के.के.सी. में समूह ग में अवैध तरीके से 8 कर्मचारियों की कर ली गयी भर्ती
बेरोजगारों से छल करने वाले प्रबंधन के खिलाफ सपा नेता अनिल यादव ने भरी हुंकार
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। शिक्षा विभाग में जब शासन स्तर से ही ये कालेज के प्रबंधन को ये बताया जाये कि भ्रस्टाचार की कहानियां किस तरह से लिखी जाती है तो फिर वहां पर लूट तो मचेगी ही…। वैसे भी राजधानी में मुख्यमंत्री से लेकर पूरा शासन विराजमान है और यहीं पर (केकेवी) और (केकेसी) में मैनेजमेंट में बैठे मठाधीश शासनादेश की धज्जियां उड़ाकर भर्ती कर ले रहे हैं। फर्जी भर्ती कराने का फरमान कोई और नहीं बल्कि उच्च शिक्षा निदेशक ने दी है। हालांकि इसकी पुष्टि ‘द संडे व्यूज़’ नहीं करता लेकिन बप्पा श्री नारायण वोकेशन पीजी कालेज (केकेवी) में लाइबे्ररी क्लर्क,आफिस क्लर्क, लाइब्रेरियन एवं लैब असिस्टेंट के 9 पदों पर मैनेजमेंट ने पीछे के दरवाजे से भर्ती कर ली जबकि उक्त पदों पर भर्ती अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा होना चाहिये था।

चौंकाने वाली बात ये है कि 1 व 2 जुलाई 2025 को अभ्यर्थियों का टाइप टेस्ट लिया गया,जिसमें 16 अभ्यर्थी चयन किये गये। 3 जुलाई को टाइप का एक्जाम क्लीयर करने वाले 16 अभ्यर्थियों की लिस्ट चस्पा की गयी और थोड़ी देर बाद ही लिस्ट फाड़ दी गयी। उसी दिन 14 अभ्यर्थियों की दूसरी लिस्ट चस्पा की गयी,जिसमें 14 के बजाये 15 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिये बुलाया गया। सवाल ये है कि आखिर 15वां अभ्यर्थी नीरज जायसवाल का नाम चयनित अभ्यर्थियों की लिस्ट में कैसे और किसके इशारे पर डाला गया ? सवाल ये भी है कि एक ही दिन में दो बार चयनित अभ्यर्थियों की लिस्ट चस्पा कर फाडऩे की मैनेजमेंट द्वारा हड़बड़ी क्यों की दिखायी गयी ? नियमावली है कि परीक्षा के दौरान अनुदेशक व उसके साथ लाये गये कर्मचारी ही तैनात हो सकते हैं,लेकिन चयन समिति में ना होते हुये भी प्रोफेसर अनिल पाण्डेय व उनके साथ कालेज के तीन अन्य क्लर्क परीक्षार्थियों के बीच एक्जाम हॅाल में क्या कर रहे थे ? हास्यापद बात तो ये है कि लिखित परीक्षा का रिजल्ट निकाले बिना ही नौ जुलाई को सभी अभ्यर्थियों का इंटरव्यू करा लिया गया। इतना ही नहीं,कालेज मैनेजमेंट ने बिना फाईनल रिजल्ट घोषित किये क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अनुमोदन के लिये लिस्ट भेज दी गयी। उसके बाद चोरी-छिपे 23 जुलाई को अनुमोदन लाकर सभी की ज्वाइनिंग भी शुरु करा दी गयी। सीधी बात करें तो पूरी भर्ती प्रक्रिया ही फर्जी है।

बात जो भी हो,विपक्ष ने मामले को लपक लिया है। समाजवादी युवजन सभा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष, पूर्व सदस्य राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग उ.प्र. अनिल यादव ने (केकेवी) प्रबंधन के फर्जीवाड़ा का खुलासा कर दिया है। अनिल यादव ने शासनादेश और उसके विपरित हुयी भर्ती पर इतने सवाल उठा दिये कि है कि अब प्रबंधन के घोटालेबाजों की नींद उड़ी हुयी है। अनिल यादव की ललकार है कि शिक्षा के मंदिर में रहने वाले पुजारी ही जब मंदिर अपवित्र करने का काम करेंगे तो लोगों का भरोसा उठ जायेगा। केकेवी पीजी कालेज प्रशासन के लोगों ने जिस तरह से पीछे के दरवाजे से भर्ती किया,यदि उसे निरस्त नहीं किया गया तो हमलोग आंदोलन करेंगे। भाजपा सरकार में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिये शासन स्तर से हर संभव कोशिश की जा रही है।भ्रस्टाचार रोकने के लिये ही सरकार ने समूह ग की रिक्तियों को अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड से कराने का निर्णय लिया। बावजूद इसके बप्पा श्री नारायण वोकेशनल पीजी कालेज (के.के.वी.) में शासनादेश की धज्जियां उड़ाते हुये अवैध तरीके से 9 पदों पर भर्ती कर ली गयी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे गये पत्र में समाजवादी युवजन सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष,पूर्व सदस्य राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अनिल यादव ने (केकेवी) में मैनेजमेंट द्वारा करायी गयी फर्जी भर्ती का खुलासा किया है।
पत्र में श्री यादव में उठाया है कि (के.के.वी.) बप्पा श्री नारायण वोकेशन पीजी कालेज,चारबाग और (केकेसी) जय नारायण मिश्रा पीजी कालेज,चारबाग में 2014 के शासनादेश का उल्लंघन कर रहे हैं। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की नीतियों से बेपरवाह दोनों कालेज में अवैध तरीके से भर्ती कर दी गयी। बताया गया कि एक व दो जुलाई को अभ्यर्थियों का टाइप टेस्ट लिया गया,जिसका परिणाम तीन जुलाई 2025 को निकाला गया। टाइपिंग में पास होने वाले अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा चार जुलाई को करायी गयी। लिखित परीक्षा का परिणाम जारी किये बिना नौ जुलाई को सभी अभ्यर्थियों का साक्षात्कार ले लिया गया था और परीक्षा परिणाम घोषित किये बिना क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अनुमोदन के लिये अभ्यर्थियों की लिस्ट भेज दी गयी। 23 जुलाई को गुपचुप तरीके से अनुमोदन लाकर ज्वाइनिंग करा दी गयी। सपा नेता अनिल यादव ने सवाल उठाया है कि तीन जुलाई को जब टाइपिंग पास होने पर 16 अभ्यर्थियों की लिस्ट चस्पा की गयी थी,तो थोड़ी देर बाद उस लिस्ट को क्यों फाड़ दी गयी थी ? फिर थोड़ी देर बार 14 अभ्यर्थियों के चयन होने की लिस्ट चस्पा की गयी। चार जुलाई को साक्षात्कार के लिये 14 के बजाये 15 चयनित अभ्यर्थियों को बुलाया गया। चौंकाने वाली बात ये है कि जब 14 अभ्यर्थी पास थे तो उन्हें ही साक्षात्कार के लिये बुलाना चाहिये, फिर 15वां अभ्यर्थी नीरज जायसवाल कहां से आ गया ? पत्र में उल्लेख किया गया है कि परीक्षा के दौरान चयन समिति में ना होते हुये भी प्रोफेसर अनिल पाण्डेय सहित कालेज के तीन क्लर्क मौजूद थे। आखिर ये लोग परीक्षार्थियों के बीच क्या कर रहे थे ? नियमावली की बात करें तो परीक्षा के दौरान अनुदेशक व उनके साथ लाये गये कर्मचारी ही तैनात हो सकते हैं, फिर प्रोफेसर अनिल पाण्डेय ?

कुछ इसी तरह फर्जी भर्ती का खेल मैनेजमेंट द्वारा (के.के.सी) जय नारायण मिश्रा पीजी कॉलेज,चारबाग में किया गया था। 8 पदों पर शासनादेश के विपरित भर्ती कर ली गयी लेकिन खुलासा होने पर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ.सुधीर चौहान का तबादला कर दिया गया। आखिर में श्री यादव ने कहा कि यदि अवैध नियुक्तियां न होती तो उत्तर प्रदेश सरकार व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को लगभग2000 नियुनिक्तयां करने का श्रेय मिलता परन्तु उच्च शिक्षा विभाग ने सरकार के हाथों से ये लाभ भी छिन लिया। बयान अनिल यादव पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष,समाजवादी युवजन सभा,पूर्व सदस्य राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में पारदर्शिता लाने के लिये 15 दिसंबर 2014 कोशासनादेश जारी किया गया था। उसे दरकिनार कर बैक डोर से के.के.वी. और के.के.सी. में भर्तियां की गयी है। देखा जाये तो उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी ही सरकार विरोधी हैं और सरकारी नीतियों की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। तभी तो के.के.वी. और के.के.सी मैनेजमेंट धड़ल्ले से फर्जी भर्ती कर मालामाल हो रहे हैं।
श्री यादव ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि भर्तियां निरस्त नहीं की गयी तो हमलोग आंदोलन कर सरकारी तंत्र को हिला देंगे। इसी तरह का फर्जीवाड़ा केकेसी में भी किया गया है। जब हंगामा किया गया तो शासन के अधिकारियों ने के.के.सी. में भी समूग ग में नौ कर्मचारियों की भर्ती कराने में पूर्व क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी अंजनी कुमार मिश्रा,मैनेजमेंट बी.एन.मिश्रा-अघ्यक्ष के.के.सी. प्रबंध समिति,प्रबंधन जी.सी.शुक्ला की मिलीभगत है।