कोरोना वायरस और लॉकडाउन का असर देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर भी देखने को मिला है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून तिमाही) में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है. इसकी तुलना में पिछली तिमाही में जीडीपी में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. 2019-20 की समान तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. सोमवार को सरकार की ओर से जीडीपी के आंकड़े जारी किए गए. 21 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय सहायता के बावजूद कोरोना वायरस महामारी की वजह से कारोबार और आम इंसान पर भारी असर पड़ा.
भारत साल 1996 से जीडीपी के आंकड़े जारी कर रहा है. यह तब से लेकर अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कई कोशिशें की गईं. रिजर्व बैंक ने आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मार्च से रेपो रेट में 1.15 प्रतिशत की कटौती की है.
जीडीपी के ताजा आंकड़े भारत की सबसे बड़ी मंदी की शुरुआत का अंदेशा जता रहे हैं, जिसके चालू वित्त वर्ष के दूसरी छमाही तक जारी रहने की आशंका है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से मांग प्रभावित हुई है और आर्थिक गतिविधियों में तेजी पर दबाव पड़ रहा है. आमतौर पर लगातार दो तिमाही में जीडीपी की दर नकारात्मक रहने पर मंदी माना जाता है.
मुख्य आर्थिक सलाहाकार के सुब्रमण्यन ने पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर ऑडियो जारी करके बयान दिया. उन्होंने कहा, “अप्रैल-जून तिमाही के दौरान देश में लॉकडाउन था. सभी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद रहीं. पहली तिमाही में GDP की गिरावट अनुमान के अनुरूप है.”