रोहतास|राहुल मिश्रा| रोहतास जिले के अर्थव्यवस्था की लाइफ लाइन रहे पत्थर खनन उद्योग का वजूद धीरे-धीरे समाप्त की ओर जा रहा है।खनन चालू नहीं होने से निराश लोग अब धीरे-धीरे अपना रोजगार बदलने की ओर चल दिये हैं नहीं तो पलायन कर रहे हैं। लेकिन हजारों लोगों को रोजगार देने वाला या पत्थर उद्योग पर ना ही जनप्रतिनिधियों की नजर है और ना ही प्रशासन की। इस खनन क्षेत्र को चालू करने के लिए जिला प्रशासन कागजी खानापूर्ति भी करती है लेकिन सिर्फ वह कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है। बिते दिन पहले वन विभाग द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद जिला प्रशासन ने तीन नये खनन क्षेत्रों के बंदोबस्ती से संबंधित जरूरी व अंतिम प्रतिवेदन खनन विभाग काे भेज दिया था लेकिन वह कागजों तक ही सीमट कर रह गया। ज्ञात हो कि जिले के कैमूर पहाड़ी में पत्थर खनन उद्योग पांच दशकों से आबाद था, लेकिन पुराने पट्टों में पर्यावरण एवं अवैध खनन आदि मुद्दों को खनन पर रोक लग गयी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर क्रेशर भी पूरी तरह बंद कर दिए गये हैं।
लेकिन आज भी चोरी छिपे इस खनन क्षेत्र में धड़ल्ले से पत्थर तोडे़ जा रहे हैं और पत्थरो का सप्लाई किया जा रहा है । इससे सरकार के राजस्व की तो छती हो रही हैं लेकिन बंद के बावजूद धड़ल्ले से पत्थर खनन होना कई अधिकारियों एवं पुलिस कर्मियों का जेब गर्म होने का संकेत भी दे रहा है। वहीं विधानसभा चूनाव नजदीक आते ही स्थानीय लोग एवं समाजसेवी भी इस पत्थर उधोग को चालू करने की मांग करने लगे हैं।