भाई-बहन का ये त्यौहार भारत में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है। राखी बांधते समय जो याद रखा जाता है वो है भद्रा काल। शास्त्रों में राहुकाल और भद्रा के समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा में राखी न बंधवाने की पीछ कारण है कि लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्रा में राखी बंधवाई और एक साल के अंदर उसका विनाश हो गया। इसलिए इस समय को छोड़कर ही बहनें अपने भाई के राखी बांधती हैं।
वहीं यह भी कहा जाता है कि भद्रा शनि महाराज की बहन है। उन्हें ब्रह्माजी जी ने शाप दिया था कि जो भी व्यक्ति भद्रा में शुभ काम करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। इसके अलावा राहुकाल में भी राखी नहीं बांधी जाती। आज भद्रा सुबह दिन में 08:28 तक ही रहेगी। इसके बाद 9 बजे तक राहु काल रहेगा। इसलिए इस समय के बाद राखी बांधी जा सकती है। दोपहर 2 से शाम 7 बजे के बीच लगातार चर लाभ और अमृत के तीन शुभ चौघड़िया मुहूर्त होंगे। इसलिए दोपहर 2 से शाम 7 बजे के बीच का पूरा समय भी राखी बांधने के लिए शुभ होगा।
सुबह का शुभ मुहूर्त
सुबह 9 बजे से 10:22 बजे तक
दोपहर 1:40 बजे से सायं 6:37 बजे तक।
इस पवित्र त्योहार पर हर बहन अपने भाई की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना करती है। इस दिन बड़ी बहनें भाइयों को आशीष दिया करती हैं तो छोटी बहनें भाई की खुशहाली के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।
पूजा विधि –
रक्षाबंधन के दिन सुबह स्नान कर पूजा की थाली तैयार करे जिसमे राखी, रोली, चन्दन, अक्षत, मिठाई, फूल और घी का दीपक रखें। इस थाली को फिर पूजा स्थान में रख भगवान का स्मरण करें, दीपक जला कर पूजा करें। इसके बाद में पहले भाई के माथे पर तिलक लगायें और सीधे हाथ में राखी बंधे फिर भाई की आरती उतारे। अंत में मिठाई खिला कर मुँह मीठा करें। स्मरण रखे की भद्रा काल मे राखी ना बांधे।