मुख्यालय के गालीबाज बाबुओं ने डी.जी. बी. के. मौर्या को कोर्ट में खींचा…


 द संडे व्यूज़ ने सबसे पहले किया था आगाह-मुख्यालय के बाबू एकीकरण के विरोध में कोर्ट जाने की तैयारी में…

मुख्यालय के बाबूओं पर आईजी विवेक सिंह का शह, दो कमांडेेेंट जिला छोड़ चंदा इकट्ठा कराने में जुटे…

दोनों कमांडेंट ने तय-तोड़ कर कराया वकील,कहा-डरो मत डीजी के खिलाफ जाओ, सब करेंगे सरेंडर!

सवाल: डीजी साहेब, कोर्ट में ले जाने वाले बाबूओं के खिलाफ क्या लेंगे एक्शन ?

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। होमगार्ड विभाग में कानून की धज्जियां उड़ाने और अनुशासन को बदनाम करने वाले मुख्यालय कैडर के बाबूओं ने आखिरकार ईमानदारी छवि के डी.जी. बी. के. मौर्या को कोर्ट में खींच ही लिया। आपको सिर्फ एक तस्वीर दिखा रहा हूं। इनका नाम भूपेन्द्र विक्रम सिंह है, जो वर्ष 1999 में मृतक आश्रित कोटे से जूनियर क्लर्क पर भर्ती हुये। अफसरों की माया से प्रमोशन पाकर सीनियर क्लर्क, प्रधान सहायक और प्रशासनिक अधिकारी बन गये। अब इनका ख्वाब है मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बनने का…। देखा आपने 25 साल में 4 प्रमोशन…। अरे भईया, भूपेन्द्र जी कितने काबिल हैं, क्या हावर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री लेकर आये हैं या फिर ये अफसरों को कौन सी माया दिखाते हैं कि दे प्रमोशन, दे प्रमोशन…। बता दें कि जिले कैडर में भूपेन्द्र विक्रम सिंह जैसे जिलों में लगभग 150 बाबू सीनियर हैं, जो बेचारे अभी जूनियर क्लर्क या ज्यादा से ज्यादा सीनियर क्लर्क तक ही पहुंच पाये हैं। क्या यही इंसाफ है ? शासन के निर्देश पर जब से मुख्यालय और जिलों के बाबूओं को एकीकरण करने का आदेश हुआ, तभी से आराम-तलबी कर चमड़ी मोटी करने वाले बाबूओं में हड़कम्प मच गया था। ‘द संडे व्यूज़’ ने सबसे पहले ‘आगाह’ और ‘खुलासा’ किया था कि शासनादेश के खिलाफ मुख्यालय के बाबू न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं और इसमें दो जिला कमांडेेेंट पूरी मदद कर रहे हैं, लेकिन मुख्यालय पर बैठे डीजी और अफसरों ने इस बात को हल्के में लिया। डी.जी. भी सोच रहे थे कि कोई ऐसा फैसला लिया जाये जिससे मुख्यालय कैडर के बाबूओं का नुकसान ना हो, लेकिन बाबूओं ने स्वयं डीजी को ही कोर्ट में खींच लिया। इस फैसले पर गुस्साये डीजी ने अधिकारियों से कहा कि मुख्यालय पर जमे सभी बाबूओं को उठाकर जिलों में भेजो…। देखना है आखिर बाबूओं का मनोबल बढ़ाने वाले विभागीय आईजी और दोनों कमांडेंट के खिलाफ डी.जी. अब क्या एक्शन लेंगे ?

‘द संडे व्यूज़’ ने नए साल पर शंका जाहिर की थी कि मुख्यालय कैडर के बाबू कोर्ट में जाने के लिये चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। इस काम में विभाग के 2 कमांडेंट विभागीय आईजी की शह पर उनकी मदद कर रहे हैं। ‘द संडे व्यूज़’ की आशंका सोलह आने सच हुयी। मुख्यालय के बाबुओं ने डीजी बी. के. मौर्या को उनकी नाक के नीचे ही लामबंद होकर उन्हीं के खिलाफ कोर्ट में रिट कर दिया। ‘द संडे व्यूज़’ ने यह भी बताया था कि मुख्यालय पर बाबू एकीकरण करने वाली कमेटी को गाली दे रहे हैं, जिस कमेटी में उनके वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी भी शामिल हैं। लेकिन डी.जी. या मुख्यालय के कोई भी अधिकारियों ने किसी से पूछना भी गवारा नहीं समझा। क्या डीजी इंतजार कर रहे हैं कि जब उनके खिलाफ बाबू अभद्र भाषा का प्रयोग करेंगे,तभी वे कोई कार्यवाही करेंगे। ‘द संडे व्यूज़’ एक जिंदा मुहिम है, विचार है, जो कभी दबता नहीं और झूठ, फरेब, गाली, बेइमानी को कभी छुपने नहीं देता। अब सवाल उठता है कि डीजी क्या करते हैं ? अपने बाबुओं के खिलाफ, जो बरसों से मलाई काट -काट कर मोटे हो गये हैं,उन पर कार्रवाई का चाबुक चलाते हैं या नहीं ? क्या कमेटी को काम करने से रोकते हैं या गालीबाज बाबुओं को बाहर का रास्ता दिखाते हैं ? क्या डीजी गालीबाजों के बारे में कोई जांच करायेंगे या अभी और गाली पडऩे का इंतजार करेंगे ? देखते रहिये… पढ़ते रहिये… ‘द संडे व्यूज़’। यह मुहिम मुकाम तक पहुंच कर ही सांस लेगी।

बता दें कि 3 जनवरी 2025 को ‘द संडे व्यूज़’ ने शीर्षक ‘बाबुओं के एकीकरण की सूची जारी होने से मुख्यालय कैडर के मलाई काटने वाले बाबुओं में खलबली’ खबर प्रकाशित की थी। खबर का सार कुछ इस प्रकार से था…. होमगार्ड मुख्यालय पर तैनात बाबूओं में शीतलहरी में भी गर्मी की तपीश दिख रही है। ईमानदार डी.जी. बी. के. मौर्य द्वारा बाबूओं के एकीकरण के लिये बनी टीम ने बाबूओं के संविलय की रिपोर्ट सौंप दी है। डीजी ने सूबे के सभी बाबूओं से 10 दिन में आपत्ति मांगर कार्यवाही करने का निर्देश जारी कर दिया है। कमेटी के अधिकारियों द्वारा सही ढंग से रिपोर्ट बनाकर देने से जहां जनपदों के कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गयी वहीं मुख्यालय पर वर्षों से तैनात होकर मलाई खाने वाले बाबू कमेटी के सदस्यों को मां -बहन की… दे रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि एक कमंाडेंट के सामने बाबू अधिकारियों का नाम लेकर गरिया रहे थे और वो चेतावनी देने के बजाये उनका उत्साह वर्धन कर रहे थे। भरोसेमंद सूत्रों से पता चला है कि ईमानदार डी.जी. द्वारा बनायी गयी कमेटी ने बाबुओं के संविलयन की सूची उन्हें सौंप दी है। डीजी ने प्रदेश के सभी बाबुओं से 10 दिन में आपत्ति मांगकर कार्यवाही करने का भी निर्देश दे दिया है।

जनपदों के बाबुओं में खुशी की लहर दौड़ गयी है। कर्मचारी कमेटी वालों को भर- भर के दुआएं दे रहे हैं कि कमेटी ने पहली बार हिम्मत दिखायी और सत्य को सत्य लिखने का साहस दिखाया है। पहले भी कई बार कमेटी बनती रही है, जिसमें आईजी विवेक सिंह सदस्य रहे हैं, जो मुख्यालय के बाबुओं से मिलकर मामले को दबाने के लिये लगे रहते थे। यही कारण रहता था कि उनकी कमेटी फ र्जी, बेसिर- पैर की रिपोर्ट बनाती थी। फिर शासन के शहद खाने वाले साथियों के साथ बैठकर उस रिपोर्ट को बट्टे खाते में डलवा देते थे और वसूल की गयी मलाई से पार्टी करते थे। लेकिन अबकी बार डीजी बी. के. मौर्य द्वारा बनायी कमेटी ने निष्पक्ष होकर कार्य किया और ऐसी रिपोर्ट पेश की कि मंत्री, एसीएस, डी.जी. सभी बड़े लोग आदेश कर दिये कि तुरंत दोनों संवर्गो को एक किया जाये।

मजेदार बात तो यह पता चली कि कमेटी के सदस्य के रूप में एक अधिकारी तो डी.जी. के वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी के अलावा तीन वरिष्ठ मंडलीय कमांडेंट भी सदस्य हैं। कमेटी ने भी जी- जान लगाकर अपनी भारी भरकम तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाकर सौंप दिया है। अब मुख्यालय के बाबू कमेटी के सदस्यों को सरे आम गाली दे रहे हैं। मुख्यालय के बाबू रंजीत सिंह, राजकुमार, रूप कुमार ने नव वर्ष 2025 के दिन ही कमेटी के सदस्यों को सरेआम अपने कार्यालय के कमरे में भद्दी-भद्दी गालियां दिया। मजेदार बात यह है कि कमांडेंट दिनेश ढींगरा वहीं मौजूद रहकर उनका उत्साहवर्धन कर रहे थे।द संडे व्यूज़ मुख्यालय पर तैनात सभी वरिष्ठ अधिकारियों से सवाल करता है कि क्या मुख्यालय पर तैनात बाबू इतने बेअंदाज हो गये हैं कि वे विभाग के अधिकारियों को गालियां देंगे? अब देखना है कि ईमानदार डी.जी. साहब, इन बदतमीज बाबुओं पर कोई अंकुश लगाते हैं या कमेटी को ही बदलते हैं।


 


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