‘भ्रष्ट’ अफसरों की खैर नहीं- यूपी सरकार ने कसा शिकंजा, अब नहीं बचेगी ‘छुपी संपत्ति’


31 जनवरी तक सभी कर्मचारियों को संपत्ति विवरण पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य

1 फरवरी से होगी विभागीय समीक्षा, विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई

मुख्य सचिव ने जारी किया विस्तृत आदेश

ब्यूरो ,लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार पर सबसे बड़ा प्रहार करते हुए एक ऐसा आदेश जारी किया है, जिसने राज्य के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों में हलचल मचा दी है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब कोई भी कर्मचारी अपनी चल-अचल संपत्ति को छुपाकर नहीं रख पाएगा। सभी को 31 जनवरी 2026 तक अपनी पूरी संपत्ति का विवरण अनिवार्य रूप से सरकारी पोर्टल पर अपलोड करना होगा।

मुख्य सचिव एस.पी. गोयल द्वारा जारी इस कठोर निर्देश में कहा गया है कि 1 फरवरी से सभी विभागों में अपलोड किए गए विवरणों की समीक्षा शुरू होगी और जिन कर्मचारियों ने विवरण नहीं दिया है, उन पर सीधे नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि संपत्ति छिपाने वाले अधिकारियों पर अब कोई ढील नहीं दी जाएगी।

शासनादेश के अनुसार यह पूरा सिस्टम उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली, 1956 के नियम-24 के तहत लागू किया गया है, जिसके मुताबिक हर सरकारी कर्मचारी को हर साल अपनी संपत्तियों का खुला ब्योरा देना अनिवार्य है। सरकार ने पाया है कि कई वर्षों से बड़ी संख्या में कर्मचारियों द्वारा संपत्ति का विवरण समय से नहीं दिया जा रहा था—और कई मामलों में अनियमितता के संकेत भी मिले थे।

अब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बार किसी भी कर्मचारी की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रमोशन, विभागीय चयन, जाँच, तैनाती, और हर तरह की प्रशासनिक प्रक्रिया में संपत्ति विवरण सबसे आवश्यक दस्तावेज माना जाएगा। जो कर्मचारी संपत्ति छुपाकर बैठे हैं, उनकी मुश्किलें बढ़नी तय हैं।सरकार ने सभी विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश की प्रति भेज दी है और कहा है कि अपने-अपने विभागों में अनुपालन की सख्त निगरानी की जाए। बताया जा रहा है कि शासन स्तर पर भी एक टीम गठित की जा रही है, जो पूरे राज्य में अपलोड हो रहे विवरणों पर पैनी नज़र रखेगी।

सरकार का मानना है कि इस डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था से भ्रष्टाचार पर सबसे बड़ा प्रहार होगा और कोई भी कर्मचारी अपनी अवैध संपत्ति को छुपाकर नहीं रख पाएगा। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो सरकार की मंशा साफ है—अब “बेनामी संपत्ति” और “काली कमाई” पर सख्त कार्रवाई के दौर की शुरुआत हो चुकी है।

राज्य कर्मचारियों में इस आदेश के बाद जबरदस्त हलचल है और कई विभागों में अधिकारी पहले से ही अपने विवरण जुटाने में लग गए हैं। शासन की मंशा साफ है—अब बेईमानी छुपेगी नहीं, और ईमानदार कर्मचारियों को राहत मिलेगी।


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