यूपी में माफियाओं के मुखबिर बने गुरुजी, पर्दे के पीछे से ऐसे खेल

लखनऊ एसटीएफ को गुरुजी की तलाश

प्रयागराज। पुलिस के मुखबिर की तरह ही नकल माफियाओं के गुरुजी भी सीन से गायब हैं। जिस तरह से पुलिस के मुखबिरों का पता नहीं चलता, उसी तरह से इन नकल माफियाओं के गुरुजी का सुराग नहीं लग पा रहा है। लेखपाल भर्ती परीक्षा के दौरान पकड़े गए सॉल्वर गैंग ने उत्तरकुंजी पहुंचाने वाले अपने-अपने गुरुजी का नाम बताया था। दरअसल, दोनों गैंग के शातिर शिक्षक थे जिन्हें गुरुजी कहते थे। पुलिस से लेकर एसटीएफ तक इन फरार आरोपियों को पकड़ नहीं पा रही है।

कौशाम्बी का बताया गया था प्रवक्ता प्रयागराज एसटीएफ ने बीते 31 जुलाई को लेखपाल भर्ती परीक्षा में फाफामऊ से विजयकांत, दिनेश और सोनू को गिरफ्तार किया था। इन पर आरोप था कि प्रयागराज से बैठकर कानपुर और वाराणसी में नकल करा रहे थे। इनके पास तीन सेट की उत्तरकुंजी मिली थी। आरोप था कि डॉ. केएल पटेल गैंग के संदीप की मदद से कौशाम्बी में तैनात प्रवक्ता समर सिंह यादव, किशनलाल प्रशांत ने इन्हें ऑनलाइन मुहैया कराया था। शिक्षक समर पर ही प्रश्नपत्र की उत्तर कुंजी भेजने का आरोप था। उसकी संलिप्तता बताकर छोड़ दिया गया।

नकल कराने वाला दूसरा गैंग झूंसी में पकड़ा गया था। लखनऊ एसटीएफ ने उत्तर कुंजी के साथ पकड़े गए नरेंद्र पटेल और संदीप पटेल को जेल भेज दिया है। इन्हें अरविंद पटेल और योगेश ने आंसर की मुहैया कराया था। अरविंद पटेल को आरोपी गुरुजी कहते हैं। अरविंद ने फर्जी सिम कार्ड की मदद से मोबाइल इस्तेमाल किया। इसी नंबर से नरेंद्र और संदीप को उत्तर कुंजी भेजी थी। गुरुजी को एसटीएफ भी ट्रेस नहीं कर सकी। इस परीक्षा में कई स्कूल प्रबंधक जेल जा चुके हैं।

Post Author: thesundayviews

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