डॉ. राजेश्वर सिंह का बड़ा सवाल : बेटियों की अस्मत के सौदागरों पर ‘सेक्युलर पार्टियों’ की चुप्पी क्यों ?


राजेश्वर सिंह ने की केंद्रीय कानून की मांग

डॉ. राजेश्वर सिंह ने चेताया: धर्मांतरण कोई धार्मिक स्वतंत्रता नहीं, भारत के अस्तित्व पर हमला

‘हमारी बेटियों की अस्मिता अमूल्य, अब चाहिये धर्मांतरण विरोधी केंद्रीय कानून

डॉ. राजेश्वर सिंह का बड़ा सवाल : बेटियों की अस्मत के सौदागरों पर सेक्युलर पार्टियों की चुप्पी क्यों ?

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हाल ही में उजागर हुये छांगुर बाबा धर्मांतरण गिरोह और आगरा में आईएसआईएस लिंक्ड कन्वर्जऩ मॉड्यूल के खुलासे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इन घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा है कि धर्मांतरण अब धार्मिक स्वतंत्रता का प्रश्न नहीं, बल्कि भारत की आस्था, बेटियों की अस्मिता और सामाजिक स्थिरता पर सीधा हमला है। अब भारत को एक सशक्त, सर्वमान्य और कठोर केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी अधिनियम की आवश्यकता है जो देश के हर हिस्से में लागू हो और ऐसे षड्यंत्रों की जड़ से सफ ाई करे। विधायक ने इस गंभीर विषय पर केंद्र सरकार को पत्र लिखकर एक सशक्त केंद्रीय कानून बनाने की अपील की है। डॉ. सिंह ने केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को एक विस्तृत पत्र लिखकर मांग की है कि देश में सुनियोजित अवैध धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग, लव जिहाद और आतंकी संगठनों से जुड़ी गतिविधियों को रोकने के लिये एक व्यापक केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी अधिनियम लागू किया जाये।

अवैध धर्मांतरण एक सुनियोजित और खतरनाक नेटवर्क छांगुर बाबा ने लगभग 5000 हिन्दू लड़कियों का धर्मांतरण करवाया, जातिगत मूल्य निर्धारण किया और सैकड़ों करोड़ का साम्राज्य खड़ा किया। आगरा में दो बहनों को जबरन कोलकाता ले जाया गया, जहां से यूपी पुलिस ने मिशन अस्मिता के तहत उन्हें मुक्त कराया और 10 धर्मांतरण एजेंटों को गिरफ्तार किया। ऐसे मामले बताते हैं कि यह कोई स्थानीय अपराध नहीं, बल्कि एक सुनियोजित, वैचारिक और विदेशी फ ंडिंग से पोषित राष्ट्रविरोधी गतिविधि है।

सवाल: क्यों है अवैध धर्मांतरण खतरनाक ?

1- यह केवल धर्म नहीं बदलता, यह संस्कृति को मिटाता, परिवार तोड़ता, और आत्म-चेतना कु चलता है।

2- लव जिहाद, झूठी पहचान और विवाह के माध्यम से भोली- भाली लड़कियों को जाल में फँ साया जाता है।

3- एनजीओ और धर्मांतरण प्रचारकों को विदेशी फं डिंग से समर्थन मिलता है।

4- युवतियों को डिजिटल कट्टरपंथ और आतंकी मानसिकता में ढाला जाता है।

राजेश्वर सिंह द्वारा सुझाये गये केंद्रीय कानून की प्रमुख बातें:

स्पष्ट परिभाषा और श्रेणीकरण

1- जबरन, प्रलोभन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन, विवाह आधारित कन्वर्जऩ, और विदेशी फंडिंग से प्रेरित धर्मांतरण को अलग- अलग श्रेणी में रखा जाये।

2- संगठित धर्मांतरण को वैचारिक आतंकवाद व मानसिक शोषण माना जाये। कठोर दंड का कड़ा प्रावधान 1ण् मास कन्वर्जऩ नेटवर्क चलाने वालों के लिए आजीवन कारावास।

3- एजेंटों और बिचौलियों के लिए कम से कम 7 से 10 वर्ष की सजा।

सुरक्षा एवं निगरानी उपाय

1- हर धर्मांतरण से पूर्व एवं पश्चात जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अनिवार्य घोषणा।

2- विवाह आधारित धर्मांतरण के लिये न्यायिक जांच आवश्यक।

3- राष्ट्रीय धर्मांतरण विरोधी प्राधिकरण की स्थापना जो सामूहिक आयोजनों,फडिंग और नेटवर्क पर नजऱ रखे।

4- एनआईए को आतंक और विदेशी फडिंग से जुड़े मामलों की जांच का अधिकार।

पीडि़तों का संरक्षण

1-धर्मांतरण गिरोहों से मुक्त कराई गई बेटियों के लिये तत्काल पुनर्वास, कानूनी सहायता और सुरक्षा।

2- फर्जी पहचान व सोशल मीडिया पर कट्टरपंथ फैलाने वालों पर कड़ी कार्यवाही।

3-एनजीओ और विदेशी चंदा की सख्ती

4- जिन एनजीओ की गतिविधियाँ धर्मांतरण से जुड़ी हों, उन पर प्रतिबंध या नियंत्रण।

5- धार्मिक संस्थाओं की अनिवार्य ऑडिटिंग और विदेशी फंडिंग की गहन जांच।

राजनीति नहीं, राष्ट्र सर्वोपरि हो : डॉ. सिंह ने विपक्षी दलों की चुप्पी पर तीखा प्रहार करते हुये कहा कि जब बेटियाँ बेची जाती हैं, जब धर्मांतरण के नाम पर आतंक की खेती होती है, तब सेक्युलर दलों की चुप्पी, राष्ट्रहित से नहीं, वोट बैंक से संचालित होती है। यह चुप्पी आतंकवाद का मौन समर्थन है।


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