इंडियन ओवरसीज बैंक में सेंध-आखिर 42 लॉकर ही क्यों तोड़े?


लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंडियन ओवरसीज बैंक में चोरों ने हाथ साफ कर दिया। वारदात मटियारी पुलिस चौकी से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित बैंक में हुई। पुलिस को इस घटना की भनक तक नहीं लग सकी। चोर रात 12:30 बजे बैंक में दाखिल हुए। इलेक्ट्रॉनिक कटर से स्ट्रॉन्ग रूम की दीवार काटी। लॉकर रूम में लॉकरों को काटकर सामान गायब कर दिया। चोर सुबह 4 बजे बैंक से भाग निकले। किसी को कानोकान खबर नहीं हुई। अयोध्या रोड पर चिनहट इलाके में इंडियन ओवरसीज बैंक में सेंधमारी की इस घटना पर चर्चा गहरा गई है। 42 लाकरों में चोरी के मामले में बैंक की सुरक्षा मानकों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बैंक में लाखों रुपये थे, लेकिन सुरक्षा को लेकर इंतजाम नाकाफी थे।पुलिस और आसपास के लोगों से बात करके जानने की कोशिश की गई कि कहां-कहां चूक हुई। इसमें ये सात बिंदु मुख्य रूप से उभर कर सामने आए हैं:

डीसीपी शशांक सिंह का मानना है कि बैंक में अलार्म नहीं था इसलिए बजा नहीं। वहीं बैंक मैनेजर संदीप का तर्क है अलार्म लगा था पर, चोरों ने तार काट दिया और अलार्म उखाड़ दिया था। ग्राहकों और एडीसीपी पूर्वी पंकज सिंह ने पुष्टि की रात में बैंक में कोई भी सुरक्षाकर्मी नहीं रहता है। ग्राहकों का कहना है कि यह बड़ी लापरवाही है। बैंक में सुरक्षाकर्मी की ड्यूटी जरूर होनी चाहिए थी।पुलिस जांच में सामने आया है कि बैंक में चार ही सीसीटीवी कैमरे लगे थे। जबकि सीसीटीवी कैमरे कई एंगल से लगे होने चाहिए थे।

बैंक के आस-पास रहने वाले लोगों ने बताया कि पुलिस चौकी महज 100 मीटर की दूरी पर ही है। इसके बावजूद पेट्रोलिंग क्यों नहीं? लोगों का कहना है कि पुलिस सही से पेट्रोलिंग कर रही होती तो वारदात न होती।बैंक के पड़ोस में रहने वाले गोपाल कृष्ण गुप्ता ने बताया कि बैंक से तीन महीने पहले चोर एटीएम में लगे से एसी का आउटडोर यूनिट चोरी कर ले गए थे। उससे पहले भी कई बार छोटी-छोटी चोरी होती रहती थी। इसकी जानकारी बैंक प्रशासन को भी थी। बैंक मैनेजर ने मामले की शिकायत पुलिस से की थी। तब मामला रफादफा कर दिया गया था।

चोर जिस दीवार को तोड़ कर बैंक के अंदर दाखिल हुए,उसमें प्लास्टर तक नहीं था। ऐसे में चोरों को उस दीवार को तोड़ने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई होगी। जानकारों की मानें तो बैंक की दीवार की चुनाई भी अच्छे मसाले से नहीं की गई होगी। इस लिए चोरों को दीवार की ईंटे हटाने में कोई समस्या नहीं हुई। बैंक में चोरी की सूचना 112 पर रविवार सुबह ही दे दी गई थी। घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस और बैंककर्मियों ने काफी देर तक वारदात सार्वजनिक होने से रोके रखा। हालांकि काफी पुलिस और डॉग स्क्वाड मौके पर पहुंचने पर वारदात वायरल हो गई। पुलिस ने बैंक की डीबीआर को कब्जे में ले लिया है।

पुलिस की जांच में सामने आया है कि चोरो ने 42 लॉकर तोड़कर सामान चोरी कर लिए है। इसमें लॉकर नंबर 32,33,34,38,39,40,41, 44 से 79 तक के लॉकर शामिल है। पुलिस ने बैंक से ये लॉकर होल्डर के नाम के साथ साथ ही उनके पाते और फोन नंबर की जानकारी मांगी है सूत्रों की मानें तो गैंग में 8 से अधिक लोग शामिल हैं। इसमें से गैंग के 4 सदस्य अंदर गए थे। जबकि कुछ लोग बहार निगरानी कर रहे थे। पुलिस सड़क पर लगे कैमरों की भी जांच कर रही है। अंदेशा है कि चोर चोरी करने के बाद गली के रास्ते ही भागे थे।

डीसीपी ने बताया कि बैंक के स्ट्रॉन्ग रूम में एक वॉर्ड में 12 लाख रुपये रखे थे। पर, चोरों ने उस वॉर्ड को छुआ तक नहीं। विशेषज्ञों की मानें तो चोरों को पता था कि बैंक के 12 लाख रुपये चोरी करने पर वह फंस सकते हैं। उन रुपयों की सीरीज बैंक के पास होती है। इस सीरीज नंबर के रुपये खर्च करने पर चोरों को ट्रैक किया जा सकता था।

चोरों ने सिर्फ 42 लॉकरों को ही निशाना बनाया है। जबकि स्ट्रॉन्ग रूम में 90 लॉकर थे। यही नहीं चोरों ने ऊपर से पांच और नीचे की दो लाइन के लॉकरों को हाथ तक नहीं लगाया। जबकि उनके पास अन्य लॉकरों को काट कर चोरी करने का पूरा मौका था। पुलिस अधिकारियों को शक है कि चोरों को इस बात की पुख्ता जानकारी तो नहीं थी कि किन-किन लॉकर नंबरों में ज्यादा माल हो सकता है। पुलिस इस बात पर भी फोकस कर रही है कि कहीं बैंक से किसी ने मुखबिरी तो नहीं की है।


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