नई दिल्ली। हिंदू नववर्ष के साथ चैत्र नवरात्र की शुरुआत 09 अप्रैल से हो गई है। नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत किया जाता है। चैत्र नवरात्र के दौरान नौ देवियों को अलग-अलग तरह का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि नौ देवियों को प्रिय भोग लगाने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं किस दिन किस मां को किस चीजों का भोग लगाना चाहिए।
पहला दिन
चैत्र नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा के दौरान गाय के घी से बना हलवा और रबड़ी का भोग लगा सकते हैं।
दूसरा दिन
चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का विधान है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी के भोग में शक्कर और पंचामृत को शामिल करें। मान्यता है कि इस चीज का भोग लगाने से साधक को अच्छी सेहत के साथ दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है।
तीसरे दिन
चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करें और उन्हें दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं। ऐसा करने से साधक को धन का लाभ मिलता है।
चौथे दिन
चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की उपासना की जाती है। मां कुष्मांडा को मालपुआ अर्पित करना फलदायी माना जाता है। इससे साधक को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पांचवें दिन
पांचवें दिन मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाने का विधान है। इससे व्यक्ति के बिजनेस और करियर में उन्नति होती है और हर काम बनने लगते है।
छठे दिन
छठे दिन दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगना उत्तम माना जाता है। इससे जातक को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
सातवें दिन
सातवें दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। इस दिन सुबह पूजा करने के बाद मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजों को भोग लगाएं। इससे साधक रोग मुक्त होता है।
आठवें दिन
चैत्र नवरात्र के आठवें दिन महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। इससे साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
नौवें दिन
चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री को पूड़ी, खीर या हलवा का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से साधक पर मां की कृपा सदैव बनी रहती है।