अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत होने के बाद अब सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी मस्जिद निर्माण को लेकर सक्रिय हो गया है। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के नाम से ट्रस्ट गठित होने के बाद अयोध्या के धन्नीपुर में मिली जमीन का चिन्हांकन करा दिया गया है। वहीं बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा है कि मस्जिद का नाम देश के नाम कुर्बान होने वाले महापुरुषों के नाम पर रखा जाए तो बेहतर रहेगा।
इकबाल अंसारी ने कहा कि बाबर का हमारे धर्म से कोई विशेष संबंध नहीं रहा है। अयोध्या विवाद पर 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप शासन ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन दे दी थी। अयोध्या के धन्नीपुर ग्राम सभा में स्थित यह जमीन श्री राम जन्मभूमि से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और नेशनल हाईवे संख्या- 28 के करीब है। वक्फ बोर्ड को दी गई है जमीन कृषि विभाग की थी। 17 अगस्त को सुन्नी सेंट्रल बोर्ड के सदस्यों की मौजूदगी में 5 एकड़ की जमीन का चिन्हांकन भी कर दिया गया है। वक्फ बोर्ड जमीन को मस्जिद निर्माण के लिए गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन को निर्माण के लिए सौंपेगा।
माना जा रहा है कि जमीन के चिह्नांकन होने के बाद मस्जिद निर्माण का कार्य शीघ्र शुरू किया जा सकता है। वहीं बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि बाबर का सिर्फ नाम ही है। वह बादशाह जरूर रहा लेकिन उसका हमारे धर्म से कोई विशेष संबंध नहीं है। हम बाबर का नाम पहले भी नहीं लेते थे और आज भी नहीं लेते। इकबाल अंसारी ने कहा कि मुस्लिम समाज ने भारत के लिए अपनी कुर्बानी दी है। मुस्लिम समाज के कई महापुरुषों ने देश को गति देने में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। अब्दुल कलाम आजाद, अशफाक उल्ला खां, वीर अब्दुल हमीद, मौलाना आजाद और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अपने देश के लिए योगदान दिया। ऐसे महापुरुषों के नाम पर मस्जिद का नाम रखा जाना चाहिए।