मैं अजय पाण्डेय हूं, नहीं मानता शासनादेश,तभी तो सीएम के आदेश को रौंदकर बना दिया अपने बेटे को शिक्षक !


अजय पाण्डेय ने पूर्व बीएसए मनीराम सिंह को ‘मनी’ देकर किया फर्जीवाड़ा

2006 से अल्पसंख्यक विद्यालयों को नहीं किया ‘ऐडेड’ फिर पाण्डेय जी ने 2023 में कैसे कर दी भर्ती !

अभ्यर्थियों को भेजा गया खाली लिफाफा, साक्षात्कार के लिये नहीं आये अभ्यर्थी, बेटा शिद्धार्थ पांडेय का कर लिया चयन

 संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग पटरी से उतर रही है। इस विभाग में अफसरों के घोटालों की खबरें तो खूब आती रहती है लेकिन क्या आपने सोचा कि जिले में तैनात एक क्लर्क,जिसने अपनी दबंगई से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों को चुनौती देने की जुर्रत की है। अजय पाण्डेय ने पूर्व बीएसए मनीराम सिंह को ‘मनी’ देकर फर्जीवाड़ा की ऐसी गाथा लिखी, जिसे जानने के बाद आपलोग उसे फर्जीवाड़ा गुरू का दर्जा दे देंगे। वर्ष 2006 के बाद से सूबे में कोई भी विद्यालय ऐडेड नहीं किया गया,अचानक से किस नियमावली के तहत सिकंदरपुर का एक विद्यालय ऐडेड हो गया ? बीएसए कार्यालय, बलिया में तैनात वरिष्ठ  लिपिक अजय पाण्डेय ने वर्ष 2023 में अल्पसंख्यक विद्यालय, गौतमबुद्ध जूनियर हाई स्कूल, बालूपुर, सिकंदरपुर (बलिया) में अपने लड़के सिद्धार्थ पाण्डेय को शिक्षक के पद पर तैनात कर दिया। चौंकाने वाली बात ये है कि अजय पाण्डेय ने खुद ही अपने लड़के सिद्धार्थ पाण्डेय की पत्रावली तैयार की और अपने ही ‘हस्ताक्षर’ से नियुक्ती पत्र दे दी। पाण्डेय जी ने अपने बेटे को नौकरी दिलाने के लिये ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसमें तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह भी मूकदर्शक बनकर तमाशा देखते रहें। ये बताने की जरुरत नहीं मनीराम जी को पाण्डेय जी ने कितना ‘मनी’ दिया होगा…। 

दस्तावेज बताते हैं कि न्यूज पेपर में भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन निकाला गया,जिसके बाद बीएड या बीटीसी के अभ्यर्थियों ने फार्म भरा। अजय पाण्डेय ने अभ्यर्थियों द्वारा भरे जाने वाले आवेदन फार्म को सिंकदरपुर तहसील में मंगाया, जिस सीट को वे स्वयं देख रहे थे। शिक्षक पद के लिये जब साक्षात्कार कराना था तो पाण्डेय जी ने अभ्यर्थियों के पते पर खाली लिफाफा भेजा ताकि किसी को ये मालूम ना चले कि फलां दिन साक्षात्कार है…। पाण्डेय जी अपने चाल में कामयाब रहें, जिस दिन साक्षात्कार था एक भी अभ्यर्थी नहीं पहुंचा और उनका ‘लाल’ सिद्धार्थ पाण्डेय एकलौते अभ्यर्थी थे,इसलिये उनका शिक्षक के पद पर चयन कर लिया गया। अजय पाण्डेय ने कई योग्य बेरोजगारों की योग्यता के साथ गंदा मजाक किया है और इस खेल में उसका साथ बीएसए मनीराम ने दिया।

बता दें कि सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में शिक्षक की नियुक्ति करने का अधिकार बीएसए को नहीं है, क्योंकि इसका चयन आयोग करता है या फिर शासन…। सीधी बात करें तो जब सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यालयों की भर्ती पर रोक लगा दी है तो तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह ने किस नियमावली के तहत सिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति की ? वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने किसी हैसियत से अपने ‘हस्ताक्षर’ से सिद्धार्थ पाण्डेय को नियुक्ति पत्र दिया ? बड़ा सवाल है कि फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद इस खेल में शामिल तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह, वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय और शिक्षक शिद्धार्थ पाण्डेय के खिलाफ क्या सरकार नजीर पेश करने वाली कार्रवाई करेगी ?

बेसिक शिक्षा कार्यालय (बीएसए) बलिया में तैनात वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये अपने बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में करा दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिकंदरपुर स्थित गौतमबुद्ध जूनियर हाई स्कूल, बालूपुर में अल्पसंख्यक विद्यालय में वर्ष 2023 में तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह की मिलीभगत से अपने बेटे सिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति करा दी।

खास बात यह है शासन ने वर्ष 2006 के बाद से प्रदेश में कोई सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल एडेड नहीं किया गया, बावजूद इसके बीएसएस ने सिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति शिक्षक पद पर किस नियमावली के तहत की? बताया जाता है कि अजय पाण्डेय को मालूम था कि सिकंदरपुर तहसील के ऐडेड विद्यालय में दो शिक्षकों के पद खाली है। उसके बाद श्री पाण्डेय ने न्यूज पेपर में भर्ती का विज्ञापन निकाला, जिसे देख शिक्षक पद पर मांगी गयी अर्हता रखने वाले बड़ी संख्या में छात्रों ने आवेदन किया। सभी फार्म सिकंदरपुर तहसील में मंगाये गये, जिस सीट के प्रभारी खुद अजय पाण्डेय थे। अब सवाल यह उठ रहा था कि यदि साक्षात्कार के दिन सभी अभ्यर्थियों को बुलाया जायेगा तो हो सकता है कि उसके बेटे से भी योग्य छात्र का चयन हो सकता है, इसलिये शातिर दिमाग वाले पाण्डेय जी ने चाल चली।

उन्होंने साक्षात्कार के दिन आने के लिये सभी अभ्यर्थियों के पते पर रजिस्ट्री से लेटर भेजा लेकिन लिफाफा खाली था…। जी हां, लिफाफा के अंदर साक्षात्कार का कोई पत्र ही नहीं था, जिसकी वजह से अभ्यर्थियों को मालूम ही नहीं चला कि ‘किस दिन’ और ‘कितने बजे’ साक्षात्कार होना है…। साक्षात्कार के दिन किसी और अभ्यर्थी के ना आने पर अजय पाण्डेय के बेटे सिद्धार्थ

पाण्डेय का चयन शिक्षक पद के लिये कर लिया गया। बस पाण्डेय जी हो गये अपने निहायत घटिया खेल में कामयाब और करा लिये अपने ‘लल्ला’ शिद्धार्थ पाण्डेय का शिक्षक पद पर चयन…।

शर्मनाक बात तो यह है कि इस खेल में पैसे की लालच में ‘धृतराष्ट’ बनें तात्कालीन बीएसए मनीराम भी बराबर के दोषी हैं। सवाल यह है जब बीएसए को मालूम था कि ऐडेड स्कूलों में भर्ती पर शासन ने रोक लगा रखी है तो फिर उन्होंने सिद्धार्थ

पाण्डेय की नियुक्ति करने की जुर्रत कैसे की ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टॉलरेंस ना अपनाने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फरमान जारी किया है,उसके बाद भी बीएसए और वरिष्ठ लिपिक को डर नहीं लगा कि फर्जी तौर पर भर्ती करने का अंजाम क्या होगा ?

खैर, ‘द संडे व्यूज़’ बलिया के बीएसए कार्यालय द्वारा किये गये फर्जी भर्ती के प्रकरण को शासन स्तर तक पहुंचाने का काम करेगा ताकि ऐसे भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सके। बस बाबत मनीष सिंह, बीएसए, बलिया से जब सवाल किया गया कि मुख्यमंत्री के आदेश की धज्जियां उड़ाने वाले बाप-बेटे अजय पाण्डेय और सिद्धार्थ पाण्डेय के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे तोन्होंने जवाब दिया कि ऑफिस आइये…चाय पीते हुये बात करेंगे….फोन पर इस पर बात नहीं कर सकते….

अगले अंक में क्लर्क की करोड़ों की कोठी और…


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