भारत का अलौकिक महापर्व
बाइस के आगे उन्नीस पड़े भारतीय पर्व
हिन्दुत्व की प्रतिष्ठा बना प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान
सीमा चतुर्वेदी
लखनऊ। खुशियां,उत्साह, उमंग और सांस्कृतिक-आध्यात्मिक ताकत की रोशियों से नहा गया है देश। किसी त्योहार में इतनी रौनकें कभी नहीं दिखीं। सर्द मौसम पर रामभक्ति की गर्मी हावी हैं। अयोध्या की पावन राम जन्मभूमि पर भव्य ओर दिव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान देश और हिन्दुत्व की प्रतिष्ठित का प्रतीक बन गया है। 500 वर्ष की प्रतीक्षा की समाप्ति ने खुशियों के एक ऐसे पर्व को जन्म दे दिया है जो राष्ट्रीय पर्व भी है और धार्मिक त्योहार भी। स्वतंत्रता दिवस और दीपावली की खूबियां ’22’ जनवरी में समाहित हो गई हैं। ये दिन राम जन्मभूमि की आजादी के लिए भी याद किया जाएगा और दिवाली की तरह प्रभु राम का वनवास खत्म होकर अयोध्या वापसी की भी याद दिलाता है। अपनी जन्मभूमि पर राम लला के प्रवेश करने वाला प्राण प्रतिष्ठिता और राम मंदिर का उद्घाटन कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक सनातनियों की रामभक्ति की जीत का उत्सव भी माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश दुल्हन की तरह सजा है। एक योगी के राज में राजाओं-महाराजाओं के भी महाराजा प्रभु राम की भक्ति के सूर्य का केंद्र अवध बना है,जिसकी किरणों संपूर्ण यूसी सहित देश-दुनिया में अपना उजाला बिखेरे हैं। प्रभु राम ने दो वनवास सहे। त्रेतायुग में चौदह वर्ष का और फिर पांच सौ साल का। होइये वही जो राम रची राखा। शायद प्रभु राम ही यही चाहते हैं कि अपनी जन्मभूमि के गर्भ गृह में रामलला तब ही विराजे जब एक उत्तर प्रदेश में एक पवित्र योगी का राज हो।
नई दिवाली के महापर्व पर खुशियों की इस बेला पर सुरक्षा और सुविधाएं जैसे ईश्वरीय व्यवस्था से की जा रही हों। आम जनता से लेकर सरकार, मुख्यमंत्री, मंत्री हों या संत्री ,सरकारी अफसर, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, साधु-संत, मीडियाकर्मी सब प्रभु राम की भक्ति की शक्ति के साथ अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम के स्वागत में लगे हैं। अयोध्या या अवध ही नहीं, यूपी और देश-दुनिया राममय हो गई है। राम राज की कल्पना साकार होती नजर आ रही है। लाखों मंदिरों और करोड़ों में राम दरबार सजे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम के स्वागत में मर्यादा के प्रकाशोत्सव में एकता, अखंडता, सौहार्द, प्रेम की रोशनी हर तरफ जगमगा रही है।