आरक्षण के मुद्दे पर सपा-कांग्रेस एक जैसे
ब्यूरो, लखनऊ। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार की ओर से वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक पेश करने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने से बसपा पर कम बोझ पड़ेगा। जल्दी चुनाव आचार संहिता न लगने से जनहित के कार्य भी ज्यादा नहीं प्रभावित होंगे। इस मुद्दे की आड़ में राजनीति करना ठीक नहीं है। सभी पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश व जनहित में कार्य करना चाहिए।
शासक दल यह स्वीकार करें कि उन्होंने संविधान पर सही से अमल करने में ईमानदारी व देशभक्ति निभाई होती तो देश का हाल आज इतना बदहाल नहीं होता। करीब 80 करोड़ लोगों को रोजगार के अभाव में अपनी भूख मिटाने के लिए थोड़े से सरकारी अनाज का मोहताज नहीं होना पड़ता।
इस चर्चा में सत्ता व विपक्ष को सुनकर ऐसा लगता है कि अपने स्वार्थ में इन्होंने संविधान का राजनीतिकरण कर दिया है। कोई संविधान की प्रति (कॉपी) को माथे पर लगा रहा है तो कोई अपने हाथ में लेकर दिखा रहा है। इसकी आड़ में देश व जनहित के जरूरी मुद्दे दरकिनार हो रहे हैं। कांग्रेस व सपा ने आरक्षण को लेकर हवाई बातें कही हैं
इस मुद्दे पर दोनों पार्टियां संसद में ही चुप रहती तो उचित होता। कांग्रेस की मिलीभगत से सपा ने पदोन्नति में आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक को संसद में फाड़कर फेंक दिया था। भाजपा भी इसे पास कराने के मूड में नहीं है। संसद के नेता विरोधी दल राहुल गांधी तो आरक्षण को ही सही वक्त आने पर खत्म करने का एलान कर चुके हैं।