संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। 12 सितंबर 2023 का वो मनहूस दिन,जो उत्तर रेलवे की कालोनियों में रहने वाले सभी रेल कर्मचारियों के दिलों में दहशत पैदा करता रहेगा। चारबाग स्टेशन के पीछे बनी फतेेहअली तालाब कालोनी में मकान का छत भरभराकर गिर गया जिससे एक ही परिवार के पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी। खास बात यह है कि रेलवे ने यहां पर अधिकांश मकानों को कंडम घोषित कर रखा था। बावजूद इसके सतीश चंद्र इस कंडम मकान में अपने परिवार के साथ कैसे रह रहे थे ? उस मकान में बिजली-पानी की सुविधा किसने दी ? रेलवे में जिन मकानों को कंडम घोषित किया जाता है,उसमें बिजली-पानी की सुविधा काटने के बाद ताला लगा दिया जाता है। जांच में पाया गया कि इस कालोनी में बड़ी संख्या में कंडम मकान घोषित किये गये थे, जिसे आईओ डब्ल्यू, स्टेट एस.सी. द्विवेदी ने अपने गुर्गों से पैसा वसूल कर रहने की इजाजत दे दी थी। श्री द्विवेदी के इशारे पर ही कंडम मकानों में रहने वाले लोगों को पानी-बिजली की सुविधा मिलती रही। पांच लोगों की मौत के बाद रेल प्रशासन हरकत में तो आया लेकिन कुछ दिनों बाद मामला ठंड़े बस्ते में डाल दिया गया। चौंकाने वाली बात तो ये है कि पांच बेगुनाहों की मौत के जिम्मेदार,यंू कहें हत्यारे के खिलाफ रेल प्रशासन ने सख्त कार्रवाई नहीं की। मामले को दबाने के लिये उसका ट्रांसफर अंबाला मंडल में कर दिया वो भी प्रमोशन देकर…। जी हां, पांच लोगों के मौत के जिम्मेदार आईओडब्ल्यू स्टेट एस सी द्विवेदी को रेलवे ने गिफ्ट में प्रमोशन देकर एईएन बनाया और अंबाला मंडल भेज दिया। सवाल ये भी उठ रहा है कि प्रारंभिक जांच में यदि घटना के बाद रेल प्रशासन ने श्री द्विवेदी के खिलाफ क्या कार्रवाई की ? यदि किया होता तो उन्हें किसी सूरत में प्रमोशन नहीं मिलता। इससे साबित होता है कि रेल प्रशासन की नजरों में पांच बेगुनाहों की मौत कोई बड़ी बात नहीं है। ये मान लिया जाये कि अब बेगुनाहों की मौत को अंजाम देने वाले अफसरों को रेलवे सम्मान और प्रमोशन दोनों देगा। शर्मनाक…।
बता दें कि 12 सितंबर 2023 को उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की फ तेहअली रेलवे कॉलोनी में शनिवार की रात साढ़े तीन बजे एक मकान की छत ढह गयी जिससे पांच लोगों की दब जाने से मौत हो गयी। एक ही परिवार के पांच लोग कब मौत की चादर ओढ़ दफन हो गये,पड़ोसियों को भी पता नहीं लगा। अलसुबह जब लोगों की नींद खुली तो वहां का नजारा देख सबकी सांसें हलक में आ गयी। चीख-पुकार का मंजर और पुलिस, एनडीआरएफ के अलावा रेलवे के अफसरों की चहल-कदमी से पूरा इलाका थर्रा गया। जिसने सुना वो घटना स्थल की ओर दौड़ पड़ा। फतेहअली का तालाब कालोनी में लगभग 200 परिवार रहता है। अधिसंख्य मकान जर्जर हैं,जिन्हें इंजीनियरिंग विभाग ने कंडम घेाषित कर दिया है। बावजूद इसके वहां पर रेल कर्मचारी और किरायेदारों का परिवार रहता था। बड़ा सवाल यह है कि जब रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग ने मकान को कंडम घोषित कर दिया तो उसे रेलवे पुलिस और स्थानीय थाने की पुलिस के साथ मिलकर खाली क्यों नहीं कराया ? सवाल यह भी है कि कंडम मकानों में बाहरी लोगों को किरायेदार के रुप में किसने रखा और कितनी कमाई कर रहा है ? बड़ा सवाल यह है कि जब मकान कंडम है तो उसमें बिजली का कनेक्शन किसने और किस नियमावली के तहत दिया है? बता दें कि रेलवे में इंजीनियरिंग और बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कंडम मकानों में बड़ी संख्या में रेल कर्मी और किरायेदार रहते थे।
अधिकारियों की मानें तो पूर्व आईओडब्ल्यू स्टेट एस.सी.द्विवेदी ने कंडम मकानों में बड़ी संख्या में किरायेदारों को रखकर मोटी रकम वसूल करते रहें। इसी तरह, इलेक्ट्रिकल इंचार्ज ने कंडम मकानों में बिजली कनेक्शन देने के एवज में बड़ी रकम वसूल कर अपनी जेब गरम करते रहें। आखिर में फिर एक सवाल करूंगा कि फतेहअली का तालाब कालोनी में मरने वाले पांचों बेगुनाह के मौत के लिये जिम्मेदार कौन है ? अभी भी समय है,यदि डीआरएम नहीं चेते तो आगे भी बेगुनाह लोग बे-मौत मारे जायेंगे। मृतकों में सतीश चंद्र 40, सरोजनी देवी 35, हर्षित 13, हर्षिता 10 और अंश 5 शामिल थे। बताया जाता है कि फ तेह अली कॉलोनी में करीब 200 परिवार रहते हैं। कॉलोनी के ज्यादातर मकान जर्जर हैं और कंंडम घोषित किये जा चुके हैं। बावजूद इसके रेलवे प्रशासन ने लोगों से मकान खाली नहीं करवाये और लोग रह रहे थे, जिसके चलते हादसा हुआ। जिस मकान की छत गिरी उस वक्त मकान में पांच लोग थे, जिनकी मौत मलबे में दबने से हुई है।
बता दें कि मृतक सतीश चंद्र के पिता रामचंद्र पहले रेलवे में थे जिनकी मृत्यु के बाद मां का भी निधन हो गया और सतीश चंद्र को अनुकंपा पर नौकरी मिलने की उम्मीद थी। सतीश अपने परिवार के साथ यहां रहते थे जबकि सतीश के भाई अमित भी रेलवे में है। हादसे पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी पहुंचे थे और उन्होंने आश्वासन दिया था कि पीडि़त परिवार के शेष परिजनों को सरकार की ओर से हर संभव मदद मुहैया करायी जायेगी लेकिन मिला ठाक के तीन पात…। बहरहाल, अब फतेहली तालाब जमींदोज हो चुका है लेकिन आज भी सन्नाटे में बेगुनाहों की चीखें गूंज रही है। विभत्स घटना को देखने वाले रेल कर्मचारियों के परिजनों की जुबां से बरबस एक ही बात निकलती है कि पांच बेगुनाहों के हत्यारे के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बजाये उसे तोहफे में प्रमोशन दे दिया गया ?
क्रमश: