गोंडा। तुफैल खां: बेरोजगारों को रोजगार मुहैय्या कराने के लिए केंद्र की मोदी सरकार प्रधानमंत्री ने आत्म निर्भर भारत योजना चलाई। जिसके तहत भारी भड़कम बजट भी जारी कर दिया, लेकिन जमीन पर उतरने से पहले इस योजना की सफलता का ढिंढोरा इस कदर पीटा गया की लाभार्थियों के खातों में लाभ पहुँचाने की प्रकिया की भी जरूरत नही रही।
इस योजना से जुड़ी कुछ ऐसी ही भयावह तस्वीर गोंडा जिले से सामने आई है जहाँ आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत रेहड़ी-पटरी वालों को आर्थिक मदद के लिए लॉन्च की गई प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स पीएम स्वनिधि योजना की जमीनी हकीकत को देखकर आपके हाथ पैर फूल जाएंगे । इस योजना का लाभ पाने के लिए एक निर्धन महिला अपने मासूम बच्चे को लेकर डेढ़ महीने तक बैंक का चक्कर काटती रही लेकिन रिश्वत न दे पाने पर बैंक मैनेजर ने उसे योजना का लाभ नही दिया।
मामला गोंडा जिले के नगरीय क्षेत्र का है जहाँ जानकी नगर इलाके की रहने वाली रीता ने पीएम स्वनिधि योजना के तहत 10 हजार रुपये का लोन पाने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित इंडियन बैंक में एप्लाई किया था और सभी प्रक्रियाएं पूरी होने बाद भी बैंक मैनेजर डेढ़ महीने तक महिला को दौड़ाते रहा लेकिन उसके बावजूद उसे लोन नही दिया । महिला का आरोप है कि उसके पास इसके लिए चढ़ावा चढ़ाने के लिए पैसे नही थे जिसके लिए उसे योजना का लाभ नही दिया जा रहा है । सारी हदें तो तब पार हो गयी जब एक असहाय महिला भूखी प्यासी अपने मासूम बच्चे को लेकर महज 10 हाजार रुपये के लोन के लिए दौडती रही लेकिन रिश्वतखोर बैंक मैनेजर का दिल नही पसीजा । महज एक हफ्ते में लोन डिसबर्स करने का प्रावधान है। इतना ही नही भूख प्यास से मासूम और उसकी माँ सड़क पर पड़े मूली के पत्ते खाने के लिए मजबूर हैं ।लेकिन गरीबों की सुनने वाला कोई नही।
इस मामले में जब सीडीओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है अगर किसी बैंक मैनेजर द्वारा ऐसा किया जा रहा है तो निश्चित उसके विरद्ध कार्यवाही की जाएगी और उन्हें आज ही नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जाएगा।महज एक हफ्ते के अंदर 10 हजार का लोन दिसबर्स करने का प्रावधान है ।