प्रभावित हो रही विभागीय जांच
पिछले महीने भी हुआ था निलंबन
नियमों की अनदेखी हुई
संवाददाता, लखनऊ। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के कुलसचिव डा. अश्विनी सिंह पर 20 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं। एक बार फिर निलंबन के बाद उन्हें चार्जशीट देने की तैयारी शुरू हो गई है। पहले मिली चार्जशीट पर न्यायालय के स्टे के बाद एक फिर कानून पेंच फंस गया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बार फिर 18 प्रमुख आरोपों को लेकर चार्जशीट देने की तैयारी शुरू कर दी है। कार्यवाहक कुलपति प्रो. एसके द्विवेदी ने कुलसचिव के खिलाफ केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 1965 के नियम 10 के उपनियम (1) व बीबीएयू अधिनियम, 1994 की धारा 12 (3) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रजिस्ट्रार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
निलंबन अवधि में वह बिना अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे। कुलपति ने निलंबन आदेश की प्रति बीबीएयू के प्रभारी रजिस्ट्रार, वित्त अधिकारी, सीओई, लाइब्रेरियन, बीएचयू के कुलपति व रजिस्ट्रार को भेजा है। पिछले महीने तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रो. एमएनपी वर्मा ने रजिस्ट्रार डा. अश्विनी सिंह को निलंबित किया था। उन्होंने चार से 17 दिसंबर तक अपने हस्ताक्षर कर उपस्थिति दर्ज की थी।
उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है। इससे विभागीय जांच प्रभावित होगी। 15 करोड़ की खरीदारी में अनियमितता 2023 में शैक्षणिक और शोध कार्यों के लिए फर्नीचर, कंप्यूटर और अन्य सामग्री की खरीदारी में नियमों की अनदेखी की गई। 50,000 रुपये से अधिक की खरीदारी के लिए विश्वविद्यालय स्तर की परचेज कमिटी और कुलपति की अनुमति आवश्यक होती है। बिना अनुमति के डा. अश्विनी सिंह ने 15 करोड़ रुपये की खरीदारी बिना अनुमोदन के करवा दी।
इसके अलावा केमिकल, ग्लास वेयर और प्लास्टिक वेयर की खरीदारी पांच करोड़ रुपये में की गई। साथ ही उन्होंने काउंटिंग आफ पास्ट सर्विस के मामले में नियमों की अनदेखी कर दी। उन पर विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण फाइलों को जानबूझकर रोकने का भी आरोप लगाया गया है, जिससे प्रशासनिक कार्य प्रभावित हुए। विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में रुपये बकाया है। वहीं दूसरी ओर रजिस्ट्रार ने एक बार फिर आरोपों को निराधार बताया है।