प्रमोटी कमांडेंटों के बोल: साहेब मुंह तो खोलिये, औकात से ज्यादा नोट मारेंगे, बस हमारी पोस्टिंग करा दो बड़े जिला में
कमांडेंट के बोल : लाखों रुपये का चढ़ावा ऊपर तक पहुंचा चुके हैं,जिला तो जो चाहूंगा,लेकर रहूंगा…
ये ऊपर वाला शख्स है कौन ?
प्रमोटी कमांडेंट के चढ़ावा चढ़ाने के बोल से ऊपर वाले, मंत्री, डीजी के साख पर उठने लगा सवाल ?
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के होमगार्ड विभाग में ट्रांसफर पॉलिसी आने के बाद से प्रमोटी कमांडेंट बदहवास हैं। सभी को चाहिये बड़े जिले में पोस्टिंग। घाघ प्रमोटी कमांडेंट बता रहे हैं कि बड़े जिलों का क्या रेट चल रहा है। कमांडेंट जानते हैं कि किसी तरह बड़ा जिला मिल जाये ताकि जवानों में खामियां निकाल कर कर सकेअवैध कमाई। इन्हें मालूम है कि एक वर्ष में अपना पूरा हिसाब-किताब पूरा कर लेंगे,उसके बाद तो छप्पर फाड़ के…। अधिसंख्य प्रमोटी कमांडेंट के मुंह हराम की अवैध कमाई का स्वाद लग चुका है। उन्हें मालूम है कि दो नंबर की कमाई कहां से और कैसे की जाती है। चर्चा है कि कई कमांडेंट तो पहले से ही ऊपर 4 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक पहुंचा चुके हैं। ऊपर वाले इतने बड़े खिलाड़ी हैं कि वे 14 जून की रात तक परिणाम दिखाने से पहले ना जाने कितनी बार पाला बदल देंगे। मीडिया पता लगा रहा है कि ऊपर वाले कौन हैं ? मजे की बात ये है कि कई जांबाज प्रमोटी कमांडेंट आईजी विवेक सिंह के सहारे थे लेकिन अब तो सिंह साहेब पूर्व हो गये, इसलिये उनकी दाल तो रत्ती भर नहीं गलेगी। नाम न छापने की शर्त पर एक कमांडेंट ने बताया कि उसने ऊपर लाखों रुपये पहुंचाकर शर्त रखी कि उसे मथुरा, वाराणसी, मेरठ या फिर नोयडा जिला मिल जाये लेकिन उसके कर्म ऐसे हैं कि उसकी लुटिया डूबती-उतरा रही है। चलिये बताते हैं कि कितने प्रमोटी क्या सपना पाल रखे हैं…

सीतापुर के प्रमोटी कमांडेंट दिनेश धींगरा, अलीगढ़ के कमांडेंट श्याम जीत शाही, मुख्यालय के प्रमोटी एस. ओ. अवनीश सिंह ,संभल के प्रमोटी कमांडेंट ज्ञान प्रकाश, जौनपुर के प्रमोटी कमांडेंट ओम प्रकाश सिंह, बाराबंकी के कमांडेंट धर्मेंद्र, लखीमपुर खीरी के प्रमोटी कमांडेंट दिनेश पांडेय, मिरजापुर के प्रमोटी कमांडेंट बी. के. सिंह मौर्य मनचाही जगह पोस्टिंग पाने के लिये लाखों रुपये लेकर डीजी के स्टाफ अफ सर और पूर्व आईजी के पास डेरा डाले हुये थे। मुख्यालय पर तैनात अवनीश सिंह का बाराबंकी या उन्नाव पोस्टिंग पाना, जौनपुर के ओम प्रकाश सिंह का भी अच्छी जगह पोस्टिंग पाना तय माना जा रहा था । पूर्व आईजी ने पूरा सिस्टम बना दिया था लेकिन अब क्या होगा ? चर्चा है कि साहेब भले ही पूर्व हो गये हैं लेकिन जब लिये हैं तो आखिरी दम तक कोशिश तो करेंगे ही…। एक कड़वी सच्चाई ये भी है कि रिटायरमेंट के बाद कोई किसी को पूछता नहीं है…। माया की कुर्सी है,सभी उसी को सलाम करते हैं और होमगार्ड विभाग में तो विभागीय मंत्री की कुर्सी खिसकते ही अधिकारी इस तरह से नजर फेरते हैं मानों…।
लखनऊ के आसपास के जिले में बने रहने का ख्वाब देखने वाला दीपक श्रीवास्तव भी मेरठ, नोयडा, मथुरा, वाराणसी या फिर प्रयागराज मंडल में पोस्टिंग चाहता है और कुछ भी करने को तैयार है। इसे मालूम है कि इन जिलों में अच्छी -खासी कमाई है। बीओ से प्रमोट पीसी ने बताया कि बागपत कमांडेंट ने मेरठ के चारो बीओ को सेट कर लिया है और पल-पल की रिपोर्ट उसे मिलता रहे। सभी बीओ ने यहां तक आश्वासन दिया कि मेरठ आने में लेन-देन में कुछ कमी हो तो बताएं हमलोग इंतजाम कर देंगे। वाह रे कुर्सी की माया…। सीतापुर के प्रमोटी कमांडेंट दिनेश धींगरा तो लखनऊ मंडल में 8 साल से तैनात हैं, फि र भी उन्हें लखीमपुरखीरी या उन्नाव जिला चाहिये। ये भी पूर्व वाले आईजी को जी सर, जी सर करते रहें,जिसकी वजह से उन्हें बाराबंकी में भी बिठाया जाना संभव माना जा रहा था लेकिन अब ? मिरजापुर के बी. के. सिंह मौर्य का तो बड़े जिले में जाना तय है। इसका खुलासा अगले अंक में करेंगे…।
इसी तरह,लखीमपुरखीरी का प्रमोटी कमांडेंट दिनेश पांडेय भी पूर्व आईजी विवेक सिंह का पुराना चेला है, उसे भी शाहजहांपुर या अलीगढ़ में बैठाया तय माना जा रहा था। कमांडेंट ने बताया कि जिस आईजी साहेब के यहां वो राशन पहुंचाता था वे पूर्व हो गये हैं…। फिर…। सभी जानते हैं कि स्टाफ अफ सर के माध्यम से पकडऩे से टोकन मनी सेफ रहेगी और इस साल न सही तो अगले साल अवश्य चल जायेगी, जैसे महराजगंज और बस्ती के कमांडेंट भुगतान करके इंतजार कर रहे हैं।
आखिर में द संडे व्यूज़ सभी प्रमोटी कमांडेंट से सिर्फ एक सवाल करता है, आपलोग सिर्फ बड़े जिले में ही पोस्टिंग क्यों कराना चाहते हैं? क्या छोटे जिले में लॉ एण्ड आर्डर ठीक करने का काम नहीं है ? क्या छोटे जिलों में इंसान नहीं बसते ? यदि आपलोगों को सरकार ने लॉ एण्ड आर्डर बनाये रखने के लिये वर्दी पहनायी है तो सुकून से छोटे जिले में रहकर ईमानदारी से अपने ड्यूटी का निर्वाह करो…। हालांकि छोटे जिले में रहकर डयूटी करने वाले भी प्रमोटी कमांडेंट हैं, जिन्हें द संडे व्यूज़ सैल्यूट करता है और बड़े की चाहत रखने वाले खुद ही साबित कर रहे हैं कि वे ईमानदार नहीं भ्रष्ट हैं…। वे जानते हैं कि जिनता बड़ा जिला,उतनी अधिक जवानों की ड्यूटी लगेगी और बिना प्रेस की वर्दी, बिना पॅालिस के जूते पहनने के नाम पर सस्पेंड़ कर लाखों रुपये तो कमा ही लेंगे। इसके अलावा मृतक आश्रितों (मुर्दों की कमाई) से एक लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपये की अवैध कमाई भी कर लेंगे। इस तरह बड़े जिलों में नौकरी कम अवैध कमाई अधिक दिखायी दे रही है। इसके लिये खैर…।
क्रमश: