकरी के नाम पर ठगी करने के मामले में सचिवालय से जुड़े 15 अफसरों कर्मचारियों की कुंडली खंगालने में जुटी। जिसमे विशेष तौर से 4 विभागों के 15 कर्मचारियों की कुंडली खंगाल रही है। जिसमे सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी, शिक्षा और सचिवालय की तृतीय श्रेणी वा कंप्यूटर ऑपरेटर भर्ती देखने वाले अफसर कर्मचारियों को मुख्य रडार पर रखा गया है। इसके साथ ही जालसाजों से मिले दस्तावेजों की जांच को सचिवालय के अधिकारियों को प्रति उपलब्ध कराई जा चुकी है।