स्मार्ट मीटर कंपनियों की मनमानी से बिजली विभाग को करोड़ों की चपत


ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट मीटर लगाए जाने में कंपनियां मनमानी कर रही हैं। नया मामला जो सामने आया है उसमें स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही कंपनी ने अपनी मनमानी में बिजली विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने का काम किया है। उपभोक्ता परिसर से उतारे जा रहे पुराने मीटरों की रीडिंग शून्य कर देने के सामने संज्ञान में आए हैं। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के कार्यक्षेत्र में स्मार्ट मीटर लगा रही कंपनी पोलारिस के खिलाफ के खिलाफ सीतापुर जिले में एफआईआर दर्ज कराया गया है। गोंडा में भी एफआईआर दर्ज कराने से पहले नोटिस भेजा गया है।

पूरे प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेट मीडर लगाने का टेंडर चार कंपनियोंं को मिला है। इन कंपनियों ने अब तक करीब 35 लाख उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट मीटर लगा दिए हैं। स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया में मनमानी करने के साथ ही इन मीटरों में भार जंपिंग और तेज चलने की शिकायतें आ रही हैं।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया है कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा पोलारिस कंपनी के साथ ही कंपनी के स्टेट हेड व अन्य कार्मिकों के खिलाफ सीतापुर जिले में एफआइआर दर्ज कराया गया है। पोलारिस ने बिजली विभाग को भारी नुकसान पहुंचा दिया है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के दौरान कंपनी ने पुराने मीटर उतारे लेकिन इन मीटरों का पूरा हिसाब जीरो कर दिया। बड़ी संख्या में पुराने मीटर विभाग को मिले भी नहीं।

सीतापुर में 443 पुराने मीटर विद्युत परीक्षण खंड को उपलब्ध नहीं कराए गए। जिसकी वजह से उपभोक्ताओं के मासिक बिल जारी नहीं किए जा सके। कंपनी ने गोंडा जिले में पुराने मीटर उतारे और सीलिंग सर्टिफिकेट में पुराने मीटरों की रीडिंग जीरो भर दी। गोंडा में दो मामलों में 4270 नग पुराने मीटर कंपनी ने विभाग को वापस नहीं किए हैं। गोंडा के मुख्य अभियंता ने एफआइआर कराने के निर्देश दिए हैं। इस लापरवाही के कारण बिजली विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।

उन्होंने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का कोई लेखा जोखा विभाग को नहीं मिल रहा है जिससे उपभोक्ताओं को नया मीटर लगने के बाद भी बिजली का बिल नहीं मिल रहा है। अवधेश वर्मा ने कहा है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अच्छे होने का ढिंढोरा पीट रहा है, जबकि ये मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को बिल तक नहीं मिल रहे हैं।


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