लखनऊ। जिस तरह से रामपुर में लोकसभा का टिकट पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम की बिना मर्जी के दिया गया और संभल के सांसद पर एफआईआर को सपा ने प्रमुखता दी, उससे कहीं न कहीं आजम को मुसलमानों को बीच अपनी सियासी जमीन भी खिसकती दिखाई दे रही है। क्या यूपी में आम विधानसभा चुनाव से पहले जेल में बंद सपा महासचिव आजम खां अलग राह पकड़ सकते हैं ? उनके नजदीकी नेता बताते हैं कि रामपुर के मामले में इंडिया गठबंधन पर निशाना साध आजम ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही संदेश देने का काम किया है।
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संभल पर सपा और कांग्रेस के बीच सियासी दरार पड़ती नजर आ रही है तो जेल में सजा काट रहे आजम खां ने इंडिया गठबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। रामपुर के सपा जिला अध्यक्ष अजय सागर ने आजम के सियासी संदेश को पत्र के जरिये लोगों के सामने रखा है।
आजम के हवाले से पत्र में इंडिया गठबंधन पर मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया गया है। कहा है कि मुसलमानों पर इंडिया गठबंधन को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, अन्यथा मुस्लिमों को भविष्य पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। आजम ने यह भी कहा कि रामपुर में हुए जुल्म और बर्बादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाया जाना चाहिए, जितना संभल का मुद्दा उठाया गया। रामपुर के जुल्म और बर्बादी पर इंडिया गठबंधन खामोशी तमाशाई बना रहा और मुस्लिम लीडरशिप को मिटाने का काम करता रहा।सपा के रामपुर के पूर्व जिलाध्यक्ष और आजम के बेहद करीबी माने जाने वाले वीरेंद्र गोयल कहते हैं कि इंडिया गठबंधन कहीं से भी मुसलमानों के साथ खड़ा नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि आजम का दर्द सामने आया है।
यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव में आजम चाहते थे कि रामपुर से खुद अखिलेश यादव चुनाव लड़ें। आजम वहां किसी मुस्लिम नेता को पैर जमाने देना बिल्कुल भी नहीं चाहते थे लेकिन सपा ने वहां से मोहिब्बुल्लाह को टिकट दिया और वे जीत भी गए।सपा सूत्र बताते हैं कि रामपुर के लोकसभा टिकट ने आजम की सपा नेतृत्व से दूरियां बढ़ाईं। आजम को यह भी महसूस हो रहा है कि उनके मामले को सड़क से संसद तक उतनी प्रमुखता से नहीं उठाया गया, जितनी संभल के प्रकरण को तरजीह दी गई।