शेखर यादव इटावा।
उत्तर प्रदेश का होमगार्ड विभाग भ्रष्टाचार और अपनी घटिया कार्यशैली की वजह से छाया हुआ है। विभागीय मंत्री और डी.जी. की सख्ती के बावजूद इस विभाग के अफसर लूट-खसोट करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मुख्य सचिव के यहां फ र्जी होमगार्डों की ड्यूटी लगाकर लगभग 4 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार करने वाले बी.ओ. सुरेश कुमार सिंह पर गैंगेस्टर एक्ट और अपराध से कमायी गयी संपत्तियों को जब्त करने के लिये पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजा गया है। वहीं इस विभाग को शर्मसार करने वाले प्रमोटी कमंाडेंट बी.के. सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने में अधिकारियों की रफ्तार सुस्त पड़ गयी है। कमांडेंट बी.के. सिंह ने 302 के अभियुक्त होमगार्ड को पैसा लेकर बहाल कर दिया था। इस गंभीर मुदद्े का द संडे व्यूज़ ने प्रमुखता के साथ खुलासा किया और डीजी बी.के.मौर्या ने जांच बिठा दी। कमांडेंट की जांच प्रभावित होने की प्रबंल संभावना बनती दिख रही है। अभी तक डीजी को जांच रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी गयी है ? विभाग के अधिकारियों की मानें तो जांच पर आंच आ रही है और दूसरी तरफ कमांडेंट अपने बचाव के लिये सारे तिकड़म लगा रहा है। विभाग के अधिकारियों ने साफ तौर पर कह दिया है कि सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है लेकिन बी.के.सिंह के खिलाफ किसी सूरत में कार्रवाई नहीं होगी,देख लीजियेगा। अधिकारियों ने जिस आत्मविश्वास से ये दावा ठोंका है, उसमें दम तो नजर आ रहा है क्योंकि लगभग एक माह होने जा रहा है और अभियुक्त की बहाली,रील बनाकर एक्टिंग करने वाला कमंाडेंट मस्त होकर लखनऊ में मंडरा रहा है और बी.ओ. नौकरशाहों की चरण वंदना कर अपने मजबूत होने का दम ठोंक रहा है। देखते हैं आगे क्या होता है।
उत्तर प्रदेश सरकार में शासनादेश जारी करने वाले ब्यूरोके्रटस के पॉवर को किस तरह अफ सर ध्वस्त करते हैं इसकी बानगी होमगार्ड विभाग में देखने को मिल जायेगा। एक बार फिर होमगार्ड विभाग में मस्टर रोल घोटाले का जिन्न बाहर निकल आया है। मुख्य सचिव के यहां होमगार्डों की तैनाती का गेम तो वर्ष 2017 से चल रहा है और बीओ सुरेश कुमार सिंह के खिलाफ डी.जी. बी.के.मौर्या की पहल पर एफ आईआर दर्ज की गयी। गोमती नगर पुलिस के कहर से बचने के लिये शातिर बीओ ने अपने विभागीय आका के इशारे पर कोर्ट से स्टे ले लिया लेकिन अब सुरेश कुमार सिंह का कोई तिकड़म काम नहीं आयेगा। बीओ द्वारा किये गये लगभग 400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच जेसीपी एलओ की आर्थिक अपराध सेल के अफ सर कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि जांच के बाद बीओ की गिरफ्तारी होगी और तब इसकी जुबां से धड़धड़ा कर निकलेंगे मुख्यालय से लेकर शासन में बैठे उन आकाओं के नाम जो अवैध कमाई को मोटा हिस्सा लेते रहें। बहरहाल, जांच शुरु होते ही होमगार्ड विभाग के कई बड़े अफसरों और शासन के अलंबरदारों की नींद उड़ गयी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जेसीपीएलओ कार्यालय में जांच शुरु हो गयी है और अफ सर मुख्य सचिव के यहां वर्ष 2017 से तैनात किये जाने वाले होमगार्डों के मस्टर रोल से जुड़े एक- एक पन्ने पर गहनता से जांच कर रहे हैं। खैर, जांच की रफ्तार तो अब ना ही होमगार्ड विभाग के और ना ही शासन के अफसरान कम करा सकते हैं क्योंकि यदि रफ्तार सुस्त हुयी तो ये मानकर चलिये कि सरकार और उनके नौकरशाह सुरक्षित नहीं हैं। सोचने वाली बात तो यह है कि एक अदना से बीओ (ब्लॉक आर्गनाइजर) में इतनी हिम्मत कहां से आ गयी कि वो सरकारी प्रतिष्ठानों की बात छोडिय़े 2017 से सीधे मुख्य सचिव के आवास पर ही घोटाले का बीज लगाकर अवैध तरीके से नोट उगाता रहा। द संडे व्यूज़ की खुफिया रिपोर्टिंग की मानिये तो इस खेल में होमगार्ड मुख्यालय पर वर्ष 2017 में तैनात डीआईजी,कमांडेंट, जेएसओ सहित शासन में बैठे विभाग के सेक्शन अफसर पूरी तरह से शामिल हैं। बता दूं कि मस्टर रोल घोटाले का खेल वर्ष 2017 से चल रहा था और वर्ष 2022 से होमगार्डों का वेतन ऑन लाईन देने की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। एक गोपनीय शिकायती पत्र शासन और मुख्यालय पहुंची तो जांच शुरु हुयी और 400 करोड़ घोटाले की बदबू निकल कर सामने आयी। बताया जाता है कि बीओ सुरेश कुमार सिंह ने शासन के अफ सरों के यहां होमगाडों की ड्यूटी लगाते- लगाते उनके करीब पहुंच गया और अपने को इतना ताकतवर बना लिया कि उसने सरकारी प्रतिष्ठानों के अलावा सीधे मुख्य सचिव के यहां जवानों की तैैनाती कर करोड़ों रुपये अंदर करने लगा। बताया तो यह भी जाता है कि बीओ सुरेश सिंह ड्यूटी से पहले और रात को घर जाने से पहले अपने सबसे खास विभागीय आका के आवास पर मत्था टेेकने जरूर जाता था। मानों वो घर ना होकर कोई मंदिर हो। अब सभी को समझ में आ रहा है कि बीओ को फ्र ाड करने का सारा ज्ञान कहां से मिलता था और कौन देता था। जांच की रफ्तार तेज होते ही बीओ और उसके सभी आका कोशिश में लग गये हैं कि जांच में किसी तरह से आंच आ जाये क्योंकि यदि सुरेश कुमार सिंह पुलिसिया रीमांड पर चला गया तो एक के बाद एक कर सभी का नाम उगल देगा फि र क्या होगा, बताने की जरुरत नहीं। कहा गया है कि जब ऊपर बैठा अधिकारी महाभ्रष्टï हो तो बीओ स्तर के कर्मचारी तो भ्रष्ष्टïाचार की नई कहानी लिखने के लिये हमेशा तैयार रहते हैं। बात करते हैं मिरजापुर के कमांडेंट बी.के.सिंह की। मिरजापुर में एक मासूम का अपहरण कर हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार आरोपी रे.नं. 1228 ओमप्रकाश यादव को मिर्जापुर के कमांडेंट बी.के. सिंह ने बहाल कर दिया है। बता दें कि सोनभद्र में विवादित जमीन पर कब्जा करने का विरोध करने पर गांव में रहने वाले विरोधियों ने 6 अप्रैल 2023 को सोनभद्र के रहने वाले मंगलपाल के एकलौते पुत्र अनुराग पाल उम्र 9 वर्षका अपहरण कर निर्मम हत्या कर देते हैं। पुलिस ने 9 लोगों को अभियुक्त बनाया जिसमें होमगार्ड ओमप्रकाश यादव पुत्र स्व. जीवनाथ यादव निवासी मिर्जापुर भी शामिल है। पुलिस ने सभी अभियुक्तों पर धारा 364, 302, 201, 120 बी, 34 भादवि आरोप पत्र 56-2023 लगाकर न्यायालय में रिपोर्ट भेज दिया। यानि, चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है। ओमप्रकाश यादव जमानत पर रिहा है और उसे 29 सितंबर को प्रमोटी कमांडेंट बी.के. सिंह ने बहाल कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि होमगार्ड विभाग के ही एसीएस (अपर प्रमुख सचिव) अनिल कुमार ने जारी शासनादेश में लिखा है कि आपराधिक मामले में 7 वर्ष से अधिक सजा में शामिल होने पर विभाग से अलग किये गये होमगार्ड स्वयंसेवक, अवैतनिक अधिकारी को बहाल नहीं किया जायेगा। सब कुछ जानने के बाद भी कमांडेंट ने एक मासूम के हत्यारे को क्यों और किस नियत से बहाल किया, इसका जवाब तो शासन ही पूछे लेकिन द संडे व्यूज़ की तहकीकात में जो बातें उभर कर सामने आ रही है उस पर सवाल तो बनता ही है…। कमांडेंट का शातिराना खेल देखिये…। 6 जून 2023 को कमांडेंट बी.के.सिंह ने ओमप्रकाश यादव को विभाग से निलंबित कर दिया ताकि विभाग में हीरो बन जाये फि र 12 सितंबर 2023 को कमांडेट द्वारा एक और पत्र जारी किया जाता है जिसमें उन्होंने निर्देशित किया है कि ओमप्रकाश यादव ने उच्च न्यायालय का आदेश दिखाया, जिस पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुये न्यायालय के आदेश के अधीन इस शर्त के साथ बहाल किया जाता है कि न्यायालय द्वारा जो अंतिम निर्णय लिया जायेगा, वही मान्य होगा। कमांडेंट साहेब, क्यों आप न्यायालय और विभाग के मुखिया एसीएस अनिल कुमार को गुमराह करने का काम कर रहे हैं ? जब पुलिस ने अनुराग पाल की अपरहण कर हत्या के मामले में होमगार्ड ओमप्रकाश यादव पर गंभीर धाराएं लगाकर अभियुक्त बनाया और चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी है तो फि र आप कौन होते हैं सहानुभूतिपूर्वक विचार करने वाले? एसीएस ने शासनादेश में लिखा है कि सात वर्ष से अधिक सजा पाने वाले जवान बहाल नहीं होंगे तो आपने मासूम के हत्यारे को कैसे बहाल कर दिया? कहीं ऐसा तो नहीं कि उस अपराधी से बहाल होने के एवज में आपको मुंहमांगी मिल गयी है? बात जो भी हो, सभी जानते हैं कि इस विभाग में नियमों को तार-तार करने वाले तमाम अधिकारी बैठे हैं, जिन्हें मुंह खोलने की कीमत अदा कर हर वो काम कराया जा सकता है, जिसके बारे में सोच कर अच्छे- अच्छों को पसीना छूट जाये। देखना है कि मासूम के हत्यारे को बहाल करने वाले कमांडेंट बी.के.सिंह के खिलाफ कार्रवाई होती है या फिर चर्चित मनीष दूबे कांड़ की तरह इस केस पर भी विभाग के आका दयावान बन जाते हैं। डी.जी. बी. के.मौर्या ने हफ्तों पहले कमांडेंट बी. के. सिंह प्रकरण की जांच मिरजापुर के मंडलीय कमांडेंट सुधाकराचार्य पाण्डेय को दिया लेकिन अभी तक उन्होंने जांच ही शुरु नहीं की। सुधाकराचार्य पाण्डेय से जब पूछा गया कि 302 के अभियुक्त की बहाली मामले में कमांडेंट के खिलाफ जांच पूरी हो गयी, इस पर उनका जवाब रहा कि जब जांच शुरु करुंगा तभी बता पाऊंगा। अभी तो मैंने जांच ही शुरू नहीं की है। चुनाव ड्यूटी में चला गया था, उसके बाद तबीयत खराब हो गयी थी। खास बात यह है कि इतने गंभीर मामले में वो भी जब डीजी जांच करा रहे हैं तो मंडल ने इतना समय क्यों लिया? विभाग में सुगबुगाहट है कि मामले को लंबा खिंचकर दबा दिया जायेगा और जिसमें अधिकारी काफी हद तक कामयाब हो गये हैं।