ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से उत्तर प्रदेश में जारी कांग्रेस की प्रेशर वाली राजनीति से निकलने का रास्ता सपा ने खोज लिया है। सपा ने दिल्ली में हाेने वाले विधानसभा चुनाव में न केवल आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है, वहीं उनकी चुनावी सभाओं में पार्टी मुखिया अखिलेश यादव मंच साझा करते हुए दिखेंगे।
दबाव में आप के साथ गठबंधन ?
माना जा रहा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधिक सीटें मांगने का दबाव बनाने की स्थिति में सपा आप के साथ गठबंधन कर सकती है। हालांकि, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि दिल्ली में आप भाजपा को हराने में सक्षम है, इसलिए पहले ही आप को समर्थन देने के साथ जंतर-मंतर पर उनके एक आयोजन में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंच साझा किया था।
वहीं, मिल्कीपुर में हाेने वाले विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने सपा को समर्थन की घोषणा कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि लोकसभा की तरह उनका गठबंधन विधानसभा चुनाव में भी बना रहेगा।
राजनीतिक जमीन फिर से तैयार करने की उम्मीद में कांग्रेस
लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से ही कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन फिर से तैयार करने की उम्मीद बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश में ही हाल ही में हुए नौ विधानसभा सीटाें के उपचुनाव में पांच सीटों पर लड़ने का दबाव लगातार कांग्रेस सपा पर बना रही थी, हालांकि सपा ने कांग्रेस के लिए गाजियाबाद और खैर की दो सीटें ही छोड़ने का निर्णय लिया था। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।
विधानसभा उपचुनाव के समय से ही कांग्रेस का विकल्प खोजने की चर्चाएं तेज होने लगी थी। बात तो तब बिगड़ी जब सपा को हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कोई तवज्जो ही नहीं दी। हरियाणा चुनाव में सपा ने कांग्रेस से 10 सीटें मांगी थी। हालांकि, एक भी सीट नहीं मिलने पर सपा हरियाणा में चुनाव ही नहीं लड़ी थी।
सपा प्रमुख ने चरखा दांव चला
जम्मू -कश्मीर और झारखंड में सपा ने खुद अपने प्रत्याशी कांग्रेस के सामने उतार दिए। महाराष्ट्र में भी 12 सीटें मांगने पर महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने केवल वह दो सीट ही सपा के लिए छोड़ी थी, जिस पर पिछले चुनाव में उसके दो विधायक जीते थे। अब 2027 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन में रहकर कांग्रेस अधिक सीटों का दबाव न बना सके, इसके लिए सपा प्रमुख ने चरखा दांव चल दिया है। दिल्ली में आप को समर्थन देकर वह 2027 के चुनाव में गाजियाबाद, नोएडा और एनसीआर क्षेत्र की सीटों पर नए सहयोगी का विकल्प तैयार कर रही है। साथ ही सपा ने कांग्रेस को यह संदेश भी दिया है कि दिल्ली में वह इस स्थिति में नहीं है कि उसको समर्थन दिया जा सके।