सपा प्रमुख ने साफ की रणनीति
ब्यूरो, लखनऊ। वर्ष 2027 के चुनावों के लिए राजनीति की जमीन तैयार कर रही समाजवादी पार्टी की निगाहें अपनी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) की रणनीति में शामिल अनुसूचित जाति पर सबसे ज्यादा हैं। बसपा का कैडर वोट कहे जाने वाले इस वर्ग में अब डा. भीमराव आंबेडकर की जयंती के सहारे सेंध लगाने की कोशिश होगी। इसके लिए आठ से 14 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में ‘स्वाभिमान-स्वमान’ समारोह मनाया जाएगा और ‘संविधान और आरक्षण’ बचाने के नारे को बार-बार दोहराया जाएगा।

पिछले लोकसभा चुनाव में भी सपा के इसी दांव को सफलता की एक बड़ी वजह माना जाता है। शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जब इसकी घोषणा की तो उनकी रणनीति साफ हो गई। उन्होंने सबसे पहले कार्यालय में सजाई गईं महर्षि कश्यप, निषादराज और सम्राट अशोक की तस्वीरों पर माल्यार्पण किया। उनकी कुर्सी के आगे टेबल पर महात्मा गौतम बुद्ध की प्रतिमा भी रखी गई थी।
संकेतों की इस राजनीति के बाद अखिलेश ने पत्रकारों को बताया कि आंबेडकर जयंती पर समाजवादी बाबासाहेब अंबेडकर वाहिनी और अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ द्वारा पार्टी कार्यालयों, जन प्रतिनिधियों के कार्यालयों में आयोजन किया जाएगा। संगोष्ठियों के जरिए ‘संविधान ही संजीवनी है’ और ‘संविधान सुरक्षित रहेगा तो सबका स्वाभिमान और अधिकार सुरक्षित रहेगा’ के नारों को दोहराया जाएगा।