महाकुंभ-अफसरों की ‘ स्पेशल 26’ की टीम


करोड़ों लोग देखने आते हैं शाही स्नान

दुनिया को चौंकाने जा रहा देश का इकलौता बिना मूर्ति वाला शक्तिपीठ

प्रयागराज। महाकुंभ के वैभव और गौरव कहे जाने वाले अखाड़ों के लिए मेला क्षेत्र में विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। महाकुंभ के सबसे बड़े आकर्षण इन अखाड़ों को महाकुंभ के दो सेक्टरों 18 एवं 19 में बसाने की तैयारी की जा रही है। क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़े ये ही दोनों सेक्टर होंगे।

महाकुंभ में कुल 13 अखाड़ों को जमीन दी जाती है। इन अखाड़ों को जमीन और सुविधा के लिए अफसरों की ‘स्पेशल 26’ की टीम तैनात की जा रही है। अखाड़ों के लिए विद्युत, जल निगम, पीडब्ल्यूडी के स्पेशल तौर पर एक-एक एक्सईएन, दो-दो एई तथा तीन-तीन जेई की तैनाती की जा रही है। 

अखाड़ों के लिए एडीएम, एएसपी, एसडीएम, सीओ, इंस्पेक्टर, तहसीलदार, एसीएमओ, जोनल अफसर भी तैनात होंगे। अखाड़ा में अस्पताल और अलग से अखाड़ा थाना बनेगा। बिजली, जल निगम, पीडब्ल्यूडी के कार्यालय भी बनाए जाएंगे। अखाड़ों के लिए अलग से उपकेंद्र बनेंगे तथा नलकूप लगाए जाएंगे। 

उल्लेखनीय है कि सबसे ज्यादा श्रद्धालु अखाड़ों में ही जाते हैं। वहां लंगर और भंडारा चलता है। अखाड़ों के लिए ही शाही स्नान होता है, जिसके लिए शाही पथ बनता है, जिससे अखाड़ों के संत संगम जाते हैं। अखाड़ों के शाही स्नान को देखने करोड़ों लोग पहुंचते हैं।

शंकराचार्यों के लिए महाकुंभ मेला क्षेत्र में सेक्टर पांच में जमीन आवंटित की जाएगी, जहां शंकराचार्य नगर बसाया जाएगा। इस नगर के लिए भी विशेष तौर पर पुलिस-प्रशासन व अन्य विभागों के अधिकारियों की तैनाती की जा रही हैतीर्थराज का अलोपशंकरी का सिद्धपीठ श्रद्धा एवं आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। महाकुंभ में यह सिद्धपीठ भी आस्था के प्रमुख केंद्रों में एक होगा। अलोपशंकरी मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है, जहां माता की कोई मूर्ति नहीं है।

इसके पुनर्निर्माण के लिए सरकार सात करोड़ रुपये खर्च कर रही है। वर्तमान में करीब 55 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। 15 दिसंबर तक इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में यहां के धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण का कार्य 24 घंटे अनवरत चल रहा है।अलोपीबाग में यह मंदिर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह के बीच एक रंगीन कपड़ा लटका है, जिसके नीचे एक खटोली बंधी है। भक्त यहीं पर आकर माला-फूल चढ़ाकर दर्शन करते हैं।

पौराणिक मान्यता है कि सती की एक अंगुली यहां पर गिरी थी। मंदिर में एक चबूतरा है, जिसमें एक कुंड है। इस कुण्ड के ऊपर ही खटोली रहती है। मंदिर के बाहर गणेश, शिव, कार्तिकेय, हनुमान जी की मूर्तियां लगाई गई हैं। यहां लगने वाला नवरात्र का मेला काफी प्रसिद्ध है।


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